अपहृत युवक का नहीं लग पाया कोई सुराग, आखिर क्या है वजह
अपहृत मोती सिंह का सुराग न लग पाने से पुलिस की गुत्थी सुलझने के बजाए उलझती जा रही है। पुलिस ने मामले में नामजद दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया, लेकिन गुत्थी अभी नहीं सुलझी।
विकासनगर, जेएनएन। पांच दिन से अपहृत मोती सिंह का सुराग न लग पाने से पुलिस की गुत्थी सुलझने के बजाए उलझती जा रही है। भले, पुलिस ने मामले में नामजद दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया और उन्होंने हत्या कर शव फेंकने की बात कबूल ली हो, लेकिन शव बरामद ना होना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। पुलिस यह भी नहीं पता लगा सकी कि मोती सिंह का अपहरण क्यों किया गया व अगर उसकी हत्या हुई तो किन कारणों से की गई। दोनों आरोपियों के कबूलनामे पर भी पुलिस संदेह कर रही है। अपहृत मोती सिंह के शव के संदेह को लेकर पुलिस ने रविवार को पूरा दिन शक्तिनहर में गोताखोर उतारकर सर्च ऑपरेशन चलाया मगर शव का कोई पता नहीं चला है। पुलिस मामले में कईं पहलू पर जांच कर रही है, लेकिन शव न मिलने तक चुनौती बरकरार है।
लाइन जीवनगढ़ में तारा सिंह पुत्र सूरत निवासी ग्राम झिटाड़ का पिछले एक साल से मकान बन रहा है। 16 जनवरी की सायं त्यूणी से मोती सिंह और तारा सिंह कार से विकासनगर आए थे। कुछ समय बाद मोती अपने दोस्त संजय के साथ बाल कटाने के लिए बाजार चला गया, लेकिन वापस नहीं लौटा। जब तारा सिंह ने संजय से मोती के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मोती को डेंटर नदीम व अहसान अपने साथ ले गए हैं।
अगले दिन तारा सिंह अपने लापता पुत्र मोती के संबंध में जानकारी करने डेंटर के पास पहुंचे तो डेंटर संचालक ने बताया कि तुम्हारी कार कुछ समय पहले नदीम चला रहा था, जो अकेला था। जब तारा सिंह ने नदीम से संपर्क साधा तो उसने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि मोती उसे कार देकर गांव चला गया है। जिसके बाद तारा सिंह ने नदीम पुत्र नसीम व अहसान पुत्र इखलाख निवासीगण नवाबगढ़ के खिलाफ बेटे मोती के अपहरण की तहरीर दी। साथ ही अनहोनी की आशंका भी जताई। जिस पर पुलिस ने नदीम व अहसान के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कर तलाश शुरू की।
जांच में पुलिस को मालूम चला कि घटना वाली शाम अहसान और नदीम के साथ मोती का झगड़ा हुआ था। पुलिस ने उस निर्माणाधीन मकान में भी जाकर जांच की, ताकि झगड़े के दौरान मोती के साथ कोई अनहोनी हुई होगी, तो उसके साक्ष्य मिलेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला। बाद में नदीम व अहसान को हिरासत में लिया गया तो उन्होंने खाने पीने के दौरान झगड़े और उसके बाद मोती की हत्या करने की बात बताई। हालांकि, पुलिस अभी गफलत में है कि दोनों सच बोल रहे हैं या नहीं। उधर, रविवार रात पुलिस ने आरोपियों पर अपहरण के संग हत्या का मुकदमा भी दर्ज कर लिया। उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है, ताकि असल वजह सामने आ सके।
दिनभर चला सर्च ऑपरेशन, लेकिन नहीं लगा सुराग
शक्तिनहर व इंटेक में झिटाड़ के युवक के शव की तलाश में एसडीआरएफ ने रविवार को मोर्चा संभाला। बोट के जरिए एसडीआरएफ, जल पुलिस की टीमों ने ढकरानी पावर हाउस इंटेक व नहर में शवको तलाश किया। शक्तिनहर का पानी कम कराया गया। एसडीआरएफ ने नहर में जगह-जगह कांटे फेंके, कैमरा पानी में डालकर कोशिश की, लेकिन अभी तक युवक का कोई सुराग नहीं लग पाया।
दरअसल 16 जनवरी से लापता झिटाड़ निवासी मोती सिंह के के पिता तारा सिंह ने 17 जनवरी को कोतवाली में बेटे के अपहरण में दो आरोपितों अहसान व नदीम के खिलाफ तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। तारा सिंह ने अनहोनी की आशंका जतायी थी। इस पर जल पुलिस से शक्तिनहर में सर्च अभियान चलया, लेकिन शनिवार रात लोगों ने कोतवाली का घेराव कर युवक का सुराग जल्द लगाने के लिए एसडीआरएफ टीम को भी रेस्क्यू में शामिल करने की मांग की थी।
