उत्तराखंड में वैयक्तिक सहायक को एक वर्ष के कंप्यूटर कोर्स की अनिवार्यता नहीं, संशोधित नियमावली जारी
अब वैयक्तिक सहायक पदों पर होने वाली नियुक्तियों में एक वर्ष के कंप्यूटर कोर्स की अर्हता अनिवार्य नहीं होगी। अब केवल इंटर पास आवेदक आशुलेखन और कंप्यूटर में टंकण की परीक्षा पास करने पर भी वैयक्तिक सहायक बन सकेंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में अब वैयक्तिक सहायक पदों पर होने वाली नियुक्तियों में एक वर्ष के कंप्यूटर कोर्स की अर्हता अनिवार्य नहीं होगी। अब केवल इंटर पास आवेदक आशुलेखन और कंप्यूटर में टंकण की परीक्षा पास करने पर भी वैयक्तिक सहायक बन सकेंगे। इसके लिए कार्मिक विभाग ने संशोधित सेवा नियमावली जारी कर दी है।
प्रदेश में अभी तक सरकारी कार्यालयों में वैयक्तिक सहायक संवर्ग पद पर आवेदक को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से एक वर्ष का कंप्यूटर डिप्लोमा करना अनिवार्य है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कंप्यूटर पाठ्यक्रम सुगम नहीं हैं। इस कारण वहां के युवा वैयक्तिक सहायक पद के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे थे। यह मामला स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार तक पहुंचाया गया।
हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। अब संशोधित अधीनस्थ कार्यालय वैयक्तिक सहायक संवर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली भी मंजूर कर दी गई है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि अब एक वर्ष के कंप्यूटर डिप्लोमा के स्थान पर अभ्यर्थी की हिंदी आशुलेखन में न्यूनतम गति 80 शब्द प्रति मिनट और कंप्यूटर पर हिंदी टंकण में न्यूनतम 4000 की-डिप्रेशन प्रति घंटा की गति से प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही नियमावली में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है।
पुरानी पेंशन बहाली के मांग पत्र केंद्र को किए जा रहे प्रेषित
प्रदेश सरकार पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी संगठनों के मांगपत्र विचार के लिए लगातार केंद्र सरकार को भेज रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधायक देशराज कर्णवाल के पत्र के जवाब में यह जानकारी दी। पत्र के अनुसार राज्य में पेंशन व वेतन की समानता भारत सरकार से है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने नई अंशदान पेंशन योजना लागू की है। राज्य सरकार केंद्र की ही नीतियों का अनुसरण कर रही है। विभिन्न संगठनों के पुरानी पेंशन संबंधी पत्र भारत सरकार को भेजे जा रहे हैं।
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