चुनौतियों से जूझना पड़ेगा गढ़वाल विश्वविद्यालय की नई कुलपति को, जानिए वजह
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थायी कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
देहरादून, अशोक केडियाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थायी कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विवि से संबद्ध अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के सेमेस्टर परीक्षा परिणाम से लेकर बैक, स्पेशल बैक का रिजल्ट समय पर न आने, अभ्यर्थियों द्वारा परीक्षा देने के बावजूद अंक तालिका में अनुपस्थिति दर्शाने व कई छात्रों को लिखित व प्रयोगात्मक परीक्षा में एक से दो नंबर दिए जाने जैसे मामलों का स्थायी समाधान तलाशना होगा।
राजनीति विज्ञान की वरिष्ठ प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थायी कुलपति नियुक्त हुई हैं। बतौर विजिटर राष्ट्रपति ने पांच साल के लिए उन्हें कुलपति पद पर स्थायी रूप से नियुक्त किया है। वह पिछले करीब डेढ़ वर्ष से बतौर प्रभारी कुलपति का कार्यभार संभाल रही थीं।
अब नई कुलपति को कई चुनौतियों से दो चार होना पड़ेगा। दून स्थित डीएवी, डीबीएस, एमकेपी व श्री गुरुराम राय पीजी कॉलेज की संबद्धता को लेकर लंबे समय जो असमंजस की स्थिति बनी हुई है, उसका भी छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए समाधान तलाशना होगा।
विवि स्तर पर दो से तीन साल बाद भी बैक परीक्षाओं का परिणाम घोषित नहीं किया गया है। डीएवी कॉलेज में कई छात्रों के ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें स्नातक में जो विषय छात्र ने लिए ही नहीं हैं, उन्हें अंक तालिका में बकायदा नंबरों के साथ दर्शाया गया है।
इस प्रकार की अनेक समस्याओं से जूझ रहे डीएवी, डीबीएस, एमकेपी व श्री गुरुराम राय पीजी कॉलेज के सैंकड़ों छात्र पिछले चार साल से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन समस्याओं का कोई समाधान नहीं तलाशा जा रहा है। बीते 13 अक्टूबर को दून में अशासकीय व निजी कॉलेजों के प्राचार्य संगठन ने समस्याओं को लेकर गढ़वाल विवि के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण के समक्ष समाधान की मांग भी रखी, पर समाधान नहीं हुआ।
गलती और गड़बड़ी की भरमार
- एक ही तिथि को दो प्रश्न पत्रों की परीक्षा एक ही समय करा दी जाती है, जिससे मजबूरी में छात्रों को एक पेपर छोडऩा पड़ता है।
- खुद की गलती के बावजूद गढ़वाल विवि छूटे हुए पेपर की दोबारा परीक्षा तिथि तय नहीं करता है।
- सेमेस्टर परीक्षा के दौरान परीक्षा कक्ष में कई बार ऐसा पेपर सेट पहुंच जाता है, जो परीक्षा कार्यक्रम में निर्धारित तिथि को होता ही नहीं है।
- क्रेडिट बेस्ड च्वाइस सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बावजूद एक समेस्टर की पढ़ाई को निर्धारित 90 दिन नहीं दिए जाते हैं।
इनका तलाशना होगा समाधान
- विवि से संबद्ध स्ववित्तपोषित संस्थान विवि के केंद्रीय होने से पहले संबद्ध हैं, इसलिए इन्हें स्थायी संबद्धता पर विचार करना होगा।
- विवि के एकेडमिक कैलेंडर का पालन सुचारू रूप से नहीं हो पाता है, जिससे छात्रों की परीक्षा समय पर नहीं हो पाती हैं।
- विवि की परीक्षा व परिणाम समय पर आने से छात्र-छात्राएं अन्य विवि में दाखिला व प्रतियोगी परीक्षा से वंचित नहीं रहेंगे।
- विवि कर्मचारियों में कार्य संस्कृति का अभाव दिखाई देता है। जिससे छात्रों के परीक्षा परिणाम समय पर घोषित नहीं होते हैं।
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सुधार के लिए उठाए जाएंगे सख्त कदम
गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के अनुसार, दून स्थित अशासकीय कॉलेजों की संबद्धता का मामला मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा जाएगा। हां, विवि स्तर पर जो गलतियां हो रही हैं, उन्हें सुधारने के लिए सख्त कदम उठाएं जाएंगे। इसके लिए दून के अशासकीय कॉलेजों को भी अपने काम विशेषकर परीक्षा संबंधी ऑनलाइन व ऑफलाइन दस्तावेजों को जांच परखकर विवि को भेजना होगा। मेरे लिए छात्र हित सर्वोपरि हैं।
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