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दून में हरियाली बढ़ाने के संकल्प के साथ शुरू हुआ नेचर फेस्ट, पढ़िए पूरी खबर

राजपुर नेचर फेस्टिवल-2019 का आगाज हो गया। हरे-भरे परिवेश के बीच राजपुर क्षेत्र ने लोगों को आकर्षित किया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 04:05 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 04:05 PM (IST)
दून में हरियाली बढ़ाने के संकल्प के साथ शुरू हुआ नेचर फेस्ट, पढ़िए पूरी खबर
दून में हरियाली बढ़ाने के संकल्प के साथ शुरू हुआ नेचर फेस्ट, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। तीन दिवसीय राजपुर नेचर फेस्टिवल-2019 का आगाज हो गया। हरे-भरे परिवेश के बीच राजपुर क्षेत्र ने न सिर्फ लोगों को आकर्षित किया, बल्कि यह सोचने पर भी विवश किया कि कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो चुके दून शहर ने प्रकृति के कितने अनमोल उपहार को खो दिया है। 

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शनिवार को क्रिश्चियन रिट्रीट एंड स्टडी सेंटर (शहंशाही चौक) में वन विभाग व राजपुर कम्युनिटी इनिशिएटिव की ओर से आयोजित फेस्टिवल का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। उन्होंने कहा कि राजपुर का यह क्षेत्र अपने आप पर्यावरण संरक्षण व इसकी महत्ता की कहानी बयां कर रहा है। दून के पूरे क्षेत्र में भी ऐसी शुरुआत की जानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रतिबद्ध है और प्लास्टिक मुक्ति के लिए पांच नवंबर को 50 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई जा रही है। 

इस दौरान मुख्यमंत्री ने रिस्पना क्षेत्र के पक्षियों व तितलियों के ब्रोशर का विमोचन भी किया। साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। इसके अलावा फेस्टिवल में फोटोग्राफी, पेंटिंग प्रदर्शनी भी लगाई गई और बच्चों के लिए विशेष पपेट शो का आयोजन किया गया। दूसरी तरफ शाम के सत्र में विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. जयराज, सीईओ कैंपा डॉ. समीर सिन्हा, राजपुर कम्युनिटी इनिसिएटिव की अध्यक्ष रेनू पॉल, जीएस पांडे, सुभाष वर्मा आदि उपस्थित रहे। 

नेचर फेस्टिवल के आकर्षण का प्रमुख केंद्र वह स्टॉल भी रहे, जिनमें स्थानीय उत्पादों की बिक्री की जा रही है। इन स्टॉलों में जैविक मसालों, औषधीय उत्पाद, काष्ठकला, हस्तकला के उत्पाद रखे गए हैं।   

वन मंत्री के सवाल से बचे सीएम, पीसीसीएफ ने मांगी माफी 

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और प्रमुख मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) के बीच अघोषित अलगाव की बातें यदा-कदा सामने आती रहती हैं। इस दफा यह मनमुटाव तब खुलकर सामने आया, जब पहली बार वन विभाग की ओर से आयोजित राजपुर नेचर फेस्टिवल में विभाग ने अपने ही मंत्री को न तो आमंत्रित किया, न ही उनका नाम कार्यक्रम के किसी भी ब्रोशर में प्रकाशित किया। 

नेचर फेस्टिवल का उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब पत्रकारों ने वन मंत्री की अनुपस्थिति पर सवाल किया तो वह इससे बच निकले। उन्होंने कहा कि सवाल बहुत हो चुके और आज के लिए इतना काफी है। वहीं, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. जयराज ने साफ कह दिया कि यह कार्यक्रम किसी निजी संस्था की ओर से आयोजित किया जा रहा है। वन विभाग की भूमिका इस कार्यक्रम में सिर्फ सहयोगी की है। उन्होंने कहा कि निजी संस्था राजपुर कम्युनिटी इनिशिएटिव ने किसे आमंत्रित किया और किसे नहीं, इस पर विभाग का नियंत्रण नहीं था। 

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फिर भी यदि वन मंत्री की अनुपस्थिति पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, या स्वयं वन मंत्री इससे नाराज हैं तो वह अपनी तरफ से माफी मांगते हैं। इसके बाद जब पीसीसीएफ से उनके विदेश भ्रमण के समय भी वन मंत्री से अनुमति न लेने और बाद में विवाद बढऩे पर माफी मांगने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि तब कोई माफी नहीं मांगी थी। उनकी विदेश भ्रमण की पत्रावली पर शासन व मुख्यमंत्री ने मुहर लगाई थी। मुख्यमंत्री प्रदेश के कप्तान हैं और वह उनकी टीम के सदस्य। जब उन्होंने हरी झंडी दे दी थी, फिर वह इस पर चिंता नहीं करते कि इसकी प्रक्रिया किस तरह पूरी की गई। न ही उन्हें यह मालूम था कि विदेश भ्रमण की पत्रावली किस-किस स्तर से होकर गुजरी और किस स्तर से नहीं। 

निवेदक में वन विभाग का नाम, फिर भी वन मंत्री से परहेज 

पीसीसीएफ ने भले ही राजपुर नेचर फेस्ट को निजी संस्था का आयोजन बताया है, मगर आयोजन को लेकर जो ब्रोशर तैयार किए गए हैं, उसमें वन विभाग का नाम आयोजक व निवेदक के तौर पर लिखा गया है। इस तरह के ब्रोशर कार्यक्रम में बांटे भी गए। दूसरी तरफ फेस्टिवल को लेकर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. जयराज के हस्ताक्षर से जो पत्र एक नवंबर को जारी किया गया है, उसे प्रमुख वन संरक्षक स्तर के तीन अधिकारियों समेत 16 अधिकारियों को भेजा गया है। यह एक तरह से आमंत्रण पत्र ही है। अब सवाल यह उठता है कि जब इतने अधिकारियों को आमंत्रण भेजा जा सकता है तो विभागीय मंत्री को क्यों नहीं। 

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वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि मुझे जानकारी नहीं कि यह कार्यक्रम किसका है। अगर एनजीओ का कार्यक्रम है तो इसके निमंत्रण पत्र में निवेदक पीसीसीएफ नहीं होना चाहिए था। अगर विभाग का कार्यक्रम है तो इसमें व्यवस्था का सवाल खड़ा होता है। विभागीय कार्यक्रम में प्रोटोकाल के हिसाब से मंत्री को बुलाया जाना चाहिए था, जिससे वह मुख्यमंत्री का स्वागत करते। मेरे 28 साल के राजनीतिक करियर की यह पहली घटना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश है। इस मसले पर मैं जल्द ही मुख्यमंत्री से वार्ता करूंगा। 

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