उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाता संगीता का नया गीत 'रमझमा', पुलिस महानिदेशक ने भी की तारीफ
उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाता और पर्यटकों को आकर्षित कराता रमझमा गीत जल्द ही यूट्यूब पर देखने को मिलेगा। लोकगायिका संगीता ढौंडियाल के इस ऑडियो और वीडियो गीत के पोस्टर का लोकार्पण पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने किया।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाता और पर्यटकों को आकर्षित कराता 'रमझमा' गीत जल्द ही यूट्यूब पर देखने को मिलेगा। लोकगायिका संगीता ढौंडियाल के इस ऑडियो और वीडियो गीत के पोस्टर का लोकार्पण पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने किया। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाते और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तैयार इस गीत की सराहना की।
पुलिस मुख्यालय में शनिवार को संगीता के नए गीत का लोकार्पण करते हुए पुलिस महानिदेशक ने कहा कि इस तरह के गीत न सिर्फ नई पीढ़ी को उत्तराखंड की संस्कृति से जोड़े रखने का कार्य करते हैं, बल्कि पर्यटकों को भी यहां की खूबसूरती से अवगत कराते हैं। लोकगायिका संगीता ढौंडियाल ने बताया कि उन्होंने गीत के माध्यम से उत्तराखंड में पर्यटकों को आने के लिए प्रेरित किया है। गीत की खास बात यह है कि इसमें गढ़वाल, कुमाऊं और जौनसार क्षेत्र की बोली, पहनावा और इन क्षेत्रों की प्राकृतिक दृश्यों को दिखाया गया है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय के लिए भी कई गीत तैयार किए जा रहे हैं, जिससे देश ही नहीं विदेशों में रह रहे लोग उत्तराखंड की संस्कृति को जान सकें। 'रमझमा' में रंजीत सिंह ने संगीत दिया है, जबकि सिनेमेटोग्राफी और निर्देशन गोविंद सिंह नेगी ने दिया है। इसके अलावा सैंडी गुसाईं और सतीश आर्य ने अभिनय किया है। लोकार्पण के मौके पर गोविंद जोशी, अरुण ढौंडियाल, अजय जोशी आदि मौजूद रहे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने आरपी डंगवाल के कविता संग्रह का किया लोकार्पण
वरिष्ठ साहित्यकार आरपी डंगवाल 'शिरीष' के काव्य संग्रह 'अनुभूति के स्पंद' का लोकार्पण केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी ने किया। शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री के देहरादून स्थित कार्यालय सभागार में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में निशंक ने कहा कि साहित्य समाज को जोड़ने का काम करता है। समाज को दिशा देने का काम करता है। आरपी डंगवाल के काव्य संग्रह अनुभूति के स्पंदन विभिन्न विषयों पर आधारित रचनाएं हैं।
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दर्द और आदमी, दरवाजा, आत्मा की कोख, आंधियां, आंसू, खिसकता पहाड़, समय के तेवर जैसी रचनाएं हैं, जो गंभीरता से सोचने को मजबूर करती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर जगुड़ी ने कहा कि अच्छी कविताएं पाठकों के बीच पहुंचेगी। इस मौके पर सच्चिदानंद जोशी, रमेश उनियाल, शशि भूषण बडोनी, विजय प्रकाश डंगवाल, जेपी बहुगुणा, युद्धवीर नेगी, विजय बडोनी डंगवाल, मधुर वादिनी तिवारी, सुभाष भट्ट, सोहन लाल खंडेलवाल, सुमनलता गौड़ आदि मौजूद रहे।
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