नमामि गंगे परियोजना में अब निर्मल होंगी गंगा की आठ सहायक नदियां
राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को लेकर राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना में अब गंगा की आठ सहायक नदियां भी निर्मल होंगी।
देहरादून, केदार दत्त। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को लेकर राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना में अब गंगा की आठ सहायक नदियां भी निर्मल होंगी। इनमें सुसवा व कोसी नदियों की कार्ययोजना तैयार हो गई है, जबकि अन्य के लिए सर्वे किया जा रहा है। इनके प्रस्ताव तैयार होने पर नमामि गंगे में मंजूरी दी जाएगी। बुधवार को दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह जानकारी दी गई। ये भी तय हुआ कि राज्य में शहरी विकास, वन और उद्योग विभाग भी यह सर्वे कराएंगे कि कहीं नदियों में सीवर अथवा गंदगी तो नहीं समा रही।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से गंगा व उसकी सहायक नदियों को लेकर दिए गए दिशा-निर्देशों की प्रगति की बुधवार को दिल्ली में श्रम शक्ति भवन में राज्यवार समीक्षा की गई। सचिव जल संसाधन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के अधिकारियों के साथ ही विभिन्न राज्यों के अधिकारी शामिल हुए।
उत्तराखंड से इसमें भाग लेने गए अपर सचिव एवं कार्यक्रम निदेशक (नमामि गंगे) उदयराज सिंह ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि 2015-16 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों को लेकर सर्वे कराया था। इसमें देशभर में 351 नदियों को प्रदूषित बताया गया, जिनमें उत्तराखंड की गंगा की सहायक आठ नदियां भी शामिल हैं। तब एनजीटी ने इसे संज्ञान लेते हुए नदियों को साफ-सुथरा बनाने के निर्देश दिए थे।
अपर सचिव उदयराज के मुताबिक बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड की नदियों को नमामि गंगे में शामिल किया जाएगा। इनमें से दो नदियों सुसवा व कोसी को लिया जा चुका है, जबकि शेष का सर्वे किया जा रहा है। इनकी डीपीआर तैयार कर एनएमसीजी को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
ये नदियां होंगी शामिल
नमामि गंगे में शामिल होने वाली नदियों में ढेला, भेला, कल्याणी, किच्छा (गौला), पिलखर, नंधौर, सुसवा व कोसी हैं। परियोजना में इन नदियों से लगे क्षेत्रों में एसटीपी बनाए जाएंगे, ताकि सीवरेज की गंदगी नदियों में न समाए।
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मार्च तक पूरा होगा 95 फीसद काम
कार्यक्रम निदेशक (नमामि गंगे) के अनुसार बैठक में राज्य में संचालित नमामि गंगे परियोजना की प्रगति की जानकारी भी दी गई। बताया गया कि मार्च तक एसटीपी व नालों की टैपिंग से संबंधित 95 फीसद कार्य पूरे हो जाएंगे।
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