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एनएच 74 प्रकरण पर दबाव की राजनीति शुरू

राष्ट्रीय राजमार्ग 74 मुआवजा घोटाले में अब दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। अब सफेदपोशों के नाम सार्वजनिक करने का भय दिखाकर मामले में दबाव डालने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, जिस तरह से सरकार ने इस मामले में तेवर प्रदर्शित किए हैं, उसे देखते हुए यह दबाव कितना काम करेगा, यह समय आने पर ही पता चलेगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 09:40 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 09:40 PM (IST)
एनएच 74 प्रकरण पर दबाव की राजनीति शुरू
एनएच 74 प्रकरण पर दबाव की राजनीति शुरू

राज्य ब्यूरो, देहरादून: राष्ट्रीय राजमार्ग 74 मुआवजा घोटाले में अब दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। अब सफेदपोशों के नाम सार्वजनिक करने का भय दिखाकर मामले में दबाव डालने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, जिस तरह से सरकार ने इस मामले में तेवर प्रदर्शित किए हैं, उसे देखते हुए यह दबाव कितना काम करेगा, यह समय आने पर ही पता चलेगा।

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एनएच 74 घोटाले में इस समय एसआइटी का आरोपितों पर शिकंजा कसता ही जा रहा है। 300 करोड़ रुपये के अनुमानित घोटाले में अभी तक सात पीसीएस अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि एक अन्य सेवानिवृत पीसीएस को भी चार्जशीट दी गई है। इनमें से कुछ अभी सलाखों के पीछे हैं। अब एसआइटी इस मामले में तकरीबन 52 लोगों को चार्जशीट देने की तैयारी कर रही है। इस मामले में बड़े अधिकारियों का नाम सामने आने पर घोटाले में शामिल सफेदपोशों में भी खलबली मची हुई है। अब इस जांच की आंच से बचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। इसके लिए अभी तक जांच के दायरे से बाहर रहे लोगों तक यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है कि यदि उन पर आंच आई तो फिर सबके राजफाश किए जा सकते हैं। तमाम प्लेटफार्म के जरिये इस तह की बातें सामने भी आ रही हैं। यहां तक कि पूरे प्रकरण को अब क्षेत्र में बांटते हुए दूसरा रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। आर्बिट्रेशन के 15 मामलों में उठाए हैं सवाल

मामले में दो आइएएस अधिकारियों का नाम आर्बिट्रेटर के रूप में शामिल किया गया है। दरअसल, एसआइटी ने अपनी जांच में वर्ष 2011 से वर्ष 2016 के बीच आर्बिटेशन के 15 मामलों पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, अब यह बात भी उठाई जा रही है कि क्या एसआइटी आर्बिट्रेशन के मामलों की जांच कर सकती है या नहीं। फिलहाल इस मामले में अब बचने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जांच पूरी होने तक रिलीव नहीं होंगे दाते

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर साफ किया है कि जब तक एनएच-74 मुआवजा घोटाले की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक एसएसपी ऊधमसिंह नगर सदानंद दाते को केंद्र के लिए रिलीव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र से अनुरोध किया जाएगा। दरअसल, एसएसपी सदानंद दाते को प्रतिनियुक्ति पर सीबीआइ में जाना है। सीबीआइ प्रदेश सरकार से उन्हें रिलीव करने का अनुरोध कर चुकी है।


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