Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में 77 करोड़ से बुझेगी जंगलों की प्यास, रोजगार के अवसर भी होंगे सृजित

प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के तहत वनों के पुनरोत्पादन को भूमि एवं मृदा संरक्षण कार्यों के लिए अनुमोदित 77.67 करोड़ की धनराशि जल संरक्षण से संबंधित कार्यों पर खर्च की जाएगी। इसका खाका खींच लिया गया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 08:46 AM (IST)
उत्‍तराखंड में 77 करोड़ से बुझेगी जंगलों की प्यास, रोजगार के अवसर भी होंगे सृजित
उत्‍तराखंड में 77 करोड़ से बुझेगी जंगलों की प्यास, रोजगार के अवसर भी होंगे सृजित।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में इंद्रदेव की मेहरबानी से भले ही जंगलों की आग पूरी तरह बुझ गई हो, लेकिन वन महकमे ने इससे सबक लेते हुए वन क्षेत्रों में जल संरक्षण पर खास फोकस करने की ठानी है। प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के तहत वनों के पुनरोत्पादन को भूमि एवं मृदा संरक्षण कार्यों के लिए अनुमोदित 77.67 करोड़ की धनराशि जल संरक्षण से संबंधित कार्यों पर खर्च की जाएगी। इसका खाका खींच लिया गया है। जनसहभागिता से होने वाले इन कार्यों में आठ से 10 हजार व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

loksabha election banner

विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में यूं तो हर साल ही फायर सीजन, यानी 15 फरवरी से मानसून के आगमन तक वनों में आग धधकती है, मगर इस मर्तबा तस्वीर दूसरी रही। पिछले साल अक्टूबर से जंगलों के सुलगने का क्रम शुरू हुआ, जो अब जाकर बारिश व बर्फबारी होने पर थमा है। सर्दियों में जंगलों में आग के कारणों की पड़ताल हुई तो बात सामने आई कि इसकी मुख्य वजह वन क्षेत्रों में नमी का बेहद कम होना है। इसे देखते हुए जंगलों में जल संरक्षण के उपायों पर खास जोर दिया जा रहा था। अब वन महकमा इसे धरातल पर उतारने जा रहा है।

वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक कैंपा से मिली राशि से वन क्षेत्रों में खाल-चाल, चेकडैम, कंटूर ट्रैंच, बड़े तालाब, नौले, धारे, कुंड, ताल जैसे जलस्रोतों का पुनर्जीवीकरण, जल संरक्षण में सहायक पौधों का रोपण, परकुलेशन टैंक जैसे कार्य कराए जाएंगे। इससे जल संरक्षण व वनों के पुनरोत्पादन के साथ ही आगामी वर्ष में वनों की आग से सुरक्षा भी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि ये सभी कार्य स्थानीय निवासियों के माध्यम से कराए जाएंगे, जिससे उन्हें रोजगार भी उपलब्ध होगा।

जल संरक्षण को ये होंगे कार्य

  • कार्य-संख्या-यूनिट-राशि (करोड़ में)
  • खाल-चाल, चेकडैम - 18704 - संख्या - 37.00
  • 10 हजार से 2.5 लाख क्षमता के तालाब - 3895 - संख्या -12.62
  • कंटूर ट्रेंच - 8607 - हेक्टेयर - 9.48
  • जलस्रोतों का पुनर्जीवीकरण - 763 - संख्या - 15.68
  • भूमि व जल संरक्षण को पौधारोपण - 185 - हेक्टेयर - 1.70
  • परकुलेशन टैंक - 484 - हेक्टेयर - 1.16

यह भी पढ़ें-पारंपरिक बीजों के मामले में विशेषज्ञों को भी मात देती हैं 71 वर्षीय बीजा दीदी, जानिए उनके बारे में

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.