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नवजात बदलने का मामला: अधर में डीएनए जांच, दुविधा में माता-पिता

दून महिला अस्पताल में दो नवजात शिशुओं को बदलने के मामले में अभी तक डीएनए जांच की पहल आगे नहीं बढ़ पाई। जिसकी वजह से दोनों बच्चों के माता-पिता की दुविधा बरकरार है।

By Edited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 08:18 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 10:24 AM (IST)
नवजात बदलने का मामला: अधर में डीएनए जांच, दुविधा में माता-पिता
नवजात बदलने का मामला: अधर में डीएनए जांच, दुविधा में माता-पिता

देहरादून, जेएनएन। गत माह दून महिला अस्पताल में दो नवजात शिशुओं को बदलने की शिकायत के मामले में अभी तक डीएनए जांच की पहल आगे नहीं बढ़ पाई। डीएनए जांच को सैंपल भेजने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। जिसकी वजह से दोनों बच्चों के माता-पिता की दुविधा बरकरार है। वहीं, अस्पताल प्रशासन व पुलिस एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। इस गैर जिम्मेदाराना रवैये पर बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कड़ी आपत्ति जताई है। बुधवार को बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी व सदस्य शारदा त्रिपाठी ने दून महिला अस्पताल में पहुंचकर संबंधित मामले में डीएनए जांच की प्रगति की जानकारी ली।

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अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने डीएनए सैंपल ले लिए थे, अब सैंपल प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। इसमें पुलिस के अधिकारियों की भी अहम भूमिका है, लेकिन वहां से ज्यादा सहयोग नहीं मिल रहा है। इस पर नेगी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रकरण को एक माह से अधिक हो गया है, लेकिन डीएनए जांच में कोई प्रगति होती नजर नहीं आ रही है। कहा कि बच्ची संभाल रहे माता-पिता दुविधा के चलते परेशान हैं। वे रोजाना आयोग में फोन कर रहे हैं और डीएनए जांच रिपोर्ट जल्द मंगवाने का आग्रह कर रहे हैं।

इस पर अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों ने विश्वास दिलाया कि अस्पताल प्रशासन के स्तर पर शेष प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। यह था मामला गत माह दून महिला अस्पताल में भर्ती डोभालवाला निवासी एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसका बच्चा बदला गया है। आरोप था कि बच्चा पैदा होने पर उसे मां से मिलवाया जाता है, लेकिन अस्पतालकर्मियों ने उन्हें बच्चे से नहीं मिलवाया।

कई घंटों बाद मिलवाया गया। महिला का आरोप था कि उसे लड़का पैदा हुआ है, लेकिन कर्मियों ने बदलकर उन्हें लड़की बताया। इसके बाद महिला ने अगले दो दिन तक बच्ची को दूध भी पिलाने से मना कर दिया था, हालांकि आयोग की सख्ती के बाद उसने दूध पिलाया। इसके बाद आयोग ने सच्चाई जानने के लिए डीएनए जांच कराने का निर्णय लिया था।

प्लास्टिक बोतल पर आपत्ति 

निरीक्षण में आयोग की टीम ने नवजात शिशुओं को प्लास्टिक की बोतल से दूध पिलाए जाने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को प्लास्टिक की बोतल से दूध पिलाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। प्लास्टिक बोतल के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए।

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