टीएचडीसी व पर्यावरण मंत्रालय को एनजीटी का नोटिस, निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना विष्णुगाड-पीपलकोटी का मामला
पर्यावरणविद् डा. भरत झुनझुनवाला ने एनजीटी में जलविद्युत परियोजना को दी गई पर्यावरणीय स्वीकृति के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि हाट गांव क्षेत्र में पर्यावरणीय स्वीकृति 141.56 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए दी गई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में 444 मेगावाट की निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना विष्णुगाड-पीपलकोटी के मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ निर्माणकर्त्ता टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) को नोटिस जारी किया। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने नोटिस का जवाब विशेषज्ञों की राय के साथ दो माह के भीतर दाखिल करने को कहा है।
पर्यावरणविद् डा. भरत झुनझुनवाला ने एनजीटी में जलविद्युत परियोजना को दी गई पर्यावरणीय स्वीकृति के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि हाट गांव क्षेत्र में पर्यावरणीय स्वीकृति 141.56 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए दी गई है। उन्होंने कहा कि पूर्व में स्वीकृति अगस्त 2007 में 10 साल के लिए दी गई थी। फिर इसे तीन साल बढ़ाया गया और अब इसे अगस्त 2021 तक के लिए बढ़ाया गया था। परियोजना अभी न सिर्फ निर्माणाधीन है, बल्कि इसमें 50 फीसद से भी कम काम हुआ है। दूसरी तरफ विश्व बैंक से स्वीकृत राशि का 50 फीसद भाग (3800 करोड़ रुपये) भी खर्च कर दिया गया। लागत लाभ विश्लेषण (सीबीए) भी परियोजना को छोडऩे के अनुरूप है। इसके अलावा परियोजना में जनसुनवाई को भी दरकिनार किया जा रहा है।
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याचिका में डा. झुनझुनवाला ने आरोप लगाया कि पर्यावरणीय स्वीकृति में आपदा न्यूनीकरण के लिहाज से उचित मूल्यांकन नहीं किया गया। जैसे मृदा क्षरण, ब्लास्टिंग, जल गुणवत्ता में हानि, नदी क्षेत्र की सुदंरता की क्षति व जलीय जैवविविधता को पहुंचने वाले नुकसान को भी नजरंदाज किया गया है। याचिका के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद एनजीटी की पीठ ने भी माना कि प्रकरण में उठाए गए बिंदुओं का समाधान किया जाना जरूरी है।
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