Move to Jagran APP

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: ऋषिकेश में चार माह अज्ञातवास में रहे थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, निशानी के तौर पर मौजूद है पॉकेट वॉच

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 नेताजी सुभाष चंद्र बोस का तीर्थनगरी ऋषिकेश से भी गहरा नाता रहा। स्वाधीनता आंदोलन के दौर में नेताजी चार माह तक ऋषिकेश अज्ञातवास में रहे थे। नेताजी की जेब घड़ी (पॉकेट वॉच) आज भी उनकी निशानी के तौर पर यहां मौजूद है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:46 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 07:41 AM (IST)
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: ऋषिकेश में चार माह अज्ञातवास में रहे थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, निशानी के तौर पर मौजूद है पॉकेट वॉच
ऋषिकेश के मुनिकीरेती स्थित श्री दर्शन महाविद्यालय, जहां नेताजी सुभाष चंद बोस करीब चार माह तक रहे थे।

दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 आजाद हिंद फौज के संस्थापक एवं महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का तीर्थनगरी ऋषिकेश से भी गहरा नाता रहा। स्वाधीनता आंदोलन के दौर में नेताजी चार माह तक ऋषिकेश अज्ञातवास में रहे थे। नेताजी की जेब घड़ी (पॉकेट वॉच) आज भी उनकी निशानी के तौर पर यहां मौजूद है। 

loksabha election banner

क्रांतिकारी नेता होने के कारण नेताजी हमेशा ही ब्रिटिश हुकूमत के निशाने पर रहे। हुकूमत ने तो उन्हें मार डालने तक का हुक्म दे दिया था। हालांकि, सरकार के यह मंसूबा कामयाब नहीं हो पाया। क्योंकि, नेताजी वेश बदलने और पहचान को छिपाने में भी माहिर थे। इसी कड़ी में वह करीब चार माह तक ऋषिकेश अज्ञातवास पर रहे। यहां उन्होंने मुनिकीरेती स्थित श्री दर्शन महाविद्यालय को अपना ठिकाना बनाया था। तब यहां दर्शन महाविद्यालय के संस्थापक एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वामी राघवाचार्य महाराज योग प्रशिक्षण दिया करते थे। बताया जाता है कि नेताजी ने भी अपनी पहचान छिपाकर राघवाचार्य महाराज से योग साधना का प्रशिक्षण लिया था। दर्शन महाविद्यालय में मौजूद अभिलेखों में से पता चलता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस वर्ष 1938 में चार माह तक यहां रहे थे। 

(फाेटो:  श्री दर्शन महाविद्यालय में मौजूद स्वामी राघावाचार्य महाराज की समाधि।) 

स्वामी राघवाचार्य महाराज 'विद्यालंकार' (अब ब्रह्मलीन) अपने संस्मरण में लिखते हैं, 'मुझे इस बात का पता तब चला, जब नेताजी यहां से जा चुके थे और टिहरी रियासत के उच्चाधिकारी उन्हें ढूंढते हुए यहां पहुंच थे।' इतिहासकार एवं शिक्षाविद बंशीधर पोखरियाल बताते हैं कि दर्शन महाविद्यालय का स्वरूप तब इतना बड़ा नहीं था। उस दौरान यहां गंगा तट पर कुछ कुटिया थीं, जिनमें छात्रों को शिक्षा व योग साधना का प्रशिक्षण दिया जाता था। नेताजी अपनी पहचान छिपाकर यहां करीब चार माह रहे। इस बीच टिहरी रियासत के डिप्टी कलक्टर स्वामी राघवाचार्य महाराज के दर्शनों को यहां आए। उन्होंने महाविद्यालय में नेताजी को पहचान लिया। इसका इल्म होते ही नेताजी भी तुरंत महाविद्यालय छोड़कर यहां से चले गए। लेकिन, जाते समय वो राघवाचार्य महाराज को अपनी जेब घड़ी भेंट कर गए थे। 

(फोटो: श्री दर्शन महाविद्यालय में मौजूद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जेब घड़ी। )

पोखरियाल बताते हैं कि राघवाचार्य महाराज को तब भी यह आभास नहीं हुआ कि वह नेताजी हैं। दूसरे दिन जब टिहरी रियासत के उच्चाधिकारियों को पता चला कि नेताजी मुनिकीरेती में रह रहे हैं तो वह उन्हें देखने के लिए दर्शन महाविद्यालय पहुंचे। तब जाकर राघवाचार्य महाराज को पता चला महाविद्यालय में चार माह से प्रवास कर रहा साधक कोई और नहीं, बल्कि स्वयं महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे। श्री दर्शन महाविद्यालय, मुनिकीरेती (ऋषिकेश) के प्रबंधक संजय शास्त्री बताते हैं कि नेताजी की जेब घड़ी महाविद्यालय की अमूल्य धरोहर है।  

यह भी पढ़ें-Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेताजी के साथ देहरादून के साधु सिंह बिष्ट ने लड़ी आजादी की जंग, देख चुके हैं 102 वसंत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.