चारधाम यात्रा मार्ग पर ये डेंजर जोन लेंगे यात्रियों की परीक्षा, जान हथेली पर रख करना होगा सफर
कभी-कभी तो कई वाहन पहाड़ से गिरने वाले मलबे की चपेट में भी आ जाते हैं। इन दिनों चारधाम यात्रा सुचारू है। रुद्रप्रयाग जनपद के अंतर्गत 17 स्लाइडिंग जोन ऐसे हैं जो वर्षाकाल में काफी खतरनाक हो जाते हैं।
टीम जागरण, देहरादून : हर साल मानसून शुरू होते ही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के रास्ते खतरनाक हो जाते हैं। यहां डेंजर जोन सक्रिय हो जाते हैं। जिससे आए दिन हाईवे बंद होते रहते हैं। कभी-कभी तो कई वाहन पहाड़ से गिरने वाले मलबे की चपेट में भी आ जाते हैं। इन दिनों चारधाम यात्रा सुचारू है।
यात्रा मार्ग पर कई भूस्खलन संभावित क्षेत्र हैं। यह डेंजर जोर केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री हाईवे पर चारधाम यात्रियों के साथ ही स्थानीय यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बन जाते हैं। इस दौरान हाईवे पर सफर करना काफी खतरनाक होता है।
रुद्रप्रयाग जनपद के अंतर्गत 17 स्लाइडिंग जोन ऐसे हैं, जो वर्षाकाल में काफी खतरनाक हो जाते हैं। यहां कई घंटे यातायात बाधित रहता है। स्लाइडिंग जोन पर पहाड़ी से मलबा के साथ ही बोल्डरों गिरने लगते हैं। जिससे हाईवे पर आवाजाही तो प्रभावित होती ही है, दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है। पिछले तीन वर्ष की बात करें तो अब तक हाईवे पर स्लाइडिंग जोन में बोल्डरों गिरने से 21 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। जबकि चार दर्जन वाहन भी इस दौरान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
केदारनाथ व बदरीनाथ दर्शनों के लिए रुद्रप्रयाग जनपद से गुजरने वाले 112 किमी हाईवे जनपद रुद्रप्रयाग से होकर गुजरता है। इसमें 76 किमी गौरीकुंड हाईवे है, जबकि 36 किमी बदरीनाथ हाईवे है। बदरीनाथ हाईवे पर चार स्लाइडिंग जोन काफी खतरनाक हैं। जिसमें रामपुर, नारायणकोटी, सिल्ली, सौड़ी, चन्द्रापुरी, गबनी गांव, बांसवाड़ा, भीरी, मुनकटिया, बडासू, चंडिकाधार, सेमी और डोलिया मंदिर स्लाइडिंग जोन हैं, जबकि गौरीकुंड हाईवे पर 13 स्लाइडिंग जोन हैं।
गौरीकुंड हाईवे पर रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग के बीच रामपुर, नारायणकोटी, सिल्ली, सौड़ी, चन्द्रापुरी, गबनी गांव, बांसवाड़ा, भीरी, मुनकटिया, बडासू, चंडिकाधार, सेमी और डोलिया मंदिर डेंजर जो हैं। हाईवे पर लगातार भूस्खलन से पिछले ढाई वर्षों में अब तक कई दर्दनाक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। वर्ष 2021 में अप्रैल में ऊखीमठ मीटिंग लेने गए तत्कालीन राज्यमंत्री धन सिंह के वाहन पर भी पहाड़ी से पत्थर गिर गया था, इस दुर्घटना में मंत्री तो बाल-बाल बच गए। लेकिन, वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। पिछले तीन वर्ष में चार दर्जन से अधिक वाहन अब तक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
