हाल-ए-क्वारंटाइन: कहीं घी घना, कहीं मुट्ठीभर चना, पढ़िए पूरी खबर
आइए आपको उत्तराखंड के क्वारंटाइन सेंटरों की व्यवस्थाओं के सच से परिचय कराते हैं। क्वारंटाइन सेंटरों में ठहराए गए लोगों के खान-पान की सरकार की अभी तक कोई नीति ही नहीं है।
देहरादून, देवेंद्र सती। इसे कहते हैं सरकारी व्यवस्था, न कोई पूछने वाला और न ही जांचने वाला। यानि मनमानी की खुली छूट। अब ये आपका ईमान कि आप कितनी ईमानदारी दिखाते हैं। जब आका ने ही कोई दायरा नहीं बांधा तो भला सवाल-जवाब करने की हिमाकत कौन करेगा और क्यों करेगा? जी हां, यहीं सच है उत्तराखंड के क्वारंटाइन सेंटरों की व्यवस्थाओं का।
आइए इस सच का कराते हैं आपका परिचय। क्वारंटाइन सेंटरों में ठहराए गए लोगों के खान-पान की सरकार की अभी तक कोई नीति ही नहीं है। सब कुछ मनमाफिक चल रहा है। इसी की बानगी है कि जिलों में कोई साधारण शख्स दूर दराज जंगल से सटी खस्तहाल छानियों (पुराने खंडहर मकान) में गुलदार की दहाड़ के बीच क्वारंटाइन अवधि बिता रहा है तो रुतबे वाले आलीशान सरकारी बंगलों और निजी होटलों में मौज काट रहे हैं। इनके लिए फरमाइश पर मनपंसद खाना हाजिर है, लेकिन एक वो भी हैं जिन्हें क्वारंटाइन सेंटर में घर से खाना मंगवाना पड रहा है। हालात इशारा कर रहे हैंं कि अगर कभी ठीक से बही-खाते पलटे गए तो क्वारंटाइन खर्च की जाने कैसी तस्वीर सामने आएगी।
मार्च के तीसरे सप्ताह में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के साथ ही उत्तराखंड में क्वारंटाइन व्यवस्था शुरू कर दी गई थी। कोरोना मरीजों के संपर्क में आने वाले स्वजनों व अन्य लोगों की वजह से संक्रमण चेन न बनने पाए, इसके लिए ऐसा किया जा रहा है। राज्यभर में यह व्यवस्था चली आ रही है। लेकिन, इसमें शुरू से आखिर तक झोल ही झोल नजर आ रहे हैं।
आश्चर्यजनक पहलू यह कि राज्य सरकार क्वारंटाइन सेंटरों पर होने वाले खर्च के लिए दो महीने बाद भी कोई नीति नहीं बना पाई। सरकार की तरफ से हर बार रटा रटाया जवाब मिलता रहा है कि जिलाधिकारियों को इसके लिए अधिकृत किया गया है। मगर, कभी भी यह जानने की कोशिश शायद नहीं हुई कि जिलों के स्तर पर आखिरकार क्वारंटाइन सेंटरों पर होने वाले खर्च के लिए व्यवस्थाएं क्या की गई हैं। जिलों के स्तर पर भी यही जवाब मिलता है कि शासन की तरफ से व्यवस्थाएं बनाने को तो कहा गया है, पर खर्च को लेकर कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। लिहाजा प्रशासन जरूरत के हिसाब से चीजें तय कर रहा है।
इसी घालमेल का नतीजा है कि अदने से उत्तराखंड में क्वारंटाइन सेंटरों में अपनी-अपनी रियासत जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं। हर जिले में अलग-अलग नीति-नियम चल रहे हैं। प्रति व्यक्ति खर्च की दरें भी अलग-अलग हैं। इतना ही नहीं, एक ही जिले में कई दरें लागू हैं। विडंबना देखिए कहीं एक शख्स पर पूरे दिन में (चाय नाश्ता और दो वक्त का खाना) पर 120 रुपये खर्च किए जा रहे हैं तो कहीं 1350 रुपये। ये विषमता ही तो है कि क्वारंटाइन सेंटरों में कोई हर रोज पनीर, पूडी और हलवा छक रहे हैं तो कोई चार सूखी रोटी खाकर घर लौटने की उम्मीद में दिन काट रहे हैं।
ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं जिन्हें केवल सरकारी चाय ही नसीब हो पा रही है। क्वारंटाइन सेंटर में किसी को बिसलेरी गटकने को मिल रही है तो कोई गदेरे (नाले) का पानी टेप करके प्यास बुझा रहा है। दूर दराज के स्कूलों में क्वारंटाइन किए गए लोगों को बिजली की आपूर्ति के लिए प्रधानों की मिन्नतें करनी पड़ रही है। इसके उलट होटलों और सरकारी गेस्ट हाउसों में क्वारंटाइन किए गए लोग सरकारी मेहमान बन ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं। बहरहाल, सरकारी सिस्टम अपनी चाल चल रहा है और कारिंदे अपनी डगर पर आगे बढ़ रहे हैं। कभी कोरोना आपदाकाल खर्च के ये सरकारी पन्ने पलटे गए तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आ सकती है।
ये है जिलों की तस्वीर
1 देहरादून
- ऋषिकेश: क्वारंटाइन सेंटर (सीमा डेंटर कॉलेज) 300 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता- (अलग-अलग दिनों में चाय के साथ केला या दलिया या ब्रेड)
- दोपहर का खाना- (एक सब्जी, एक दाल, चावल, 04 रोटी, एक दिन छोड़कर मीठा जिसमें हलवा या बालूशाही)
- शाम की चाय- (चाय, बिस्कुट या समोसा)
- रात्रि भोजन- (एक सब्जी, एक दाल, चावल, 04 रोटी)
- मसूरी- क्वारंटाइन सेंटर (गढ़वाल टेरेस होटल ) 450 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता- 150 रुपये (पूडी, भाजी, परांठा, रोटी सब्जी)
- दोपहर खाना- 150 रुपये (दाल, सब्जी, रोटी, अचार दही, चावल)
- रात का खाना - 150 रुपये ( दाल, सब्जी, रोटी, अचार दही, चावल)
- चाय- दिन में तीन बार
- देहरादून शहर के क्वारंटाइन सेंटर: 152 रुपये प्रति व्यक्ति
- इसमें सुबह का चाय नाश्ता, दिन का खाना, रात का खाना शामिल
- (शाम का नाश्ता इच्छा पर है, अगर कोई व्यक्ति नाश्ता नहीं लेता तो प्रतिदिन खर्च 194 रुपये होगा)
2 हरिद्वार
- क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खर्च सीमा 120 रुपये तय की गई है। ये दरें जिला प्रशाशन ने तय की हैं।
- नाश्ता 40 रुपये- ( परांठा और चाय, ब्रेड, चने)
- दोपहर का खाना, 40 रुपये- ( रोटी , चावल, सब्जी , दाल )
- रात का खाना, 40 रुपये ( रोटी सब्जी, दाल चावल )
- जिन महिलाओं के साथ बच्चे हैं उनको एक पैकेट दूध दिया जा रहा है।
- चार होटल (950 रुपये प्रति बेड, 150 रुपये खाने का खर्च)
- नाश्ता (चाय, ब्रेड, बंद, परांठा)
- दोपहर खाना (चावल, 04 रोटी, दो सब्जी)
- शाम की चाय (एक कप)
- रात का खाना (चावल, 04 रोटी, सब्जी, चटनी, दाल)
- एनआइएच के गेस्ट हाउस ( कमरे का किराया 600 से 900 रुपये)
- भोजन खर्च: 120 रुपये प्रति व्यक्ति (नाश्ता, दिन और रात का खाना प्रशासन उपलब्ध करवाता है)
3 चमोली
- क्वारंटाइन सेंटर (जीएमवीएन के गेस्ट हाउस) ( प्रति व्यक्ति 900 रुपये कमरे का किराया, पूरे दिन का खाने का खर्च 350 रुपये)
- सुबह का नाश्ता (चाय , दलिया , दूध , ब्रेड या पूरी)
- दोपहर का खाना (दाल, चावल , सब्जी , रोटी)
- शाम का नाश्ता (चाय बिस्किट)
- रात का खाना (रोटी , सब्जी , दाल)
- जिले के अन्य क्वारंटर सेंटरों में खर्च सीमा 250 रुपये प्रति व्यक्ति
4 उत्तरकाशी
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) 240 रुपये प्रति व्यक्ति
- चाय नाश्ता-सप्ताह में दो दिन दलिया व अंडा, दो दिन परांठा और दही अचार, दो दिन छोला- पूडी व फ्रूट्स और एक दिन ब्रेड पकोड़ा-चटनी व चाय।
- दोपहर का खाना- दाल चावल, रोटी, मिक्स सब्जी, सलाद (दाल में राजमा, अरहर, मूग, चना आदि)
- रात का खाना- दाल, चावल, रोटी, सब्जी और सलाद। सप्ताह में एक दिन झंगोरे की खीर
5 टिहरी
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) 130 से 150 रुपये प्रति व्यक्ति
- यदि पांच से ज्यादा व्यक्ति खाने वाले हों तो दर 130 रुपये और इससे कम हों तो 150 रुपये
