कूड़ा उठाने के बाद सड़कों पर ही बिखेर रहा नगर निगम
देहरादून में नगर निगम कूड़ा उठा रहा है या फैला रहा। ये बात समझ नहीं आ रही। निगम के वाहन बिना ढके कूड़ा ले जाते हैं। जिससे कूड़ा हवा में उड़कर सड़कों पर बिखरता जाता है।
देहरादून, [जेएनएन]: नगर निगम का मुख्य काम काम यूं तो शहर में साफ-सफाई बरकरार रखने का है, लेकिन अपना दून नगर निगम कूड़ा उठाकर सड़क पर बिखेर रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इसका प्रत्यक्ष प्रमाण शहर की सभी सड़कों पर रोजाना दिखता है। नगर निगम के वाहन बिना ढके ही कूड़ा उठाकर इधर से उधर ले जाते हैं। जिससे कूड़ा हवा में उड़कर सड़कों पर बिखरता जाता है, मगर किसी को सुध लेने की फुर्सत नहीं। निगम के 40 टाटाऐस और 12 डंपर व ट्रक शहर के कूड़ेदान, घरों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से कूड़ा उठान करते हैं, लेकिन हैरत वाली बात यह है कि इन सभी का पिछला हिस्सा खुला रहता है। नियमानुसार कूड़े को काले रंग की तिरपाल से ढककर और बंद वाहन में ले जाना चाहिए लेकिन दून नगर निगम को नियम-कायदों की परवाह है ही कहां। यहां तो 'अंधेर नगरी-चौपट राजा' की तर्ज पर जैसे-तैसे व्यवस्था चल रही।
शहर में रोजाना करीब 250 मीट्रिक टन कूड़ा और गंदगी का उठान करने का दावा नगर निगम करता है जबकि औसतन करीब 350 मीट्रिक टन कूड़ा-गंदगी रोजाना एकत्र होती है। यानी 100 मीट्रिक टन का उठान होता ही नहीं। जो 250 मीट्रिक टन उठता है, उसमें से भी 10 से 25 मीट्रिक टन तो दोबारा शहर में ही बिखर जाता है। हैरानी की बात ये है कि कूड़ा बिखेरने वाला कोई और नहीं बल्कि यही नगर निगम है जिसके जिम्मे कूड़ा उठान की व्यवस्था है।
निगम के 52 वाहन, 90 रिक्शा, छह ट्रैक्टर और 100 हाथ-ठेली कूड़ा उठान में लगे हैं पर सभी खुले में कूड़ा उठाकर ले जाते हैं, न की ढककर। आलम यह है कि 52 वाहनों व छह टै्रक्टरों में से कूड़ा हवा में उड़कर या वाहनों में झटका लगने से सड़कों पर बिखरता चला जाता है। यह कूड़ा पूरा दिन इसी तरह सड़कों पर बिखरा रहता है और सफाई करने वाला कोई नहीं होता। हालत ये है कि यह प्रक्रिया निरंतर जारी है, मगर जिम्मेदार नगर निगम कोई कदम उठाने को राजी नहीं।
दुपहिया चालकों को होती है दिक्कत
निगम के वाहनों से कूड़ा उड़कर सड़क पर बिखरने से सर्वाधिक दिक्कत दुपहिया चालकों व पैदल चलने वालों को होती है। अगर कूड़ा उठान वाहन दुपहिया के आगे चल रहे होते हैं तो कूड़ा उड़कर दुपहिया चालक के मुंह या शरीर पर आकर गिरता है। यही हाल पैदल या साइकिल सवारों के साथ भी होता है। कई बार तो कपड़े तक गंदे हो जाते हैं। लगातार लोग इस मामले में शिकायत कर रहे हैं पर निगम प्रशासन नींद से जागने को तैयार ही नहीं।
नाली की गंदगी सड़क पर
निगम कर्मियों के हालत तो ऐसे हैं कि वे अमूमन तो शहर की नालियां साफ ही नहीं करते और जहां साफ करते हैं, वहां गंदगी निकालकर सड़क पर डाल देते हैं। आलम ये है कि इसके बाद यह गंदगी पूरा दिन ही नहीं बल्कि कई-कई दिनों तक सड़कों पर ही पड़ी रहती है। गाड़ियों के टायरों से यह गंदगी चारों तरफ फैलती जाती है। आवारा जानवर भी इसे फैला देते हैं व कूड़ा चुगने वाले भी। नियमित उठान न होने की वजह से गंदगी दोबारा नाली तक पहुंच जाती है।
वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके सिंह ने बताया कि सभी वाहन चालकों को तिरपाल उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें समझा दिया गया है कि कूड़ा खुले वाहनों में न ले जाएं। खुले वाहनों में कूड़ा ले जाना गलत है।
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