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Monsoon in Uttarakhand : नदियों के इर्द-गिर्द विकसित हो रहा चेतावनी तंत्र, सेंसर से मिलेगी पल-पल की जानकारी, ऐसे करेगा काम

Monsoon in Uttarakhand मुख्य नदियों पर स्वचालित जल स्तर रिकार्डर (एडब्लूएलआर) स्थापित किए जा रहे हैं। नदियां जनसामान्य के लिए खतरे का कारण न बनें इसे देखते हुए इनके आसपास की बसागत को सचेत करने के लिए चेतावनी तंत्र विकसित किया जा रहा है।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 08:50 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 08:50 AM (IST)
Monsoon in Uttarakhand : नदियों के इर्द-गिर्द विकसित हो रहा चेतावनी तंत्र, सेंसर से मिलेगी पल-पल की जानकारी, ऐसे करेगा काम
Monsoon in Uttarakhand : मुख्य नदियों पर स्थापित किए जा रहे स्वचालित जल स्तर रिकार्डर

राज्‍य ब्‍यूरो, देहरादून : Monsoon in Uttarakhand :  उत्तराखंड में वर्षाकाल के दौरान उफान पर रहने वाली नदियां जनसामान्य के लिए खतरे का कारण न बनें, इसे देखते हुए इनके आसपास की बसागत को सचेत करने के लिए चेतावनी तंत्र विकसित किया जा रहा है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय जलविज्ञान परियोजना के अंतर्गत राज्य में मुख्य नदियों पर स्वचालित जल स्तर रिकार्डर (एडब्लूएलआर) स्थापित किए जा रहे हैं।

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चार जिलों में 16 जगह लगे रिकार्डर

सिंचाई विभाग अब तक चार जिलों में 16 जगह रिकार्डर लगा चुका है, जबकि 43 शीघ्र ही लगाए जाएंगे। एडब्लूएलआर से नदियों के जल स्तर की सूचना सीधे देहरादून स्थित कंट्रोल रूम को मिलेगी। फिर वहां से तत्काल संबंधित तहसील प्रशासन को यह जानकारी दी जाएगी, ताकि खतरे की संभावना के मद्देनजर आसपास की बसागत को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

राज्य में 59 स्थानों पर एडब्लूएलआर स्वीकृत

वर्षाकाल में हर बार ही नदियों की बाढ़ भू-कटाव के साथ ही नजदीकी आबादी के लिए मुसीबत खड़ी करती आई है। नदियों का जल स्तर चेतावनी रेखा या खतरे के निशान के पास पहुंचने के संबंध में तत्काल सूचना भी नहीं मिल पाती। इसे देखते हुए नदियों पर रिकार्डर लगाए जा रहे हैं, ताकि जल स्तर की सूचना तत्काल मिलने पर सुरक्षात्मक कदम उठाए जा सकें।

सिंचाई विभाग के मुखिया मुकेश मोहन ने बताया कि राष्ट्रीय जलविज्ञान परियोजना के अंतर्गत राज्य में 59 स्थानों पर एडब्लूएलआर स्वीकृत हुए हैं। चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चम्पावत जिलों में विभिन्न नदियों पर 16 रिकार्डर लगाए जा चुके हैं।

ऐसे करेगा काम एडब्लूआर

मुकेश मोहन ने बताया कि नदियों पर स्थित पुलों के पिलर पर मुख्य रूप से एडब्लूएलआर लगाए जा रहे हैं। इसमें एक सेंसर होता है, जबकि बैटरी चार्ज करने के लिए सोलर सिस्टम लगा होता है।

सेंसर से नदी के जल स्तर की जानकारी लगातार कंट्रोल रूम को मिलती रहेगी। कंट्रोल रूम देहरादून में सिंचाई विभाग के मुख्यालय में स्थापित किया जा रहा है। किसी नदी का जल स्तर चेतावनी रेखा के पास पहुंचने की स्थिति में तुरंत इसकी सूचना कंट्रोल रूम से संबंधित संबंधित तहसील प्रशासन को दी जाएगी।

सचिवालय व जिला मुख्यालयों में भी होगा डिस्पले

सिंचाई विभाग के मुखिया ने बताया कि अगले चरण में सचिवालय में सभी प्रमुख नदियों और जिला मुख्यालयों में उनके क्षेत्र की मुख्य नदियों के जल स्तर का आंकड़ा डिस्पले करने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

यहां लगे एडब्लूएलआर

जिला- संख्या

उत्तरकाशी- 06

चम्पावत- 05

चमोली- 04

रुद्रप्रयाग- 01

नैनीताल के खतरनाक बरसाती नालों पर रहेगा पुलिस का पहरा

खतरनाक बरसाती नालों पर इस बार पुलिस का पहरा रहेगा। पूर्व के हादसों से सबक लेते हुए एसएसपी नैनीताल ने जिला प्रशासन के सहयोग से मानसून के समय रौद्र रूप दिखाने वाले 15 नालों को चिह्नित किया है। इनमें अधिकतर रामनगर, नैनीताल, भीमताल, कालाढूंगी व भवाली क्षेत्र के हैं।

सबसे ज्यादा खतरनाक रामनगर-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित धनगढ़ी व रिंगौड़ा नाला है, जहां हर साल पर्यटकों व आसपास के क्षेत्रों के लोगों की बहकर मौत होती है। इस बार इन नालों पर दो-दो पुलिस कर्मी तैनात किए जाएंगे, जो अलर्ट जारी होते ही वहां से गुजरने वालों को रोकेंगे। नहीं मानने वालों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराएंगे। एसएसपी पंकज भट्टï ने बताया कि अनहोनी न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है।

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