मॉम-डैड फिर से माता-पिता हो गए हैं और ब्रो व सिस, भईया-बहन
मॉम-डैड फिर से माता-पिता हो गए हैं और ब्रो व सिस भईया-बहन। इतना ही नहीं कुछ घरों में तो भ्राता और बहना कहते हुए भी सुना जा रहा।
देहरादून अंकुर अग्रवाल। माता-पिता को मॉम-डैड, मम्मी-पापा, मॉम्स-पॉप्स आदि बुलाने वाले बच्चों का मिजाज आजकल कुछ बदला हुआ दिखाई दे रहा है। इसी तरह भाई-बहन को ब्रो या सिस बुलाने वाले बच्चे भी बदले हुए दिख रहे। मॉम-डैड फिर से माता-पिता हो गए हैं और ब्रो व सिस, भईया-बहन। इतना ही नहीं कुछ घरों में तो भ्राता और बहना कहते हुए भी सुना जा रहा। यह जादुई करिश्मा है या वास्तविक बदलाव या फिर वक्त काटने का कोई खेल। यह हकीकत तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन मौजूदा समय को देखें तो यह बदलाव सभी को भा रहा है।
बदलाव का कारण हमारी संस्कृति से जुड़ा जो है। आजकल टीवी पर आ रही रामायण और महाभारत ही इस बदलाव के ‘जनक’ हैं। रामायण में हनुमान जबकि महाभारत में कृष्ण लीलाओं का पदार्पण हो चुका है, जो बच्चों को प्रिय लगती हैं। उन्हें इसमें आनंद आ रहा, वहीं इससे संस्कृति को बढ़ावा भी मिल रहा।
महिलाएं दे रहीं नए टास्क
लॉकडाउन के चलते घर में समय गुजरने में बोरियत से बचने के लिए इन दिनों शहर में महिलाएं ऑनलाइन एक्टिविटी का आनंद ले रहीं। खुद को बिजी रखने को महिलाओं ने व्हाट्सअप पर अलग-अलग नए ग्रुप भी बना लिए हैं। जहां एक दूसरे के साथ खेल खेलने के संग ही नए टास्क दिए जा रहे हैं। फिलहाल, 14 अप्रैल तक तो लॉकडाउन है ही, लिहाजा महिलाओं ने एक दूसरे से जुड़े रहने के अनोखे तरीके निकाले हैं।
महिलाएं एक-दूसरे को कभी साड़ी पहनने तो कभी जींस-टॉप पहनने के टास्क दे रहीं। जो भी महिला टास्क पूरा कर लेती है, उसे स्टेटस पर अपनी फोटो व वीडियो शेयर करने होते हैं। बीते हफ्ते ‘किस, मैरी, किल’ गेम बेहद खेला गया। गेम में सभी को तीन विकल्पों में से एक का जवाब देना होता है। जैसे वे किसे किस करना चाहेंगी, किससे शादी या किसे मारना चाहेंगी। जिसका महिलाओं ने काफी मजा लिया।
बच्चों पर भी रखें नजर
लॉकडाउन में समय काटने के लिए इन दिनों ज्यादातर लोगों के लिए मोबाइल ही एकमात्र जरिया है, लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा जिम्मेदारी अभिभावकों को निभानी होगी। बच्चे भी आजकल ऑनलाइन गेम्स पर बिजी रहते हैं, जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। कुछ समय के लिए ये गेम्स बच्चों का मनोरंजन करते हैं पर लंबे समय के लिए इनका गलत प्रभाव बच्चों के आचरण पर पड़ सकता है। कई ऑनलाइन गेम्स ऐसे हैं, जिसे खेलने से बच्चों में सिर्फ चिड़चिड़ापन ही नहीं आता, बल्कि हिंसक प्रवृति को भी बढ़ावा मिलता है। दो साल पहले वीडियो गेम ब्लू व्हेल, मोमो चैलेंज गेम्स और ग्रैनी गेम खतरनाक व जानलेवा साबित हो चुके हैं। इनसे बच्चों के नैतिक आचरण में भी गिरावट आती है। इन दिनों चूंकि सभी वक्त काटने में व्यस्त हैं तो ऐसे में ध्यान रखें कि आपका बच्चा इन गेम्स का लती न बन जाए।
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दिया गया एकजुटता का पैगाम
कोरोना भी क्या बीमारी है, एक तरफ पूरी दुनिया में कोहराम मचाया हुआ, दूसरी ओर दुनिया को नए-नए पैगाम भी दे रहा। जनता कफ्यरू की शाम 22 मार्च को समूचे भारत ने पीएम नरेंद्र मोदी की अपील पर थाली, घंटे, शंख आदि बजाकर एकजुटता का संदेश पूरे विश्व को दिया, वहीं पांच अप्रैल को पूरे देश में दीप जलाकर ‘दिवाली’ मनी। हैरानी वाली बात ये है कि दीप जलाने में न सिर्फ हिंदू समुदाय, बल्कि सभी धर्म के लोगों की भागीदारी खुलकर सामने आई। सही मायने में कहें तो यह देश के लिए शुभ संकेत भी है कि जहां राष्ट्रहित की बात है तो हम सब एक हैं। यूं तो कई मर्तबा धर्म एवं संप्रदाय के नाम पर देश को बांटने की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन जो संयम और एकजुटता का परिचय इस समय दिया जा रहा, वह वाकई में सराहनीय कदम है। प्रार्थना करें कि यह एकजुटता हमेशा बनी रही।
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