वहीं केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी, भीमबली, लिनचोली, महादेव झरना, गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव, घोड़ा पड़ाव से एक किमी आगे, बड़ी लिनचोली, चीरबासा, कुबेर गदेरा, भैरव गदेरा, हथिनी ग्लेशियर डेंजर जोन मुख्य रूप से शामिल हैं। बदरीनाथ हाईवे पर कमेड़ा गौचर, कर्णप्रयाग बाबा आश्रम के पास, नंदप्रयाग हिलेरी प्वाइंट के पास, चमोली चाड़ा, क्षेत्रपाल, भनारपानी, हाथी पहाड़, विष्णुप्रयाग के पास व रडांग बैंड, गोविंदघाट, लामबगड़, हेलंग, पातालगंगा , बिरही, परथाडीप नंदप्रयाग, मैठाणा डेंजर जोन हैं।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 18 से अधिक ऐसे स्थान हैं, जो भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील हैं। 13 स्थान भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील तथा पांच स्थान अति संवेदनशील हैं। इन स्थलों पर समय रहते सुरक्षा संसाधन और सुविधाएं जुटाने की जरूरत है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सबसे बड़ा डेंजर जोन डाबरकोट है। यहां तो करीब आधा किलोमीटर का क्षेत्र पूरा भूस्खलन जोन में ही तब्दील है, जो अभी खतरनाक है। राजमार्ग के प्रमुख भूस्खलन जोन धरासू बैंड, ब्रह्मखाल, सिलक्यारा, किसाला-कुथनौर, ओरछा बैंड, दोबाटा, पुजार गांव, पालीगाड, डाबरकोट, ओजरी, स्यानाचट्टी, झझरगाड़, रानाचट्टी, हनुमानचट्टी, जंगल चट्टी असनौलगाड़ हैं। धरासू-बड़कोट के बीच ब्रह्मखाल, सिलक्यारा व धरासू बैंड बड़े भूस्खलन जोन में शामिल हैं।
वहीं आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार गंगोत्री हाईवे पर बंदरकोट, नालूपानी, ओंगी, भाटूकासौड़, मल्ला, स्वारीगाड़ व हेलगूगाड़ और यमुनोत्री हाईवे पर दोबाटा, सिंलाई बैंड, ओजरी डबरकोट व ओरछा बैंड अतिसंवेदनशील की श्रेणी में हैं। उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे पर बड़ेथी चुंगी, गंगोरी, हीना, लालढांग, बिशनपुर, नेताला, सैंज, भटवाड़ी, चड़ेथी, स्वारीगाड़, थिरांग, सुनगर, रतूड़ीसेरा, चिन्यालीसौड़ बाजार व धरासू थाना। यमुनोत्री हाईवे पर अगलाड़ पुल, मरोड़, डामटा, रिखाऊं खड्ड, गंगनानी, डबराणी, सुक्की बैंड, नगुण, धरासू बैंड, सैंणी, सिंगोटी, नाकुरी, चामी, बिल्ला, तुनाल्का, छटांगा, बाडिया, पालीगाड़, जंगलचट्टी, असनोलगाड़, फेड़ी, कल्याणी व सिल्क्यारा बैंड को चयनित किया गया है। वहीं पुरोला व मोरी क्षेत्र के मोटर मार्गों पर जरमोला धार, फफराला खड्ड, हलारा, नैटवाड़ व खूनीगाड़ भूस्खलन संभावित क्षेत्र हैं।
यह बरतें सावधानी
- वर्षा होने पर यात्रा पर जाने से बचें।
- पैदल यात्रा के समय यदि वर्षा शुरू हो जाए तो सुरक्षित स्थान पर जाकर बारिश बंद होने का इंतजार करें।
- भूस्खलन जोन में सावधानी पूर्वक यात्रा करें।
- साइन बोर्ड में पुलिस व प्रशासन के निर्देशों के आधार पर खतरनाक स्थानों पर सुरक्षित चलें।
- वाहन चालक सावधानी से वाहन चालाएं, पहाड़ी से बिना वर्षा के भी पत्थर व मलबा गिरने का खतरा बना रहता है, आराम से सुरक्षित चलें।
- हाईवे अवरुद्ध होने पर नजदीकी सुरक्षित कस्बों में ठहरे।
- राजमार्ग पर भूस्खलन जोन के निकट पुलिस की ओर से चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। ऐसे स्थानों पर सावधानी से चलें।
- भूस्खलन जोन को पार करने में जल्दबाजी न करें। डाबरकोट भूस्खलन जोन में जल्दबाजी के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।