Move to Jagran APP

कैसे सुधरेगा यातायात, जब आठ साल में भी चौड़ा नहीं हो सका यह हाईवे

उत्‍तराखंड में सड़कों का हाल बेहाल है। करीब आठ साल बाद भी एनएच-58 का रुड़की-हरिद्वार के बीच का हिस्सा अधर में लटका है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 02:08 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 02:08 PM (IST)
कैसे सुधरेगा यातायात, जब आठ साल में भी चौड़ा नहीं हो सका यह हाईवे
कैसे सुधरेगा यातायात, जब आठ साल में भी चौड़ा नहीं हो सका यह हाईवे

देहरादून, [जेएनवएन]: एनएच-58 का रुड़की-हरिद्वार के बीच का हिस्सा करीब आठ साल बाद भी अधर में लटका होने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने तल्ख तेवर अपनाए हैं। इस अनदेखी पर कार्यदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। यह मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राजमार्ग का हिस्सा है, जिसका काम हरिद्वार हाईवेज प्रोजेक्ट लि. (एचएचपीएल) के पास था। इसके अगले पैकेज की बात करें तो हरिद्वार से देहरादून के बीच चौड़ीकरण का कार्य भी एक-साथ शुरू किया गया था और यह काम एचएचपीएल की ही अन्य कंपनी एरा इंफ्रा के पास था। नवंबर 2010 में शुरू किए गए चौड़ीकरण को अक्टूबर 2013 तक पूरा किया जाना था। इसके बाद निर्माण कंपनी एरा इंफ्रा को दो बार की डेडलाइन देने के बाद भी काम 50 फीसद से आगे नहीं बढ़ पाया। मजबूरन 2018 में कंपनी से काम वापस लेना पड़ा।

loksabha election banner

आज स्थिति यह है कि हरिद्वार से देहरादून के बीच का 39 किलोमीटर भाग डेंजर जोन में तब्दील हो गया है। इस पूरे राजमार्ग पर कहीं पर भी स्ट्रीट लाइट्स तो दूर की बात सड़क का आकार-प्रकार बताने वाले रिफ्लेक्टर तक नहीं लगे हैं। एरा इंफ्रा को यह काम बीओटी (बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर) मोड में दिया गया था। यानी कि कंपनी को अपने खर्चे पर निर्माण करना था और फिर 20 साल तक कंपनी ही राजमार्ग का रखरखाव भी करती। इस पर लगने वाले टोल टैक्स से होने वाली आय कंपनी के खाते में जाती और यही उसका मुनाफा भी था। हालांकि यह तब हो पाता, जब निर्माण कार्य पूरा किया जाता।

कंपनी को दिए गए अवसर पर अवसर

- दोनों पैकेज पर 2013 में काम पूरा न करने पर कंपनी को सितंबर 2016 तक काम पूरा करने की छूट दी गई।

- इसके बाद दिसंबर 2017 तक का समय दिया गया।

- इस बीच जब कंपनी से काम वापस लेने की कवायद की गई तो जिन बैंकों से कंपनी ने ऋण लिया था, उनके आग्रह पर कंपनी से काम नहीं छीना गया ताकि बैंकों का कर्ज न डूबे।

- इसी बीच कंपनी ने काम दोबारा आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से 280 करोड़ रुपये की मांग की।

- पीएम मोदी की हां के बाद यह राशि भी स्वीकृत कर दी गई।

- हालांकि कंपनी के काम को देखते हुए राशि जारी नहीं की गई और 2018 में दोनों पैकेज का काम एचएचपीएल व एरा इंफ्रा से वापस ले लिया गया।

बढ़ा कर्ज का मर्ज तो किए हाथ खड़े

- परियोजना की कुल लागत करीब 1200 करोड़ रुपये थी।

- इसमें से 736 करोड़ रुपये कंपनी ने बैंकों से ऋण के रूप में लिए थे।

- काम तो पूरा हुआ नहीं, जबकि कर्ज का ब्याज ही 800 करोड़ रुपये हो गया।

- जबकि निर्माण की लागत अब दोनों पैकेज को मिलाकर 2000 करोड़ रुपये को पार कर गई है।

306 करोड़ के काम का भुगतान नहीं

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक पंकज मौर्य के अनुसार हरिद्वार-देहरादून रामजार्ग पर एरा इंफ्रा ने करीब 306 करोड़ रुपये का काम किया है। इसका कोई भी पैसा कंपनी को नहीं दिया जाएगा। यह राशि उन बैंकों को लौटाई जाएगी, जहां से कंपनी ने ऋण लिया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार प्राधिकरण मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों से कैसे हटेगा अतिक्रमण

हाई कोर्ट के आदेश में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों से अतिक्रमण भी हटाए। इस काम के लिए सरकार को छह माह का समय दिया गया है। इस समय प्रदेश में करीब 2954 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग है, जबकि राज्य राजमार्गों की लंबाई करीब 5000 किलोमीटर है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि सरकार इस आदेश के अनुपालन के लिए क्या रणनीति अपनाती है।

हाई कोर्ट का यह आदेश वाकई सुगम यातायात की उम्मीद जगाता है। हालांकि मौजूदा परिस्थितियों में यह किसी चुनौती से कम नहीं है। इसकी बड़ी वजह यह कि आज तक लोनिवि व राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों ने अतिक्रमण को चिह्नित करने तक की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इतना जरूर है कि किसी अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर अधिकारी नोटिस भेजकर कर्तव्यों की इतिश्री जरूर कर देते हैं। फिर यह देखने की जहमत भी नहीं उठाई जाती कि नोटिस का असर हुआ भी है या नहीं। उधर, देहरादून के जिलाधिकारी समेत विभिन्न अन्य जिलाधिकारियों को भी सुगम यातायात के लिए प्लान तैयार करने को कहा गया है।

यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में सारे अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के दिए आदेश

यह भी पढ़ें: जिनकी लापरवाही से एनएच 58 के निर्माण में हुई देरी, उनके खिलाफ करें कार्रवाई: हाई कोर्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.