नंदा गौरा योजना में आय के मानकों का होगा परीक्षण
प्रदेश में पटवारियों द्वारा 48 हजार से कम की आय के प्रमाणपत्र न बनाने के कारण अधिकांश लोग नंदा गौरा योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में पटवारियों द्वारा 48 हजार से कम की आय के प्रमाणपत्र न बनाने के कारण अधिकांश लोग नंदा गौरा योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। इस कारण यह योजना गति नहीं पकड़ पा रही है। अब सरकार इसके मानकों का परीक्षण कर इनमें बदलाव पर विचार कर रही है।
सोमवार को सदन में विधायक ममता राकेश ने इस मुद्दे को उठाया। अनुपूरक प्रश्न में विधायक ऋतु भूषण खंडूड़ी व सुरेंद्र सिंह जीना ने कहा कि कई जगह पटवारी 48 हजार रुपये से कम आय का प्रमाणपत्र नहीं बना रहे हैं। इस कारण लाभार्थी इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं और कई लोगों तो इसकी जानकारी नहीं है। वहीं विधायक जीना ने इस योजना के लाभार्थियों की संख्या और जागरूकता के लिए स्कूल व कालेजों में कैंप लगाने की जानकारी मांगी। विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने कहा कि मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी ही तय मानकों से अधिक हो जाती है। अप्रासंगिक मानकों को इस योजना के सही से न चलने का कारण बताया।
जवाब में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने बताया कि इस योजना के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 96 लाख प्रत्येक जनपद में दिए जा चुके हैं। अभी तक 6288 कन्याओं को इसका लाभ दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 36 हजार और शहरी क्षेत्र में 42 हजार रुपये अथवा उससे कम आय वालों को इसका लाभ किया जाता है। इस योजना के तहत कन्या को जन्म के समय, एक वर्ष पूरा होने पर, कक्षा आठ, हाईस्कूल व इंटर पास करने पर पांच-पांच हजार रुपये दिए जाते हैं। डिप्लोमा करने के लिए दस हजार रुपये और फिर विवाह के समय 16 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि डीपीओ व सीडीपीओ आदि के माध्यम से इसके आवेदन लिए जा सकते हैं। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि योजना के प्रचार प्रसार व तकनीकी खामियों के चलते लाभार्थियों की संख्या कम हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके मानकों का परीक्षण कर आय के मानक बढ़ाने पर विचार करेगी।