कहा जाता है इस मंदिर में आकर होता है काल सर्प दोष का निवारण
नागेश्वर मंदिर की मान्यता है कि श्रावण माह में यहां जलाभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पूजा अर्चना करने से आत्मिक सुख की अनुभूति होती है।
देहरादून, [जेएनएन]: नागेश्वर मंदिर श्यामपुर थाना परिसर में स्थित है। कहा जाता है यहां जलाभिषेक करने से काल सर्पदोष का निवारण होता है। मान्यता है कि यह मंदिर कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर के समय का मंदिर है। पहले यह मंदिर कांगड़ी स्थित अंजनी चौड़ से पश्चिम में गंगा के समीप हाथी जोड़ी नामक स्थान पर था।
इतिहास
कहा जाता है कि इस मंदिर को अफगान के लुटेरे तैमूर लंग ने लूटपाट कर तहस-नहस किया था। सन् 2000 में मंदिर को थाने में स्थापित कराया। बाद में पुलिस ने मंदिर का निर्माण पूरा कराया। आज यह मंदिर भोले के भक्तों की आस्था का प्रतीक बन गया है। बताया जाता है कि जिसकी कुंडली में बड़ा से बड़ा काल सर्प दोष होता है, यहां जलाभिषेक करने से वह दोष समाप्त हो जाता है। इस मंदिर में सजनपुर स्थित कुंडी सोटेश्वर मंदिर की तरह ही पुराने जमाने की कलाकृतियां है। मंदिर की महिमा अपरंपार है।
तैयारियां
मान्यता है कि श्रावण माह में यहां जलाभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पूजा अर्चना करने से आत्मिक सुख की अनुभूति प्रदान होने के साथ ही नई ऊर्जा का संचार होता है।
पुजारी पंडित राघवानंद शास्त्री ने बताया कि नागेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने से काल सर्प दोष का निवारण होने के साथ ही शिव कृपा और समस्त मनोकामना का फल प्राप्त होता है। यह नागेश्वर मंदिर बिल्वकेश्वर मंदिर, दक्षेश्वर और कुंडी सोटेश्वर मंदिर के साथ का मंदिर है। काल सर्प दोष का निवारण कराने के लिए यह दूर दराज से भक्तगण पहुंचते हैं।
श्रावण मास प्रेम और सद्भावना का प्रतीक
श्रावण मास प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है। जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। भगवान शिव की आराधना को समर्पित श्रावण मास में प्रत्येक दिन महादेव की उपासना करने से सहस्त्र गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। देवों के देव महादेव भगवान शिव भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल देते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना से आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार होता है और व्यक्ति प्रेम और धर्म की भावना से ओतप्रोत होकर सत्कर्मों की और अग्रसर होता है। जिससे उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि नर्मदेश्वर महादेव की विधि विधान द्वारा की गई पूजा-अर्चना से समस्त कष्टों का निवारण होता है।
वहीं सिद्धपीठ नर्मदेश्वर महादेव मंदिर जगजीतपुर के परमाध्यक्ष स्वामी आलोक गिरी ने बताया कि भगवान आशुतोष का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करने से मन को शीतलता मिलती है और व्यक्ति के तन के साथ-साथ अंत:करण की भी शुद्धि होती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को श्रावण मास में शिव भक्ति में लीन रहकर मानव सेवा को समर्पित रहना चाहिए, क्योंकि भगवान ने कर्म करने के लिए व्यक्ति को धराधाम पर भेजा है। जिसकी प्रधानता से वह महान बनता है।
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