जीवीके की हुर्इ छुट्टी, जानिए किसे मिला 108 सेवा का जिम्मा
अब 108 सेवा का जिम्मा जीवीके से हटाकर कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशनल प्रोग्राम को सौंप दिया गया है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में आपातकालीन सेवा 108 एंबुलेंस का संचालन अब जीवीके ईएमआरआइ के पास नहीं रहेगा। इस सेवा के संचालन की जिम्मेदारी अब कैंप (कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशनल प्रोग्राम) को मिल गई है। इसके लिए गुरुवार को टेंडर खुल गए हैं। कंपनी प्रतिमाह 1.18 लाख रुपये प्रति एंबुलेंस पर सेवा का संचालन करेगी। बताया जा रहा है कि संबंधित कंपनी कुछ अन्य राज्यों में भी आपातकालीन सेवा का संचालन कर रही है। खास बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने इस बार जुर्माना का भी प्रावधान किया है। यदि संचालक कंपनी रिस्पांस टाइम, गुणवत्ता, मानव संसाधन और रखरखाव में लापरवाही बरतती है तो जुर्माना वसूली जाएगा।
बता दें, प्रदेश में वर्ष 2008 में 108 सेवा शुरू की गई थी। इसका संचालन तभी से जीवीके ईएमआरआइ कंपनी के पास है। कंपनी का अनुबंध पूर्व में ही खत्म हो चुका है और फिलहाल सात मार्च तक का एक्सटेंशन कंपनी को मिला हुआ है। वर्तमान में 108 सेवा के तहत 139 एंबुलेंस का संचालन प्रदेशभर में किया जा रहा है, जबकि 95 वाहन खुशियों की सवारी भी संचालित की जा रही हैं। जिसके माध्यम से प्रसव उपरांत जच्चा-बच्चा को घर तक छोडऩे की व्यवस्था है।
खुशियों की सवारी की टेंडर प्रक्रिया अभी चल रही है, जबकि गुरुवार को 108 एंबुलेंस के संचालन का टेंडर हो गया। पिछली बार की अपेक्षा स्वास्थ्य महकमे ने इस बार टेंडर में सर्विस की सख्त मॉनीटरिंग का प्रावधान किया हुआ है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही सामने आने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान शामिल किया गया है। इसके लिए शहर व गांव के अलावा दूरस्थ क्षेत्रों को वर्गीकृत किया गया है, जहां एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम 20 से 30 मिनट रखा गया है। अगर एंबुलेंस इसमें टाइम लगाएगी तो उसे जुर्माना देना होगा। दूसरा सेवा की गुणवत्ता के तहत फोन कॉल अटेंड नहीं होने व लोगों के साथ व्यवहार पर भी नजर रखी जाएगी।
इसके अलावा, कर्मचारियों की सुविधाएं और एंबुलेंस के रखरखाव पर भी नजर रखी जाएगी। साथ ही कई अन्य बिंदुओं को भी नए टेंडर में रखा गया है। मसलन 24 घंटे सात दिन सेवा, कॉल सेंटर का होना, तीन साल का अनुभव और हर एंबुलेंस में इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी। इसी तरह ओला कैब की तर्ज पर एंबुलेंस को ट्रैक भी किया जा सकेगा। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत का कहना है कि इस बार टेंडर में कई नए प्रावधान किए गए हैं, ताकि मरीजों को किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। नई कंपनी मार्च माह से इस सेवा का संचालन करेगी।
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