महिला अस्पताल में लापरवाही की इंतहा
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून महिला अस्पताल में लापरवाही की इंतहा देखिए। यहां मरीज भगवान भरोसे है
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून महिला अस्पताल में लापरवाही की इंतहा देखिए। यहां मरीज भगवान भरोसे हैं। एक दिन पहले हुई जच्चा-बच्चा की मौत के बाद भी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं दिखा। शुक्रवार को भी महिलाएं परेशान होती रहीं।
भगवानपुर हरिद्वार निवासी आठ माह की गर्भवती एक दिव्यांग महिला आशा (28) के पेट में दस दिन से बच्चा मृत है, पर चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती होने पर उसे बेड तक नहीं मिला। वह बरामदे में व्हील चेयर पर बैठी रही। आरोप है कि चिकित्सकों ने उसके ऑपरेशन में भी देरी की। मीडिया के अस्पताल पहुंचने पर उसे लेबर रूम में ले जाया गया। यहां दून निवासी बहन उनकी देखरेख कर रही है। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड कराने पर डॉक्टर ने बताया कि उनका बच्चा पिछले दस दिन पहले मर गया है। तब से वह लोग ऑपरेशन करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसी ने सुना नहीं। ऑपरेशन करने में डॉक्टर आनाकानी करते रहे। उन्हें खतरा है कि कही पेट में मृत बच्चे की वजह से उसकी जान जोखिम में न पड़ जाए। उधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि अल्ट्रासाउंड जाच में बच्चा मृत पाया गया था। खून की कमी के चलते उसका ऑपरेशन नहीं किया गया। ब्लड बैंक से खून उपलब्ध हो गया है। अब खून चढ़ाकर उसका ऑपरेशन कर दिया जाएगा।
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स्ट्रेचर पर तड़पती रही महिला
हरिद्वार के सिंघद्वार की एक महिला छह दिन से अस्पताल में स्ट्रेचर पर तड़प रही है। शुक्रवार को परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज न देने का आरोप लगाकर हंगामा किया। उनका कहना था कि उसके टाके खराब हो गए हैं। अब पेट में रसोली बता दी गई है, पर कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। महिला के पति द्वारिका ने बताया कि उनकी पत्नी किरण का चार तारीख को ऑपरेशन हुआ था। दिक्कत हुई तो छह दिन पहले वह उसे अस्पताल ले आए। लेकिन यहां बेड नहीं मिला। परिजनों ने कहा कि डॉक्टर प्राइवेट में ले जाने की सलाह दे रहे हैं, पर कोई लिखकर देने को तैयार नहीं। इस पर प्राचार्य का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसकी जानकारी की जाएगी।