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Monsoon 2022 : दस्‍तक देने वाला है मानसून, लेकिन हरिद्वार में नहीं किए बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम

Monsoon 2022 in Uttarakhand वर्ष 2013 में आई आपदा ने पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में कहर बरपाया था। भारी वर्षा आने पर गांव कभी भी बाढ़ की चपेट में आ सकता है। बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील कांगड़ी गांव में बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए हैं।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 11:50 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 11:50 AM (IST)
Monsoon 2022 : दस्‍तक देने वाला है मानसून, लेकिन हरिद्वार में नहीं किए बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम
Monsoon 2022 : हरिद्वार में नहीं किए बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम

संवाद सूत्र, लालढांग : Monsoon 2022 : मानसून दस्तक देने वाला है, लेकिन सिंचाई विभाग अब भी कुंभकर्णी नींद सोया है। बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील कांगड़ी गांव में अभी भी बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए हैं।

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भारी वर्षा आने पर गांव कभी भी बाढ़ की चपेट में आ सकता है। गांव और गंगा के बीच मात्र पांच फीट का पुश्ता ही बचा है, जो पहली ही बाढ़ में धराशायी हो सकता है। ग्रामीण समय रहते तटबंधों और वायर क्रेट की मरम्मत कराने की गुहार लगा चुके हैं।

गंगा की धारा में जमींदोज हो गया था एक मकान

वर्ष 2013 में आई आपदा ने पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में कहर बरपाया था। हरिद्वार भी अछूता नहीं रहा था। लक्सर, भोगपुर और श्यामपुर क्षेत्र में बाढ़ की विभीषिका देखने को मिली थी, जहां कांगड़ी गांव में गंगा का पानी गांव से सटकर बह रहा था। वहीं श्यामपुर में एक मकान भी गंगा की धारा में जमींदोज हो गया था।

तत्कालीन विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने धरना देकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों से तत्काल वायर क्रेट लगाने को कहा था, जिसके बाद से हर साल वर्षाकाल के समय ही कांगड़ी में गंगा तट पर बाढ़ से बचाव के लिए वायर क्रेट बनाए जाते हैं, जो पहली ही वर्षा में धराशायी हो जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई विभाग धन की बंदरबांट करने के लिए वर्षा के समय ही बाढ़ सुरक्षा के उपाय करता है।

निवर्तमान प्रधान राजेश कुमार ने बताया कि उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से मानसून पूर्व कई बार वायर क्रेट बनवाने की मांग की, लेकिन नतीजा सिफर रहा। हर वर्ष वर्षा के दौरान ही सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कांगड़ी गांव में तटबंध बनाने की याद आती है। आलम यह कि कांगड़ी गांव और गंगा के बीच मात्र पांच फीट का एक पुश्ता बचा है जो पहली ही वर्षा में धराशायी हो सकता है।

वायर क्रेट के दूसरी ओर सिद्ध स्रोत बरसाती नाला भी ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। जो वर्षा के दौरान उफनाया रहता है। वहीं मामले में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता मंजू ने बताया कि मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा। अगर तटबंध या स्पर क्षतिग्रस्त है, तो जल्दी उसके मरम्मत कराई जाएगी।

कच्चा बंधा सबसे बड़ा खतरा

पिछले वर्ष गांव की ओर से गंगा की धारा मोडऩे के लिए एक कच्चा बांध बनाया गया था, जिसके नीचे से बराबर पानी रिसता रहता है। ग्रामीणों को भय है कि जब गंगा अपने चरम पर बहेगी, तो वह बांध भी पानी की चपेट में आकर टूट सकता है, जिससे पानी का उफनता फ्लो एकदम गांव की ओर रुख करेगा।

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