यहां 'द्रोणाचार्य' के बिना एकलव्य बनने का सपना संजो रहे जूडो खिलाड़ी, जानिए
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में पिछले दो साल से जूडो का कोच नहीं है ऐसे में खिलाड़ी बिना द्रोणाचार्य के ही एकलव्य बनने का सपना संजोए बैठे हैं।
देहरादून, जेएनएन। कहते हैं कि एक साधारण खिलाड़ी को एकलव्य बनाने में माता-पिता से अहम योगदान कोच का रहता है, लेकिन महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की व्यवस्थाएं इससे इतर हैं। कॉलेज में पिछले दो साल से जूडो का कोच नहीं है, ऐसे में खिलाड़ी बिना द्रोणाचार्य के ही एकलव्य बनने का सपना संजोए बैठे हैं।
16 जुलाई 1993 को रायपुर में खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की स्थापना की गई। नाममात्र के छात्रों से शुरू हुए कॉलेज में वर्तमान में करीब 300 छात्र हैं। इस अंतराल में कॉलेज ने कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी दिए। लेकिन, 26 सालों में कॉलेज का संरचनात्मक ढांचा ही पूर्ण हो सका, जिसका खामियाजा जाहिर है खिलाडिय़ों को उठाना पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण कॉलेज का जूडो विभाग है। कॉलेज में पिछले दो साल से जूडो का कोच नहीं है, बीच में एक-दो महीने के लिए अस्थायी कोच की व्यवस्था की गई, लेकिन वह भी खिलाड़ियों को मंझधार में छोड़ कर जाते रहे। ऐसे में खिलाड़ी पूरा दिन इधर-उधर टहल कर अपना समय व्यतीत कर रहें है।
इसे देख सवाल यह भी उठता है कि जब कॉलेज के पास प्रशिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, तो खिलाडिय़ों का चयन कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। स्पोर्ट्स कॉलेज के ढांचे की बात करें तो कॉलेज में कोच के 72 पद हैं। इनमें 53 स्थायी और 17 संविदा के हैं। दुर्भाग्य देखिए कि नियमित में केवल 12 पद ही भरे गए हैं। वहीं, पिछले 26 साल में कॉलेज ने 18 प्रभारी प्रधानाचार्य देखे हैं। जबकि प्रभारी की व्यवस्था तब तक थी, जब तक स्थायी प्रधानाचार्य न मिल जाए। पूर्व खेल मंत्री रहे राजेंद्र भंडारी के समय की संविदा पर पद भरने की परंपरा आज तक चली आ रही है। कॉलेज में चल रहे खेलों में भी अधिकांश में संविदा पर प्रशिक्षक रखे गए हैं। कॉलेज की व्यवस्था कई बार पटरी से उतर चुकी है, लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नहीं है।
कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. धर्मेंद्र भट्ट ने बताया कि शासन से जूडो प्रशिक्षक के लिए स्वीकृति मांगी गई है, स्वीकृति मिलते ही कॉलेज के लिए स्थायी प्रशिक्षक की व्यवस्था की जाएगी।
यह भी पढ़ें: स्वतंत्रता के सारथी: शिक्षकों के संकल्प ने बनाया नए स्वरूप का आदर्श विद्यालय
यह भी पढ़ें: यहां बेटियों की बैंड टीम दे रही नारी सशक्तीकरण का संदेश, इस शिक्षक की है ये अनोखी पहल
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप