Royal wedding in auli: दो सौ करोड़ की शादी के बाद नवविवाहित जोड़ों ने यहां फिर लिए सात फेरे
नवविवाहित जोड़ों ने त्रियुगीनारायण पहुंचकर दोबारा सात फेरों की रस्म निभाई। मान्यता है कि यहां शिव और पार्वती ने भगवान विष्णु को साक्षी मानकर अखंड अग्निकुंड के फेरे लिए थे।
देहरादून, जेएनएन। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली में परिणय सूत्र में बंधने के बाद गुप्ता बंधुओं के दोनों पुत्र और पुत्रवधु परिवार के साथ त्रियुगीनारायण पहुंचे। यहां नवविवाहित जोड़ों ने उत्तराखंडी परंपराओं के अनुसार मांगल गीतों के बीच उसी अखंड अग्नि कुंड के सात फेरे लिए, जिसके बारे में मान्यता है कि शिव-पार्वती ने भगवान विष्णु को साक्षी मानकर इसके फेरे लिए थे। कहते हैं कि तभी से इस कुंड में अखंड अग्नि प्रज्ज्वलित है। यही वजह है नवविवाहित जोड़ों ने यहां दोबारा फेरों की रस्म निभाई।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के उद्योगपति अजय गुप्ता और अतुल गुप्ता अपने पुत्र- पुत्रवधू सूर्यकांत, कृतिका और शशांक, शिवांगी के साथ ही परिवार के 14 सदस्यों के साथ दोपहर बारह बजे चार हेलीकॉप्टरों से त्रियुगीनारायण हेलीपैड पहुंचे। हेलीपैड पर तीर्थपुरोहित राजेश भट्ट की अगुआई में तीर्थपुरोहितों ने गुप्ता परिवार का फूल मालाओं से स्वागत किया। यहां से पूरा परिवार सीधे त्रियुगीनारायण मंदिर पहुंचा, जहां नवविवाहित जोड़ों ने मंदिर की धर्मशाला में स्थित अखंड अग्नि कुंड के सात फेरे लिए। फेरों की रस्म लगभग दस मिनट चली।
इस दौरान महिला मंगल दल त्रियुगीनारायण से जुड़ी महिलाओं ने गढ़वाली मंगल गीतों की छटा बिखेरी। फेरों की रस्म संपन्न होने के बाद नवविवाहित जोड़ों ने परिवार के साथ 15 मिनट तक मंदिर में पूजा-अर्चना और फिर भगवान त्रियुगीनारायण के दर्शन किए।
विदित हो कि गत 20 और 22 जून को औली में संपन्न हुई गुप्ता परिवार के दोनों बेटों की शादी के दौरान फेरों के लिए त्रियुगीनारायण पहुंचने कार्यक्रम था, लेकिन नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा औली में हेलीकॉप्टरों की उड़ान प्रतिबंधित कर दिए जाने के बाद इस कार्यक्रम में बदलाव किया गया।
मान्यताओं में त्रियुगीनारायण को विवाह के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। इसलिए सेलेब्रिटी यहां विवाह के फेरे लेने के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार भी त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रही है।
दस क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर
गुप्ता परिवार के नवविवाहित जोड़ों के फेरों के लिए त्रियुगीनारायण मंदिर को दस क्विंटल फूलों से सजाया गया था। चार दिन पूर्व ही दो ट्रकों में फूल यहां पहुंचा दिए गए थे। मंदिर को सजाने में 40 कारीगर लगे।
पूरे गांव को दिया शादी का भोज
गुप्ता परिवार के बेटों की शाही शादी के चर्चाओं में आने के बाद रविवार को फेरे लेने पहुंचे नवविवाहिता जोड़ों को देखने के लिए पूरा त्रियुगीनारायण गांव उमड़ पड़ा। यही नहीं आसपास के गांवों के साथ ही सोनप्रयाग से भी बड़ी संख्या में लोग फेरों की रस्म देखने के लिए पहुंचे। इस दौरान गुप्ता परिवार की ओर से सभी के लिए भोज का आयोजन किया गया।
त्रियुगीनरायण दर्शनों से प्रफुल्लित हुआ गुप्ता परिवार
भगवान त्रियुगीनारायण के दर्शन कर पूरा गुप्ता परिवार काफी प्रफुल्लित नजर आाय। उद्योगपति अजय गुप्ता ने कहा कि वह चाहते हैं कि केदारनाथ धाम जाने वाला प्रत्येक यात्री त्रियुगीनारायण आकर दर्शन अवश्य करे। उन्होंने त्रियुगीनारायण मंदिर और मार्ग में स्ट्रीट लाइट लगाने के साथ ही मंदिर में टिन का शेल्टर बनाने का भरोसा तीर्थपुरोहितों को दिलाया।
औली से विदा हुए गुप्ता बंधु, कसरत में जुटा प्रशासन
बेटों की शादी संपन्न कराने के बाद गुप्ता बंधु मेहमानों के साथ औली से विदा हो गए। औली में शादी समारोह के लिए लगे शामियाने भी वापस ले जाए जा रहे हैं। इसके साथ ही अब प्रशासन की कसरत शुरू हो गई है। प्रशासन की टीम यहां पर डेरा डालकर पूरी स्थित का अवलोकन कर रही है। इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी चमोली व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सात जुलाई को नैनीताल हाई कोर्ट में सौंपनी है।
सुबह से ही गुप्ता परिवार के मेहमान औली से विदा होने लगे थे। जबकि यहां लगे टेंट व मंच को रात से हटाने का कार्य शुरू हो गया था, जो रविवार को दिनभर जारी रहा। नगर पालिका जोशीमठ की टीम भी दिनभर कूड़े के निस्तारण में जुटे रही। इधर, हाई कोर्ट के निर्देश के बाद प्रशासन की निगरानी टीम औली में ही डेरा डालकर सारी गतिविधियों की रिकॉर्डिंग कर रही है। बता दें कि हाई कोर्ट ने चमोली जिला प्रशासन को औली में पर्यावरण संबंधी मानकों का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए थे।
स्थानीय उत्पादों से दस लाख की कमाई
शादी समारोह में जोशीमठ की छह संस्थाओं की ओर से लगाए गए लगाए गए स्थानीय उत्पादों के स्टालों में भी गुप्ता परिवार के मेहमानों ने जमकर खरीदारी की। बताया जा रहा कि स्थानीय उत्पादों की लगभग दस लाख रुपये से अधिक की बिक्री हुई। इसका सारा भुगतान गुप्ता बंधुओं की ओर से किया गया।
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