निर्जला एकादशी का व्रत रख की भगवान विष्णु की पूजा
सालभर में 24 एकादशी के समतुल्य व्रत फल पाने के लिए साधक आज निर्जला एकादशी का व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा की।
देहरादून, जेएनएन। 24 एकादशी का व्रतफल पाने के लिए आज निर्जला एकादशी पर व्रती उपवास के साथ जरूरतमंदों को दान किया। व्रतियों ने प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित किया। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी अर्पित किया। श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप कर सुख स्मृद्धि की कामना की। व्रत के बाद लोगों ने आदर्श मंदिर पटेलनगर, मां स्वर्गापुरी मंदिर निरंजनपुर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, शनि मंदिर देहराखास, प्राचीन शिव मंदिर धर्मपुर, श्याम सुंदर मंदिर के बाहर जरूरतमंदों को खजूर के पत्तों के बने पंखे, सुराही, घड़े आदि बांटे। इसके साथ ही मन्दिरों के बाहर शर्बत पिलाकर पुण्य कमाया।
ऋषिकेश में लोगों ने गंगा तट पर पूजा अर्चना और दान पुण्य किया
निर्जला एकादशी का व्रत तीर्थनगरी में विधि विधान के साथ मनाया गया। लोगों ने गंगा तट पर पूजा अर्चना और दान पुण्य किया। एकदशी के दिन प्रातः सूर्योदय के साथ ही स्नान ध्यान के साथ भगवान विष्णु की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। श्रद्धालु निर्जला एकादशी पर पूरे दिन भगवान का स्मरण-ध्यान व जाप करते हैं। पूरे दिन और एक रात व्रत रखने के बाद अगली सुबह सूर्योदय के बाद पूजा करके गरीबों, ब्रह्मणों को दान या भोजन कराया जाता है। इसके पश्चात ही भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। मान्यता है इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने वाले मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। तीर्थनगरी में मंगलवार को निर्जला एकादशी पर श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर सुख शांति ऐश्वर्या की कामना की। ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट सहित आसपास के गंगा तटों श्रद्धालुओं ने मान्यतानुसार मिट्टी के घड़े, सूप व हाथ के पंखों का दान किया। हालांकि अनलॉक-1 में अभी तक गंगा घाटों पर स्नान और पूजा-पाठ आदि की इजाजत नहीं है। जिससे गंगा घाटों पर बहुत कम संख्या में ही लोग स्नान व पूजा पाठ के लिए पहुंचे थे। निर्जला एकादशी पर नगर के बाजार में भी खासी चहल-पहल नजर आई।
सनातन धर्म के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला (बिना पानी का उपवास) एकादशी या भीमा एकादशी मनाई जाती है। इस बार मंगलवार को निर्जला एकादशी पड़ रही है। साधक भगवान विष्णु की पूजा और व्रत उपासना करेंगे। पूजा की तैयारियों के लिए सोमवार दोपहर से ही बाजारों में हनुमान मंदिर चौक, पलटन बाजार में पूजा की दुकानों के बाहर लोगों की भीड़ रही। इसके साथ ही सहारनपुर चौक, पटेलनगर में लोगों ने खरबूजे, चकराता रोड स्थित बिंदाल पुल के पास घड़ा, सुराही और खजूर की छाल से बने पंखे की खरीदारी की। आचार्य डॉ. सुशांत राज, अमन शर्मा की माने तो निर्जला एकादशी व्रत का समस्त एकादशियों में सबसे ज्यादा महत्व है। एकादशी दो तरह की होती है एक शुद्धा और दूसरी वेद्धा। यदि द्वादशी तिथि को शुद्धा एकादशी दो घड़ी तक भी हो तो उसी दिन व्रत करना चाहिए। शास्त्रों में दशमी से युक्त एकादशी व्रत को निषेध माना गया है।
इस तरह करें पूजा
सुबह से ही जल ग्रहण नहीं करना है। स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को जल और गंगाजल से स्नान करवाएं। उन्हें व्रत अर्पित कर रोली चंदन का तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। मिठाई और फल के साथ तुलसी का पत्ता रखकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं और घी का दीपक जलाए। भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और जाप करें। इस दिन कुछ लोग दान भी करते हैं। व्रती जल से भरे कलश को सफेद कपड़े से ढक कर रख दें और उस पर चीनी व दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दें और गरीबों को भी दान करें, तभी निर्जला एकादशी व्रत का विधान पूरा होता है। व्रत खोलने के बाद ही जलपान करें।
पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी एक जून को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर दो जून को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रही है। व्रती इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक कर सकते हैं।