देहरादून में बाल गृह निर्माण की बताई आवश्यकता
जागरण संवाददाता, देहरादून: देहरादून जैसे महत्वपूर्ण जिले में 11 वर्ष के बच्चे से लेकर 17 वर्ष तक
जागरण संवाददाता, देहरादून:
देहरादून जैसे महत्वपूर्ण जिले में 11 वर्ष के बच्चे से लेकर 17 वर्ष तक के किशोर को रखने के लिए एक भी बाल गृह नहीं है। आएदिन पुलिस, चाइल्ड लाइन, श्रम विभाग की टीमें बाल श्रम समेत अन्य प्रकरणों में बच्चे तो बरामद करती हैं, लेकिन उन्हें रखने के लिए स्थान नहीं मिल पाता। ऐसे में बच्चों को प्रदेश के एकमात्र हरिद्वार स्थित बाल गृह में रखना पड़ता है। अब इस समस्या को उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी महसूस करने लगा है। जिसे लेकर आयोग ने भी जिले में पृथक बाल गृह की आवश्यकता बताई है।
आयोग की सदस्य सीमा डोरा की ओर से पिछले दिनों बाल श्रम को लेकर चलाए गए अभियान को लेकर अध्यक्ष ऊषा नेगी को सौंपी गई रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बचपन बचाओ एनजीओ, पुलिस, चाइल्ड लाइन की ओर से बालश्रम में 11 वर्ष से ज्यादा आयु के कई बच्चे बरामद किए गए, लेकिन इन्हें रखने को स्थान नहीं मिला। कहा कि हरिद्वार स्थित बाल गृह में भी कई बार बच्चे भेजे जाते हैं, लेकिन वहां स्थान नहीं मिलने के कारण वापस भेज दिया जाता है। ऐसे में देहरादून में जल्द से जल्द 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए बाल गृह की स्थापना की आवश्यकता है। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने भी इस संबंध में मुख्यमंत्री को अवगत कराने की बात कही है।
शिशु निकेतन में रखने पड़ते हैं बच्चे
कहा गया कि शिशु निकेतन में 10 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को रखने का प्रावधान है। 10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए स्थान नहीं मिलने पर उन्हें मजबूरी में शिशु निकेतन में ही रखना पड़ता है। छोटे बच्चों के साथ बड़े बच्चों को रखने पर लगातार अप्रिय घटना की आशंका भी बनी रहती है।