रविवार को एसडीआरएफ टीम पूरे संसाधनों के साथ इंटेक पहुंची। नहर का पानी कम कराकर टीम ने सर्च अभियान चलाया। पानी में कांटे डाले गए, कैमरे भी डाले गए, लेकिन मोती का कुछ पता नहीं चल पाया। एसपी देहात पदमेंद्र डोभाल के अनुसार मामले में मुख्य दोनों आरोपितों से पूछताछ की जा रही है, जिन्होंने भी खाने पीने के दौरान झगड़ा होने पर मोती को नहर में डालने की बात स्वीकारी है, लेकिन अभी तक नहर में मोती का पता नहीं चल पाया है। सोमवार को भी तलाश जारी रहेगी। वहीं, एडीएम अरविंद पांडेय ने भी रविवार देर शाम नगर क्षेत्र में पहुंचकर घटनाक्रम की जानकारी ली और कानून व्यवस्था कड़ी रखने के निर्देश पुलिस को दिए।
पुलिस ने शुरुआत में हल्के में लिया मामला
रविवार को नगर के डाकपत्थर तिराहे पर दिल्ली यमुनोत्री हाईवे जाम कर रही आक्रोशित भीड़ के उग्र रूप को देखकर देहरादून के थानों तक से पुलिस बुलानी पड़ी। शुरुआत में पुलिस ने मामले को हल्के में लिया, लेकिन भीड़ बढऩे पर नारेबाजी व जबरन बाजार बंद कराने पर पुलिस व प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन में भारी संख्या में पुलिस व पीएसी मंगायी गयी। देहरादून शहर कोतवाली कोतवाल एसएस नेगी, थानाध्यक्ष सहसपुर नरेश राठौर, एसओ प्रेमनगर दिलबर नेगी, कालसी थानाध्यक्ष विपिन बहुगुणा भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस बल ने माहौल संभालने के लिए सुबह से ही लोगों को समझाते रहे। दो प्लाटून पीएसी भी मौके पर मंगाने पर पूरा बाजार पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। पुलिस के पास लाठीचार्ज के दौरान हेल्मेट, सुरक्षा जैकेट आदि की कमी भी दिखाई दी, लेकिन कम संसाधन के बाद भी पुलिस ने स्थिति को संभाला और जाम लगाकर पथराव करती भीड़ को खदेड़ा।
गलियों में किया फ्लैग मार्च
आक्रोशित भीड़ को तितर-बितर करने के बाद पुलिस ने मुख्य बाजार व नगर की गलियों में फ्लैग मार्च किया। पुलिस ने माइक से एनाउंस कर व्यापारियों से दुकान खोलने की अपील की। पुलिस के फ्लैग मार्च से कानून व्यवस्था में सुधार हुआ। दरअसल जबरन बाजार बंद कराने से व्यापारियों में आक्रोश देखा गया। कई व्यापारियों ने कहा कि यदि व्यापार मंडल को विश्वास में लेकर बाजार बंद करने की मांग की जाती, तो व्यापारी स्वत: ही बाजार बंद कर लेते, लेकिन जिस तरह से जबरन बाजार बंद कराया गया। वह तरीका सही नहीं था।
संवेदनशील मामले में पुलिस ने नहीं दिखाई गंभीरता
पांच दिन से युवक का कोई सुराग हाथ न लगने से आक्रोशित लोगों की रविवार को विकासनगर में भीड़ जुटने की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल होती रही, बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। संवेदनशील मामले में गंभीरता न दिखाने से भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस के लाठी चार्ज से कई निर्दोष लोग भी बेवजह पिट गए।
रविवार को विकासनगर में सैकड़ों लोगों की भीड़ आंदोलन के लिए जुटने की संभावना पहले से जताई जा रही थी। त्यूणी क्षेत्र के लापता युवक की हत्या की आशंका के चलते जनता में भारी आक्रोश था। रविवार सुबह बड़ी संख्या में लोग डाकपत्थर व विकासनगर में एकत्र हुए। जहां से सैकड़ों लोग जुलूस की शक्ल में बाजार आए। संवेदनशील मामला होने के बावजूद पुलिस-प्रशासन ने इसे हल्के में लिया। नतीजन भीड़ ने विरोध प्रदर्शन के बाद हाईवे पर जाम लगा दिया। भारी भीड़ जुटने की सूचना सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद भी पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त नहीं किए।
जिससे भीड़ तंत्र का हिस्सा बने कुछ हुड़दंगियों के पथराव करने से स्थिति बेकाबू हो गई। पुलिस-प्रशासन ने आक्रोशित जनता को शांत कराने के लिए समय रहते कोई उपाय नहीं किए। हालात बिगड़ने पर पर भीड़ को तितर-फितर करने के लिए पुलिस-प्रशासन लाठियां भांजनी पड़ी। इससे बाजार में सामान खरीदाने व अस्पताल में उपचार कराने आए कई निर्दोष लोग बेवजह पुलिस की लाठी का शिकार हो गए। लोगों ने कहा पुलिस-प्रशासन को भीड़ जुटने की सूचना मिलने से शहर में शांति व्यवस्था बनाने को पहले से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए थे। अगर सुरक्षा व्यवस्था पहले से मजबूत होती तो लाठीचार्ज करने की नौबत नहीं आती।
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