समस्त पापों-विघ्नों का नाश करतीं हैं मां कालरात्रि
विकासनगर शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने नवरात्र के सातवें दिन नवदुर्गा की सातवे स्वरूप मां कालरात्रि की आराधना की गई।
जागरण संवाददाता, विकासनगर: शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने नवरात्र के सातवें दिन नवदुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा अर्चना कर घर परिवार में खुशहाली व कोरोना महामारी से रक्षा की मनोकामना की। श्रद्धालुओं ने घरों में दुर्गा सप्तसती के पाठ के अलावा मंदिरों में माथा टेका।
पछवादून के विकासनगर, सहसपुर, हरबर्टपुर, कालसी आदि क्षेत्र में श्रद्धालुओं ने विधि विधान से पूजा-अर्चना कर सभी पापों से मुक्ति पाकर पुण्य लोक प्राप्ति की कामना की। नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। मान्यता है कि इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके ब्रह्मांड के स²श गोल तीन नेत्र हैं। जिनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निकलती हैं। मां की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में कांटा व नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है। धार्मिक मान्यता है कि नव दुर्गा के सातवें स्वरूप की साधना के दौरान साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित रहता है। जिससे ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। सहस्त्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णत: मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है, जिससे श्रद्धालुओं के समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है। उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली व ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली मानी जाती हैं। माना जाता है कि कालरात्रि की कृपा से भक्त सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की आराधना से पुण्य लोक की प्राप्ति होने का वर्णन मिलता है।