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खेल के मैदान पर नहीं दिखा 'हुनर'

मानव भंडारी, देहरादून: राज्य सरकार के बजट ने खिलाड़ियों को खासा निराश किया है। राष्ट

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Mar 2018 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Mar 2018 03:00 AM (IST)
खेल के मैदान पर नहीं दिखा 'हुनर'
खेल के मैदान पर नहीं दिखा 'हुनर'

मानव भंडारी, देहरादून:

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राज्य सरकार के बजट ने खिलाड़ियों को खासा निराश किया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार उत्तराखंड व देश का मान बढ़ा रहे प्रदेश के खिलाड़ी बजट में सरकार की नजर से दूर दिखे। खिलाड़ियों के लिए किसी नई योजना का खाका भी बजट दस्तावेजों में नहीं दिखा। इसके उलट, पिछले साल के मुकाबले इस साल खेल विभाग के बजट में करीब 40 करोड़ रुपये की कटौती हुई है।नेशनल गेम्स के लिये होने वाले कार्यो के लिये भी बजट प्रावधान कम हुआ है।

38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी संभाल रहे उत्तराखंड सरकार के इस बजट में पदक जीतने का कोई रोडमैप नहीं दिखाई पड़ा। वह भी तब, जबकि सरकार ने कई मौकों पर नेशनल गेम्स के लिये सूबे के खिलाड़ियों को तैयार करने के लिये विदेशी प्रशिक्षकों को उत्तराखंड बुलाने, स्पेशल कोचिंग कैंप लगाने, राज्यस्तरीय ओलंपिक खेल कराने की घोषणा की थी। इस बजट में केवल रूटीन कार्यो और पिछली देनदारी निपटाने के लिये ही प्रावधान किया गया है। भूतपूर्व खिलाड़ियों को पेंशन, खेल नीति के तहत दी जाने वाली पुरस्कार राशि, स्पो‌र्ट्स कॉलेज के संचालन की मद में भी कोई अंतर इस बार नहीं दिखा। नेशनल गेम्स के लिए पिछले साल के 14 करोड़ के मुकाबले इस बार चार करोड़ की कटौती करते हुए केवल 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसी तरह खेल विभाग का बजट 96 करोड़ से घटाकर 56 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

नहीं बढ़ा स्पो‌र्ट्स कॉलेज का बजट

स्पो‌र्ट्स कॉलेज संचालन पर हर साल करीब पांच करोड़ रुपये खर्च आता है। इस बार पिछले साल की भांति इसके लिए साढ़े तीन करोड़ का प्रावधान किया गया है। खर्च के हिसाब से डेढ़ करोड़ की देनदार कॉलेज पर पिछले साल की चली आ रही है।

पुरस्कार राशि के लिये नहीं बढ़ा पैसा

खेल नीति के तहत राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को कैलेंडर वर्ष के आधार पर हर साल पुरस्कार राशि दी जाती है। साल 2017 पूरा बीत चुका है, लेकिन कैलेंडर वर्ष 2016 के ही कई ऐसे पदक विजेता हैं जिन्हें अब तक भी पुरस्कार राशि नहीं मिल पाई है। सरकार ने इस साल भी इस मद में बढ़ोत्तरी नहीं की है। पिछले साल के बराबर इस बार भी डेढ़ करोड़ की व्यवस्था की गई है।

सरकार को खेलों के लिये गंभीरता से सोचना चाहिये। उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने जा रहा है, ऐसी स्थित में नेशनल गेम्स के लिये ही बजट में कटौती करना समझ से परे है। सूबे के खिलाड़ी एथलेटिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, जूडो, शूटिंग, बॉक्सिंग आदि खेलों में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे खिलाड़ियों के लिये उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिये कुछ योजना बनानी होगी।

डा.डीके सिंह, महासचिव, उत्तराखंड ओलंपिक संघ


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