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सतर्क रहिए, अगर सिर्फ पुलिस के भरोसे रहे तो देर हो जाएगी

अपराध के मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि दून में लूट और चोरी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। यह वे अपराध हैं जिन्हें सजग रहने से रोका जा सकता था।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 02:46 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 02:46 PM (IST)
सतर्क रहिए, अगर सिर्फ पुलिस के भरोसे रहे तो देर हो जाएगी
सतर्क रहिए, अगर सिर्फ पुलिस के भरोसे रहे तो देर हो जाएगी

देहरादून, जेएनएन। अपनी और अपने घर से लेकर प्रतिष्ठान तक की सुरक्षा को लेकर सचेत रहने की जरूरत है। केवल पुलिस के भरोसे रहे तो देर हो जाएगी। अपराध के मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि दून में लूट और चोरी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। यह वे अपराध हैं, जिन्हें सजग रहने से रोका जा सकता था। लेकिन, यहां जनता पुलिस के भरोसे है और पुलिस की दिनचर्या बैठक में ही पूरी हो रही है। 

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देहरादून की शांति को अब अपराधी अशांत कर रहे हैं। दो दशक पूर्व तक साल में एक-दो गंभीर वारदातों की जगह अब अपराध के आंकड़े डराने लगे हैं। यहां बीते 10 माह में लूट की 24, चेन व पर्स छिनैती की 30 और घरों-दुकानों में सेंधमारी की करीब 85 वारदातें सामने आ चुकी हैं। पुलिस ने इनमें से अधिकांश घटनाओं का खुलासा तो कर दिया है, लेकिन इन घटनाओं की रोकथाम को लेकर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। दिन के समय होने वाली पुलिस पेट्रोलिंग महज कोरम बनकर रह गया है तो रात के समय थानों से निकलने वाले गश्ती दल (चीता टीम) भी बमुश्किल चौक-चौराहों पर दिखते हैं। 

अपडेट नहीं है मोहल्ला रजिस्टर 

आम लोगों से पुलिस के जुड़ाव की अहम कड़ी साबित होने वाले मोहल्ला रजिस्टर में वर्षों पुरानी सूचनाएं दर्ज हैं। इनमें जिन लोगों के नाम दर्ज हैं, उनमें से कुछ या तो स्वर्ग सिधार चुके हैं या फिर कहीं और शिफ्ट हो चुके हैं। 

सीनियर सिटिजन की भी अनदेखी 

दून शहर में करीब 18 सौ ऐसे बुजुर्ग दंपती हैं, जो यहां अकेले रहते हैं। एसएसपी ने ऐसे लोगों से चीता टीमों को सप्ताह में कम से कम एक बार मिलने का निर्देश दिया गया हैं, लेकिन सीनियर सिटीजन सेल में यह शिकायतें अक्सर आती रहती हैं कि मुश्किल पडऩे पर भी काफी देर बाद पुलिस आती है। 

कम रह गए पुलिस के मुखबिर 

बीते कुछ वर्षों में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज, मोबाइल की लोकेशन आदि के जरिए बदमाशों तक आसानी से पहुंच जाने वाली पुलिस के लिए अब यह आसान नहीं है। दरअसल, अब बदमाश भी पुलिस के इस पैंतरे का जवाब देने लगे हैं। मोबाइल का कम से कम प्रयोग और घटनास्थल पर लगे कैमरों को क्षतिग्रस्त करने या फिर डीवीआर उखाड़ ले जा रहे हैं। ऐसे में पुलिस के पास मुखबिरों के जरिए बदमाशों तक पहुंचने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। हकीकत यह है कि हाल के वर्षों में पुलिस का मुखबिर तंत्र न सिर्फ कमजोर हुआ है, बल्कि अब पुलिस को छोटी-छोटी जानकारियां भी नहीं मिल पा रही हैं। 

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि दिन के समय होने वाली पेट्रोलिंग और रात्रि गश्त की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। जोनल चेकिंग के जरिए सभी की मौजूदगी भी चेक की जाती है। सभी थानेदारों को मुखबिर तंत्र तेज करने और आम लोगों के साथ संपर्क बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। 

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