Move to Jagran APP

उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चों वाले नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव

हरिद्वार को छोड़ प्रदेश के 12 जिलों में सितंबर में संभावित पंचायत चुनावों में इस मर्तबा दो से अधिक बच्चों वाले लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 08:51 PM (IST)
उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चों वाले नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव
उत्तराखंड में दो से ज्यादा बच्चों वाले नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव

देहरादून, राज्य ब्यूरो। हरिद्वार को छोड़ प्रदेश के 12 जिलों में सितंबर में संभावित पंचायत चुनावों में इस मर्तबा दो से अधिक बच्चों वाले लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। नगर निकायों की भांति त्रिस्तरीय पंचायतों में सरकार यह प्रावधान लागू कर सकती है। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में शासन में सहमति बन चुकी है। अलबत्ता, हरियाणा की भांति यहां भी पंचायत प्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के निर्धारण को लेकर मंथन चल रहा है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद इन दोनों बिंदुओं पर मसौदा तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। 

loksabha election banner

12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने के मद्देनजर दावेदारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सितंबर में संभावित माने जा रहे पंचायत चुनाव में ताल ठोकने की मंशा पाले उन लोगों को मन मसोसकर रहना पड़ सकता है, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। 

असल में, त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए वर्ष 2016 में अस्तित्व में आए पंचायतीराज एक्ट की कुछ व्यवस्थाओं में सरकार ने संशोधन की ठानी है। इसमें नगर निकायों की भांति पंचायतों में भी चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त के साथ ही प्रतिनिधियों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का निर्धारण शामिल है।

इस सिलसिले में पिछले वर्ष पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने अधिकारियों को मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए थे। न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारण को हरियाणा व राजस्थान के पंचायतीराज एक्ट का अध्ययन करने को कहा गया था। इन दोनों बिंदुओं पर शासन स्तर पर गहनता से कसरत चल रही है। 

सूत्रों के मुताबिक दो बच्चों के प्रावधान को लागू करने में कोई दिक्कत भी नहीं है। नगर निकायों में यह व्यवस्था पहले से ही है। न्याय विभाग से भी इस पर ग्रीन सिग्नल मिल चुका है। ऐसे में कोई विधिक मामला बनने की गुंजाइश नाममात्र की है। 

सूत्रों ने बताया कि न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के लिए हरियाणा मॉडल को उपयुक्त माना गया है। वहां सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, अनुसूचित जाति के लिए आठवीं और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए पांचवीं पास होना अनिवार्य है। इस मसले पर तीन दौर की बैठकें शासन स्तर पर हो चुकी हैं। इसके विधिक समेत अन्य पहलुओं पर गहनता से मंथन चल रहा है। 

सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद इन बिंदुओं पर मसौदा तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही बात आगे बढ़ेगी। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के 12 जिलों में चुने जाएंगे 66 हजार पंचायत प्रतिनिधि

यह भी पढ़ें: भाजपा नेता ने कहा, खूनी फ्लाईओवर पर श्वेत पत्र जारी करे सरकार

यह भी पढ़ें: घोटाले में निलंबित आइएएस की बहाली पर कांग्रेस ने दागे सवाल

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.