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दून में सूर्यास्त के बाद पहले दिन पोस्टमार्टम नहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी है 24 घंटे पीएम और वीडियोग्राफी की अनुमति

सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम किए जाने की अनुमति दिए जाने के बाद दून में पहले दिन व्यवस्था नहीं बन पाई और रात को कोई पोस्टमार्टम नहीं हुआ। यहां चार अस्पतालों में पीएम कराए जाने की व्यवस्था है लेकिन ण नई व्यवस्था लागू होने में थोड़ा समय लगने की संभावना है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 01:23 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 01:23 PM (IST)
दून में सूर्यास्त के बाद पहले दिन पोस्टमार्टम नहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी है 24 घंटे पीएम और वीडियोग्राफी की अनुमति
दून में सूर्यास्त के बाद पहले दिन पोस्टमार्टम नहीं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की ओर से सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम किए जाने की अनुमति दिए जाने के बाद दून में पहले दिन व्यवस्था नहीं बन पाई और रात को कोई पोस्टमार्टम नहीं हुआ। यहां चार अस्पतालों में पीएम कराए जाने की व्यवस्था है, लेकिन इंतजाम न होने के कारण नई व्यवस्था लागू होने में थोड़ा समय लगने की संभावना है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अंग्रेजों के समय की व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय लेते हुए 24 घंटे पोस्टमार्टम कराए जाने की अनुमति दी थी। हालांकि यह अनुमति सिर्फ उन्हीं अस्पतालों के लिए थी, जहां पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं हैं। अधिकारियों का कहना है कि अभी गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है, इसके बाद आगे की व्यवस्था बनाई जाएगी।

अस्पतालों में 24 घंटे पोस्टमार्टम करने के केंद्र सरकार के आदेश से उत्तराखंड में दूरदराज के इलाकों में रहने वालों को विशेष तौर पर राहत मिलेगी। वजह यह कि राज्य के कई जिलों में (खासकर पर्वतीय) दूरदराज क्षेत्र में रहने वालों को जिला अस्पताल तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है। सड़कों का न होना या जर्जर होना व यातायात के सीमित संसाधन इस सफर को और भी लंबा कर देते हैं। ऐसे में दिन ढलने के बाद किसी अपने की मृत्यु होने पर स्वजन को उसका शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाने को रातभर इंतजार करना पड़ता है।

अब तक अस्पतालों में पोस्टमार्टम के लिए सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक का समय निर्धारित था। बाकी के वक्त में पोस्टमार्टम कराने के लिए जिलाधिकारी की इजाजत लेनी पड़ती थी। जिलाधिकारी विशेष परिस्थितियों और मामलों में ही निर्धारित से इतर अवधि में पोस्टमार्टम की इजाजत देते थे।

ऐसे में सामान्य वजह से मृत्यु होने के मामले में संबंधित के परिवार को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के लिए घंटों इंतजार करना पड़ जाता था। इससे कई दफा मृत देह को अनावश्यक नुकसान भी पहुंचता था। अब 24 घंटे पोस्टमार्टम होने से पीड़ित परिवार को इन चुनौतियों से दो-चार नहीं होना पड़ेगा। वह अंतिम संस्कार भी समय से कर पाएंगे। इसके अलावा सरकार ने हर पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी का आदेश जारी किया है। इससे विवाद की स्थिति पैदा नहीं होगी।

देहरादून जिले में कोरोनेशन अस्पताल में सबसे ज्यादा दबाव

जिले में देहरादून के अलावा विकासनगर, ऋषिकेश व मसूरी में पोस्टमार्टम होते हैं। इसके अलावा चकराता में विशेष परिस्थिति में ही पोस्टमार्टम की व्यवस्था है। देहरादून शहर में एकमात्र पोस्टमार्टम हाउस कोरोनेशन अस्पताल में है। हर माह यहां 100 से 120 पोस्टमार्टम होते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनोज उप्रेती ने बताया कि केंद्र सरकार के आदेश के बाद अब पीडि़त परिवारों को शाम को पांच बजे के बाद पोस्टमार्टम करवाने के लिए प्रशासन की अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी।

विकासनगर में पोस्टमार्टम हाउस में डीप फ्रीजर, बिजली पानी और संबंधित औजार की पूरी व्यवस्था है। यहां महीने में 15 से 20 पोस्टमार्टम होते हैं। प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रदीप चौहान ने बताया कि 24 घंटे पोस्टमार्टम करने के लिए रात में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी। ऋषिकेश में एम्स में पोस्टमार्टम की व्यवस्था है। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि पोस्टमार्टम गृह में पर्याप्त विद्युत व्यवस्था के साथ अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां एक दिन में अधिकतम आठ पोस्टमार्टम किए जा सकते हैं।

24 घंटे पोस्टमार्टम का आदेश जारी होने के बाद इसी अनुरूप सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। मसूरी में उप जिला चिकित्सालय में पोस्टमार्टम हाउस जीर्णशीर्ण हालत में है। यहां लाइट की पर्याप्त व्यवस्था तक नहीं है। अस्पताल के सीएमएस यतेंद्र सिंह ने बताया कि अभी महीने में चार से पांच पोस्टमार्टम होते हैं। टिहरी के थत्यूड़ और नैनबाग क्षेत्र की आबादी भी पोस्टमार्टम के लिए मसूरी पर ही निर्भर है। नए पोस्टमार्टम हाउस के लिए प्रस्ताव मांगा गया था, लेकिन अभी जमीन नहीं मिल पाई है।

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