अशासकीय कॉलेजों पर लटकी अनुदान बंदी की तलवार, उत्तराखंड में है ऐसे 18 महाविद्यालय
सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय अगर श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध नहीं होते हैं तो उन्हें वेतन के रूप में मिलने वाले अनुदान को सरकार बंद कर देगी। इस फैसले पर शुक्रवार को केबिनेट ने मुहर लगा दी है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय अगर श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध नहीं होते हैं तो उन्हें वेतन के रूप में मिलने वाले अनुदान को सरकार बंद कर देगी। इस फैसले पर शुक्रवार को केबिनेट ने मुहर लगा दी है। प्रदेश में 18 सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय हैं, जिनमें चार मुख्य रूप से राजधानी देहरादून में हैं।
डीएवी पीजी कॉलेज, डीबीएस, एमकेपी और श्री गुरु राम राय पीजी कॉलेज पथरीबाग मुख्य हैं, जिनमें प्रदेशभर के करीब 23 हजार छात्र-छात्राएं स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई करते हैं। यह सभी सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेज हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विवि से संबद्ध हैं। इनमें से अधिकांश महाविद्यालय ऐसे हैं जो गढ़वाल विवि के केंद्रीय विवि बनने से पहले उससे संबद्ध हैं। साथ ही वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन से पहले भी यह अशासकीय संबद्ध महाविद्यालय के नियमों के तहत संचालित होते आए हैं।
पिछली केबिनेट में विवि के लिए गठित अम्ब्रेला एक्ट पास किया तो इसमें भी सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों पर अनुदान समाप्त करने का नियम लागू किया गया था। इसका सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों ने करीब दो महीने तक विरोध किया। शिक्षकों ने अपने-अपने कॉलेज परिसर में हर रोज एक घंटे काली पट्टी बांधकर विरोध किया। शिक्षकों ने राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलकर मांग की कि सरकार अनुदान बंद करने के फैसले को वापस ले।
शुक्रवार को कैबिनेट ने सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को अनिवार्य रूप से श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध होने पर ही अनुदान जारी रखने पर मुहर लगा दी है। इससे पहले हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विवि की ओर से भी केंद्रीय उच्च शिक्षा मंत्रालय से नियमों के तहत उत्तराखंड के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को विवि से असंबद्ध करने के लिए पत्र केंद्र सरकार को भेजा था। जिसके बाद वर्तमान केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से पत्र जारी कर दिया गया था। इन सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध करने से पहले गढ़वाल विवि से असंबद्ध करना जरूरी था।
गढ़वाल विवि-महाविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री डॉ. डीके त्यागी ने बताया कि संबद्धता को लेकर फैसला लेना सरकार का अधिकार है। सहायता प्राप्त अशासकीय शिक्षक पहले भी छात्रों के हित में शिक्षण गतिविधियों से जुड़े थे और आगे भी जुड़े रहेंगे। शिक्षकों का विरोध अनुदान बंद करने को लेकर था। संबद्धता को लेकर कोई विरोध नहीं है। संबद्धता की पूरी प्रक्रिया सरकार को पूरी करनी है। यह शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के हित में हैं।
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