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उत्तराखंड में आरबीएम और बोल्डर का आवागमन प्रतिबंधित, ऐसा करने पर लगेगा जुर्माना

सरकार ने अब प्रदेश में आरबीएम (रिवर बेड मेटिरियल) और बोल्डर के प्रदेश से आवागमन पर रोक लगा दी है।

By Edited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 09:19 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 02:45 PM (IST)
उत्तराखंड में आरबीएम और बोल्डर का आवागमन प्रतिबंधित, ऐसा करने पर लगेगा जुर्माना
उत्तराखंड में आरबीएम और बोल्डर का आवागमन प्रतिबंधित, ऐसा करने पर लगेगा जुर्माना

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने अब प्रदेश में आरबीएम (रिवर बेड मेटिरियल) और बोल्डर के प्रदेश से आवागमन पर रोक लगा दी है। ऐसे करते हुए पकड़े जाने पर 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। वहीं जेसीबी और पोकलैंड के बिना अनुमति प्रयोग किए जाने पर चार लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया गया है। अवैध भंडारण पर जुर्माना दो लाख रुपये रखा गया है। 

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शासन ने कैबिनेट के निर्णय के क्रम में उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण का निवारण) नियमावली 2020 जारी कर दी है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में अब खनन के आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि, इसमें क्रशर सामग्री को छूट दी गई है। नीति में खनन पट्टे और भंडारण से अवैध खनन को रोकने के लिए नई चौकियां बनाने का प्रविधान किया गया है। सभी वाहन इन चौकियों पर जांच कराने के बाद ही आगे जाएंगे। नीति में ईंट भट्टा परिसर भंडारण और सोपस्टोन भंडारण को भी अनुमति दी गई है।

इसके लिए न्यूनतम जगह के मानक भी बनाए गए हैं। इसके साथ ही रिटेल भंडारण की स्वीकृति दो वर्ष के स्थान पर पांच वर्ष के लिए बढ़ाई गई है। मोबाइल स्टोन क्रशर और स्क्रीन प्लांट में भंडारण की अनुमति दो वर्ष तक होगी। रिटेल भंडारण के लिए लाइसेंस शुल्क 25 हजार रुपये (10 हजार मीट्रिक टन तक) इसके बाद 10 रुपये प्रति मीट्रिक टन लिया जाएगा। ईट रिटेल भंडारण के लिए लाइसेंस फीस पांच हजार रुपये निर्धारित की गई है। खनिजों के क्रय-विक्रय का भुगतान नगद नहीं अब बैंक ड्राफ्ट और चेक के माध्यम से होगा। 

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अवैध परिवहन औ भंडारण पर भी जुर्माने का प्रविधान किया गया है। अवैध परिवहन पर यह पांच हजार रुपये से लेकर चार लाख रुपये तक रखा गया है। वहीं, अवैध भंडारण पर यह जुर्माना दो लाख रुपये है। खनन पर जुर्माने की अपील अब शासन स्तर पर नहीं, बल्कि मंडलायुक्त स्तर पर होगी। पूर्व में भंडारण किए गए माल की निकासी अधिकतम छह माह में करनी होगी। एक समय में रिटेल भंडारण की प्रथम वर्ष में अधिकतम क्षमता 50 हजार टन होगी। इसके बाद हर पूर्व वर्ष में बेची गई सामग्री के 40 प्रतिशत के बराबर होगी। इसका मासिक विवरण न देने पर भी दो हजार रुपये का जुर्माना देना होगा।

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