अब उत्तराखंड की सभी नदियों और झीलों की होगी मॉनीटरिंग, अगले साल तक तस्वीर होगी साफ
देवभूमि की नदियों, झीलों और नालों में पानी की गुणवत्ता कैसी है, अगले साल से इसे लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देवभूमि की नदियों, झीलों और नालों में पानी की गुणवत्ता कैसी है, अगले साल से इसे लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी। केंद्र की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना के जरिये यह संभव हो पाएगा। नमामि गंगे में यह जिम्मेदारी उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) को मिली है। पानी के नमूनों की जांच के लिए देहरादून, काशीपुर और रुड़की में लैब मंजूर की गई हैं। देहरादून में सेंट्रल लैब बनेगी, जो अगले वर्ष मकर संक्रांति से शुरू हो जाएगी। राज्यभर से पानी के नमूने लेने के मद्देनजर पीसीबी शेड्यूल तय करने में भी जुट गया है।
नमामि गंगे में भले ही गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की बात हो, लेकिन इसमें अब अन्य नदियों को भी लिया जा रहा है। गंगा और उसकी सहायक नदियों से इतर भी नदियों, नालों और झीलों की मॉनीटरिंग पर जोर दिया गया है। इस क्रम में उत्तराखंड में नदियों, नालों व झीलों की मॉनीटरिंग के मद्देनजर पीसीबी की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत नमामि गंगे में प्रस्ताव भेजा गया।
पीसीबी का तर्क था कि उत्तराखंड में वह अभी तक प्रदेश में 54 स्थानों पर ही पानी के नमूनों की जांच करता है। इसमें उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार तक गंगा नदी पर पड़ने वाले 29 स्थल शामिल हैं। इन सभी में वह सामान्य पैरामीटर पर पानी की गुणवत्ता जांचता है। लिहाजा, पानी की बारीकी से गुणवत्ता जांच को लैब जरूरी हैं।
लैब स्थापित होने पर वह राज्यभर में पानी की गुणवत्ता की जांच बखूबी कर सकेगा और इसे लेकर सही तस्वीर भी सामने आने से नदियों, नालों व झीलों को प्रदूषणमुक्त करने को कदम उठाए जा सकेंगे। केंद्र ने पीसीबी के तर्क को स्वीकारा और राज्य में तीन लैब के लिए 16 करोड़ की मंजूरी देते हुए उत्तराखंड की सभी नदियों, नालों व झीलों की मॉनीरिंगग का जिम्मा उसे सौंपा। इस कड़ी में देहरादून में स्थापित हो रही लैब को सेंट्रल लैब का दर्जा दिया गया है, जिसका निर्माण अंतिम चरण में है।
पीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी एसएस पाल के अनुसार देहरादून की लैब अगले वर्ष जनवरी में मकर संक्रांति को चालू हो जाएगी। इसके साथ ही रुड़की व काशीपुर में भी अगले साल लैब आकार ले लेंगी। मुख्य पर्यावरण अधिकारी पाल के मुताबिक अब राज्यभर में नदियों, झीलों व नालों की मॉनीटरिंग के लिए शेड्यूल तय किया जा रहा है। इसके तहत नदी-नालों व झीलों के साथ ही भूजल की हर पैरामीटर पर निरंतर जांच की जाएगी। इससे एक सही डेटा उपलब्ध होगा और फिर जहां कमियां होगी, वहां उपचारात्मक कदम उठाए जा सकेंगे।
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