विकासनगर में सिर्फ नाम का ट्रामा सेंटर
विकासनगर नगर के उप जिला चिकित्सालय परिसर में स्थित ट्रामा सेंटर सिर्फ नाम का है। यहां लोकर्पण के बाद से आज तक मेडिकल सुविधाएं और स्टाफ की तैनाती नहीं की गई।
जागरण संवाददाता, विकासनगर: नगर के उप जिला चिकित्सालय परिसर में स्थित ट्रामा सेंटर सिर्फ नाम का है। बिना मेडिकल सुविधाओं के ही ट्रामा सेंटर का लोकार्पण किया गया था, तब से अब तक ट्रामा सेंटर मेडिकल सुविधाओं से नहीं जुड़ पाया। वर्तमान में ट्रामा सेंटर में मात्र एक आर्थो सर्जन ही तैनात है, जबकि ट्रामा सेंटर में निश्चेतक, जनरल सर्जन, फार्मेसिस्ट, वार्ड ब्वाय, आइसीयू, ब्लड यूनिट, एमआरआइ, सिटी स्कैन की सुविधा होनी चाहिए। जिम्मेदारों की मानें तो अब ट्रामा सेंटर को उप जिला चिकित्सालय में विलय कर बेहतर मेडिकल सुविधाएं विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।
जौनसार-बावर में बड़े सड़क हादसे होने पर मरीजों को देहरादून ले जाना पड़ता था। विकासनगर में ही घायलों को पर्याप्त उपचार मिले, इसको देखते हुए सीएचसी विकासनगर परिसर में ट्रामा सेंटर बना। जिस समय लोकार्पण हुआ, उस समय मात्र ट्रामा सेंटर का भवन बना हुआ था, अंदर कोई भी मेडिकल सुविधा नहीं थी। कई साल बाद यहां पर आर्थो सर्जन की तैनाती की गई और आपरेशन थियेटर की सुविधा विकसित की गई, लेकिन अन्य सुविधाएं अभी तक नहीं हैं। यहां पर कभी भी मानकों के अनुसार मेडिकल सुविधाएं, चिकित्सक और अन्य स्टाफ बढ़ाने की कवायद नहीं की गई। उप जिला चिकित्सालय में तैनात एक मात्र निश्चेतक चिकित्सक को हड्डी के आपरेशन के दौरान वहां जाना पड़ता है, ऐसे में दो आपरेशन थियेटर के लिए एक निश्चेतक की ही तैनाती है। सीएचसी रहते अस्पताल में कुछ समय तक ब्लड यूनिट भी संचालित की गई, जो अब ठप पड़ी है। इसके चलते ब्लड के लिए मरीज के तीमारदार को देहरादून की दौड़ लगानी पड़ती है। उपजिला चिकित्सालय बनने के बाद भी ब्लड यूनिट की शुरुआत नहीं की गई। उधर, उप जिला चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. विजय सिंह के अनुसार अस्पताल में बेहतर मेडिकल सुविधाओं का प्रयास जारी है।
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ट्रामा सेंटर में होनी चाहिए ये सुविधाएं
जौनसार-बावर में आए दिन सड़क हादसों को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने कार्यकाल में विकासनगर सीएचसी में ट्रामा सेंटर का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के समय से ही ट्रामा सेंटर में कोई सुविधा नहीं दी गई। सीएचसी से उच्चीकृत होकर उप जिला चिकित्सालय बनने पर ट्रामा सेंटर को इसमें मिला दिया गया। वर्तमान में ट्रामा सेंटर में आर्थो सर्जन ही तैनात है, जबकि ट्रामा सेंटर में निश्चेतक, जनरल सर्जन, फार्मेसिस्ट, वार्ड ब्वॉय, आइसीयू, ब्लड यूनिट, एमआरआइ, सिटी स्कैन की सुविधा होनी चाहिए, जो नहीं है। वहीं उपजिला चिकित्सालय में निश्चेतक, जनरल सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, इएनटी, फार्मेसिस्ट, वार्ड ब्वाय, स्टाफ नर्स की तैनाती है, लेकिन आइसीयू, ब्लड यूनिट, आक्सीजन बेड की कमी है।
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आक्सीजन बेड की बनाई जा रही व्यवस्था
30 बेड के उप जिला चिकित्सालय विकासनगर में आक्सीजन प्लांट लगाने का काम चल रहा है। डीआरडीओ के माध्यम से पांच सौ लीटर प्रति मिनट आक्सीजन का प्लांट लगाया जा रहा है। जिसके लगने के बाद बेड की क्षमता बढ़ाने का काम भी किया जाएगा। अस्पताल में वर्तमान में मौजूद तीस बेड को आक्सीजन बेड बना दिया जाएगा, जिससे मरीजों को सहुलियत मिलेगी। कोविड ड्यूटी में तैनात चिकित्सक डा. प्रदीप चौहान ने बताया कि उपजिला चिकित्सालय बनने के बाद ट्रामा सेंटर को उप जिला चिकित्सालय में ही मर्ज कर दिया गया है। कोरोना काल में आक्सीजन की कमी की समस्या झेल चुके मरीजों को प्लांट के बाद सहुलियत मिलेगी।
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कहने को उपजिला चिकित्सालय, सुविधाओं की भारी कमी
सीएचसी से उच्चीकृत होकर उपजिला चिकित्सालय तो बन गया, लेकिन अस्पताल में ब्लड यूनिट, आइसीयू, आक्सीजन बेड, ओपीडी कक्ष, फिजिशियन की कमी है। हालत यह है कि चिकित्सकों के लिए बने कक्ष इतने छोटे हैं कि एक चैंबर में दो-दो चिकित्सकों को बैठना पड़ता है। पैथोलाजी लैब भी छोटे से कक्ष में चल रहा है। सीएचसी से उच्चीकृत होने के बाद भी अस्पताल भवन में इजाफा नहीं किया गया। इसके चलते चिकित्सकों को भी ओपीडी में आने वाले मरीजों को देखने में दिक्कतें आती हैं। चिकित्सालय में दो आपरेशन थियेटर हैं, लेकिन बेड की संख्या कम होने की वजह से तमाम तरह की दिक्कतें उठानी पड़ती है। चिकित्सालय भवन में जगह की काफी कमी है।