निरीक्षण के बाद संवासिनियों के देखरेख पर उठे सवाल
नारी निकेतन और बाल गृहों की व्यवस्थाओं में सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है। 115 संवासिनियों की निगरानी केवल एक अधीक्षक के भरोसे छोड़ी गई है।
देहरादून, [जेएनएन]: हाई कोर्ट और केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद राजधानी के नारी निकेतन और बाल गृहों की व्यवस्थाओं में कोई खास सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है। बात नारी निकेतन की करें तो यहां संचालित तीन केंद्रों में रह रही 115 संवासिनियों की निगरानी केवल एक अधीक्षक के भरोसे छोड़ी गई है।
इनमें मानसिक रूप से अस्वस्थ, सामान्य और विधि-विवादित तीन श्रेणियों की संवासिनियां हैं। जबकि, इसके लिए तीन अधीक्षक की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे संवासिनियों की सही से देखरेख भी नहीं हो पा रही है। जिला बाल कल्याण समिति के औचक निरीक्षण में यह गंभीर खामी सामने आई है। वहीं, नारी निकेतन के मुख्य गेट के बाहर रखे कूड़ेदान को भी संवासिनियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया गया है।
बुधवार सुबह जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कविता शर्मा व वरिष्ठ सदस्य डॉ. सुधा देवरानी ने केदारपुरम स्थित नारी निकेतन का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मुख्य गेट पर प्रवेश करने से पहले ही सदस्यों की नजर कूड़ेदानों पर पड़ी, जिससे दुर्गंध आ रही थी और जमीन पर कूड़ा बिखरा पड़ा था। ऐसे ही तीन बड़े कूड़ेदान रखे गए थे। उन्होंने कूड़ेदानों को हटवाने के निर्देश दिए। सदस्यों ने नारी निकेतन में संवासिनियों के स्वास्थ्य का हाल भी जाना। इसके बाद स्टाफ के बारे में जानकारी ली तो केवल एक अधीक्षक पर 115 संवासिनियों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपने पर आपत्ति जताई और तीन अधीक्षक की जरूरत महसूस की गई। बाद में संवासिनियों के रहने, खाने समेत तमाम व्यवस्थाएं भी जांची। हालांकि सभी व्यवस्थाएं बेहतर बताई गई।
चार संवासिनियां बालिका निकेतन में होंगी शिफ्ट
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नारी निकेतन में क्षमता से अधिक संवासिनियां रखने के मामले का संज्ञान लिया है। बुधवार दोपहर आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी व सदस्य शारदा त्रिपाठी बालिका निकेतन व शिशु निकेतन का निरीक्षण करने पहुंची। आयोग की अध्यक्ष ने बालिका निकेतन की अधीक्षक मीना सिंह से बालिकाओं की जानकारी मांगी।
इस पर नेगी ने नारी निकेतन में रखी 18 वर्ष से कम उम्र की चार संवासिनियों को वापस बालिका निकेतन में शिफ्ट करने के आदेश दिए। कहा कि नारी निकेतन में संवासिनियों से इंफेक्शन फैलने की आशंका है। इसके अलावा अन्य राज्यों के रह रहे 14 बाल-बालिकाओं को जिला बाल कल्याण समितियों के माध्यम से उनके गृह राज्य भेजने को कहा। आयोग के सदस्यों ने कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती एक बालिका के स्वास्थ्य का हाल भी जाना। इस दौरान आयोग की अध्यक्ष ने वार्ड में सफाई की कमी व कंबल की व्यवस्था न होने पर भी कर्मचारियों को फटकार लगाई।
यह भी पढ़ें: अचानक नारी निकेतन पहुंची राज्यपाल, अव्यवस्थाओं पर नाराज; हर माह देनी होगी रिपोर्ट
यह भी पढ़ें: वायरल के चलते के 23 संवासिनियां हुई बीमार
यह भी पढ़ें: कल्चर टेस्ट: कर्मचारियों की कमी बन रही रोड़ा, जानिए क्यों होता है ये टेस्ट