उत्तराखंड पुलिस: खेल कोटे से एक साल में एक भी भर्ती नहीं
पुलिस खेल नीति के कड़े मानक युवा खिलाड़ियों के पुलिस में आने की राह में रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं। खेल नीति बनने के एक वर्ष बाद भी खेल कोटे से एक भी खिलाड़ी भर्ती नहीं हो पाया है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: पुलिस खेल नीति के कड़े मानक युवा खिलाड़ियों के पुलिस में आने की राह में रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि खेल नीति बनने के एक वर्ष बाद भी खेल कोटे से एक भी खिलाड़ी पुलिस में भर्ती नहीं हो पाया है। इसे देखते हुए अब पुलिस मुख्यालय ने शासन को पत्र लिखकर भर्ती के मानकों में परिवर्तन करने का अनुरोध किया है। इसके तहत अब जूनियर व सब जूनियर स्तर के खिलाड़ियों को भी सीधी भर्ती के लिए मंजूरी का अनुरोध किया गया है।
पुलिस में कुशल खिलाड़ियों की भर्ती के लिए बीते वर्ष खेल नीति बनाई गई थी। इसका मकसद यह कि वर्ष 2018 में होने वाले राष्ट्रीय खेलों तक प्रदेश को अच्छे खिलाड़ी मिल सकें। इस नीति को बने एक वर्ष हो चुका है लेकिन अभी तक एक भी खिलाड़ी ने पुलिस में भर्ती होने में रुचि नहीं दिखाई।
जब नीति का गहन अध्ययन किया गया तो यह देखा गया कि कड़े मानकों के चलते खिलाड़ी इसमें नहीं आ पा रहे हैं। इस नीति में केवल सीनियर स्तर पर राष्ट्रीय स्तर के विजेताओं को सीधे नियुक्त का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को बड़े संस्थान व कंपनियां अच्छे दामों पर लेती हैं इसलिए वे इस ओर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा कांस्टेबल स्तर के खिलाड़ी की नियुक्ति के लिए भी प्रक्रिया बहुत लंबी थी। इसमें खेल निदेशालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही नियुक्ति देने का प्रावधान किया गया है।
अब पुलिस महकमे ने इन दो बिंदुओं पर संशोधन प्रस्ताव भेजा है। इसके तहत अब जूनियर प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं को भी सीधे भर्ती और पुलिस में कांस्टेबल स्तर के खिलाड़ियों की भर्ती इस पद के नियुक्ति अधिकारी यानि एसएसपी स्तर से ही किए जाने का अनुरोध किया गया है। अन्य रैंक के खिलाड़ियों की नियुक्ति भी संबंधित पद के नियुक्ति अधिकारी से कराने का अनुरोध किया गया है।
अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि जूनियर स्तर पर पदक विजेताओं को महकमा भी निखार सकता है। नियुक्ति प्रक्रिया सरल करने से पुलिस को भविष्य के लिए अच्छे खिलाड़ी मिल सकते हैं।
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