- नाश्ता - (परांठा, रोटी सब्जी)
- दिन का खाना (दाल, चावल, रोटी, सब्जी)
- रात का खाना (दाल, चावल, रोटी, सब्जी)
- चाय- सुबह और शाम
6 रुद्रप्रयाग
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) 220 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता - (चार रोटी, सब्जी)
- दिन का खाना (पांच रोटी, दाल, चावल सब्जी, अचार)
- रात का खाना (पांच रोटी, दाल, चावल सब्जी, अचार)
- चाय- सुबह और शाम
- होम क्वारंटाइन में यदि कोई परिवार खाने की मांग करता है तो उसे निगरानी समिति के माध्यम से इन्हीं दरों पर तीनों वक्त का सरकारी खर्चे पर खाना उपलब्ध करवाया जाता है।
7 पौड़ी
- क्वारंटाइन सेंटर (जीएमवीएन के गेस्ट हाउस) 900 रुपये प्रति व्यक्ति कमरे का किराया, खाने का खर्च 450 रुपये
- नाश्ता - रोटी, सब्जी या ब्रेड बटर, फल, बिस्किट, नमकीन
- दिन का खाना रोटी, चावल, सब्जी, दाल, सलाद
- रात का खाना रोटी, सब्जी, दाल, दूध
- चाय- सुबह और शाम
8 ऊधमसिंहनगर
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र, केएमवीएन गेस्ट हाउस) 130 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता- सादा परांठा, दही, अचार
- दिन का खाना - दाल, चावल, रोटी, सब्जी, खीर
- रात का खाना - दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद
- चाय- सुबह और शाम
9 अल्मोडा
- क्वारंटाइन सेंटर (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) कोई दर तय नहीं
- क्वारंटाइन सेंटर में ठहराए गए लोगों के खाने के लिए प्रशासन रोटी बैंक संचालित कर रहा है।
10 पिथौरागढ
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) 150 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता- ब्रेड, फल, परांठा
- दिन का खाना - दो सब्जी, दाल, चावल, रोटी, सलाद
- रात का खाना - दो सब्जी, दाल, चावल, रोटी, सलाद
- चाय- सुबह और शाम
- यहां ज्यादातर सेंटरों में स्वजन ही खाना उपलब्ध करवा रहे हैं।
11 नैनीताल
- क्वारंटाइन सेंटर (केएमवीएन गेस्ट हाउस) 950 रुपये कमरे का किराया, 143 रुपये खाना खर्च
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) 270 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता - ब्रेड, अंडा, रोटी-सब्जी
- दिन का खाना - दाल, रोटी, चावल, सब्जी, सलाद
- रात का खाना- दाल, रोटी, चावल, सब्जी, सलाद
- चाय- सुबह और शाम
12 बागेश्वर
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) 150 रुपये प्रति व्यक्ति
- नाश्ता- कोई व्यवस्था नहीं
- दिन का खाना - सब्जी, दाल, चावल, रोटी,
- रात का खाना - सब्जी, दाल, चावल, रोटी
- चाय- सुबह और शाम
13 चंपावत
- क्वारंटाइन सेंटर (स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र) कोई दरें तय नहीं
- जिला प्रशासन जिले में तीन जगह चंपावत, टनकपुर और लोहाघाट में कम्युनिटी किचन चला रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटाइन किए गए लोगों के स्वजन खाना पहुंचा रहे हैं।
- होटल में क्वारंटाइन होने वालों को अपना खर्च खुद वहन करना पड रहा है।
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बोले मंत्री जी
मदन कौशिक, (सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री) का कहना है कि दरों में अंतर होना स्वाभाविक है, किस जिले में क्या दरें तय की जानी हैं, यह अधिकारी डीएम को है। यदि कहीं कोई विसंगति वाली बात सामने आती है तो इसे दिखवा लिया जाएगा।
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