कार्यकाल पूरा करेंगे मनोनीत एंग्लो इंडियन सांसद व विधायक
निकट भविष्य में एंग्लो इंडियन समुदाय को लोकसभा व राज्यों की विधानसभाओं में मनोनयन के जरिए प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
निकट भविष्य में एंग्लो इंडियन समुदाय को लोकसभा व राज्यों की विधानसभाओं में मनोनयन के जरिए प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 10 साल बढ़ाने का निर्णय लिया है, मगर एंग्लो इंडियन समुदाय को मनोनयन के जरिए प्रतिनिधित्व देने को आगे बढ़ाने पर फिलवक्त कोई विचार नहीं किया है। अलबत्ता, वर्तमान में मनोनीत एंग्लो इंडियन सांसद और विधायक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।
संविधान के अनुच्छेद 334 के तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 70 साल के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण और एंग्लो इंडियन समुदाय को मनोनयन के जरिये प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया गया था। 25 जनवरी 2020 को यह अवधि समाप्त हो रही है। इस बीच केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2030 तक जारी रखने का निर्णय लिया। ये प्रस्ताव लोस व राज्यसभा से पास हो चुका है। साफ है कि केंद्र ने एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व को विस्तार देने के संबंध में विचार नहीं किया है।
ऐसे में मनोनीत एंग्लो इंडियन सांसदों व विधायकों का मौजूदा कार्यकाल खत्म होने के बाद आगे इनका मनोनयन नहीं होगा। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के अनुसार 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 296 एंग्लो इंडियन हैं। इस समुदाय से लोकसभा में दो सांसद और उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में नौ विधायक मनोनीत होते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति व जनजातियों के आरक्षण को बढ़ाने का निश्चय किया है। लिहाजा, निकट भविष्य में एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनयन नहीं होगा। हालांकि, जो मनोनीत सांसद व विधायक हैं, वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।