एनडी तिवारी ने केंद्र में भी मनवाया था लोहा, रहे कई महत्वपूर्ण पदों पर
एनडी ने केंद्र की ओर रुख किया तो वहां भी दमखम का लोहा मनवाते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कामयाबी से संभालीं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उप्र की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने के बाद एनडी ने केंद्र की ओर रुख किया तो वहां भी दमखम का लोहा मनवाते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कामयाबी से संभालीं। केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री से लेकर वाणिज्य और वित्त मंत्री के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए उन्होंने विकास की सोच को नई धार के साथ आगे बढ़ाया।
चाहे गरीबी उन्मूलन हो या मुद्रास्फीति से निपटने की चुनौती और ग्रामीण क्षेत्रों में जन सुविधाओं और रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं का खाका तैयार करने में उनके योगदान को राष्ट्रीय पहचान मिली।
25 जुलाई, 1987 को केंद्रीय मंत्रिमंडल में दोबारा फेरबदल में उन्हें वित्त के साथ वाणिज्य मंत्रालय सौंपा गया। उस वक्त आर्थिक संकट को देश के अधिकतर भागों में सूखे की समस्या ने और पेचीदा बना दिया। वाणिज्य मंत्री के रूप में विदेशी मुद्रा को संचित रखने और उसे बढ़ाने के लिए उनके प्रयत्न राष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए। एकीकृत ग्रामीण विकास योजना, ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम शुरू किए गए। 29 फरवरी, 1988 को केंद्रीय आम बजट पेश करते हुए उन्होंने कृषि व खेती पर आधारित उद्योगों को लगभग दस रियायतें, अनुसूचित जातिज नजाति कल्याण योजनाओं के साथ ही उपभोक्ताओं को छूट दी गईं।
22 अक्टूबर, 1986 को विदेश मंत्री का दायित्व मिला तो नौ महीने के कार्यकाल में उन्होंने जापान, वियतनाम, थाईलैंड, चीन, नेपाल, म्यांमार, रूस, अमेरिका, पोलैंड, चेकोस्लाविया, निकारागुआ, त्रिनिडाड, उत्तरी कोरिया, दक्षिण कोरिया, अफगानिस्तान, मारीशस और जिंबाव्वे की यात्रा कर अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए। अक्टूबर, 1980 में योजना मंत्रालय के अतिरिक्त श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। अगस्त, 1981 में उद्योग मंत्रालय का जिम्मा उन्होंने संभाला।
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