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राजमार्ग के 100 करोड़ के ढांचों की मरम्मत शुरू

वर्ष 2010 से अधर में लटके हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम शुरू होने के साथ ही अधूरे पड़े ढांचों की मरम्मत भी शुरू कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 08:50 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 08:50 PM (IST)
राजमार्ग के 100 करोड़ के ढांचों की मरम्मत शुरू
राजमार्ग के 100 करोड़ के ढांचों की मरम्मत शुरू

जागरण संवाददाता, देहरादून: वर्ष 2010 से अधर में लटके हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम शुरू होने के साथ ही करीब 100 करोड़ रुपये के उन अधूरे ढांचों की मरम्मत भी शुरू कर दी गई है, जिन्हें गिराने तक की आशंका पैदा हो गई थी। इन ढांचों में तीन एलीफैंट अंडरपास, एक रेलवे अंडर ब्रिज, एक फ्लाईओवर व तीन बड़े पुल शामिल हैं।

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पहले यह काम एरा इंफ्रा कंपनी के पास था। सालों तक अधूरे काम को पूरा न करने के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इस कंपनी को हटा दिया था। हालांकि, तब तक कंपनी की तरफ से 300 करोड़ रुपये से अधिक के काम किए जा चुके थे। जिनमें सीमेंट व लोहे के बड़े-बड़े ढाचे भी शामिल हैं। सालों से इनका रखरखाव भी नहीं हो पाया, जिस कारण कहीं लोहे पर जंग लग गया है, तो कहीं कंक्रीट खराब हो चुकी है। प्राधिकरण के परियोजना निदेशक प्रदीप गुसाई का कहना है कि ढांचों पर लगा जंग साफ किया जा रहा है और सीमेंट की स्थिति में भी सुधार किया जा रहा है। अब तक की स्थिति के अनुसार किसी भी ढांचे के अधिकतम पांच फीसद भाग को ही हटाने की जरूरत पड़ेगी। शेष हिस्से पर मरम्मत व संरक्षण से काम चल जाएगा। इसके साथ ही चौड़ीकरण कार्य की रफ्तार बढ़ाने के लिए भी दोनों नई चयनित कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं। इन ढाचों पर किया जा रहा काम

एलीफैंट अंडर पास: मोतीचूर, तीनपानी लालतप्पड़

बड़े पुल: नेपाली फार्म के पास सुसवा नदी व सौंग नदी में, डोईवाला बाइपास व मियावाला में।

फ्लाईओवर: भानियावाला के पास

रेलवे अंडर ब्रिज: रायवाला में

जनवरी 2020 तय की गई डेडलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने चौड़ीकरण कार्य में करीब 594 करोड़ रुपये के शेष कार्यो के लिए उत्तर प्रदेश सेतु निगम व एटलस कंपनी के साथ अनुबंध किया है। अनुबंध के अनुसार एक साल के भीतर काम पूरा करना है। यानी कि जनवरी 2020 तक राजमार्ग को फोरलेन में तब्दील करने के साथ ही सभी काम पूरे किए जाने हैं। अवशेष कार्यों में हरिद्वार से लालतप्पड़ के बीच का काम उत्तर प्रदेश सेतु निगम को सौंपा गया है, जबकि इससे आगे मोहकमपुर तक की जिम्मेदारी एटलस कंपनी को दी गई है।


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