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मनरेगा योजनाएं: ब्लॉक से स्वीकृत, पंचायत में अटकी

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गांव की विभिन्न विकास योजनाएं ब्लॉक से तो स्वीकृत हो रही हैं लेकिन पंचायत में आकर अटक रही हैं। निर्माण सामग्री के लिए चुगान की अनुमति न मिलने से करोड़ों रुपए की तमाम योजनाएं ठप पड़ी हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 05:14 AM (IST)
मनरेगा योजनाएं: ब्लॉक से स्वीकृत, पंचायत में अटकी
मनरेगा योजनाएं: ब्लॉक से स्वीकृत, पंचायत में अटकी

संवाद सूत्र, रायवाला : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गांव की विभिन्न विकास योजनाएं ब्लॉक से तो स्वीकृत हो रही हैं, लेकिन पंचायत में आकर अटक रही हैं। निर्माण सामग्री के लिए चुगान की अनुमति न मिलने से करोड़ों रुपए की तमाम योजनाएं ठप पड़ी हैं।

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श्यामपुर न्याय पंचायत के तमाम गांवों में यही सूरतेहाल है। मनरेगा से गांवों में सिचाई गुल, पुश्ता निर्माण, बाड़ सुरक्षा, जल संरक्षण आदि योजनाएं मंजूर हुई हैं। इनके लिए गांव में ही पंचायती जमीन या नदी, नालों से चुगान कर निर्माण सामग्री जुटाने का प्रावधान है, ताकि इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले। ब्लॉक से तो योजनाएं मंजूर हो गई लेकिन शासन चुगान की अनुमति नहीं दे रहा है। ग्राम पंचायतों के प्रार्थना पत्र उपजिलाधिकारी कार्यालय में धूल फांक रहे हैं। गौहरीमाफी के ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल ने बताया कि उनके गांव के लिए करीब 60 लाख की योजनाएं मंजूर हैं, लेकिन चुगान की अनुमति नहीं मिल रही। राजाजी पार्क प्रशासन भी अड़चन बना हुआ है। इसी तरह रायवाला ग्राम सभा में 20 लाख की योजनाएं अटकी हुई है। एक पुश्ता आधा बनाने के बाद मैटीरियल नहीं मिला लिहाजा काम बंद करना पड़ा। हरिपुरकलां में भी चुगान की अनुमति के अभाव में काम शुरू नहीं हो पाया। कई ग्राम पंचायतों ने तो इस झंझट की वजह से प्रस्ताव ही नहीं भेजे।

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प्रशासन नहीं कर रहा सहयोग

बिना चुगान की अनुमति के मनरेगा योजनाओं का संचालन करने से ग्राम प्रधानों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ग्राम प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष सोबन सिंह कैंतुरा ने बताया कि निर्माण सामग्री न मिलने से पूरे जिले में करोड़ों रुपये की योजनाएं ठप पड़ी हैं। जबकि मनरेगा से ग्रामीणों को रोजगार भी मिलना है, वाबजूद इसके प्रशासन कतई सहयोग नहीं कर रहा है। उनके मुताबिक पूरे जिले में करोड़ों रुपये की योजनाएं ठप हैं।

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बेहद आश्चर्यजनक है कि मनरेगा में स्वीकृत बजट पर सरकार द्वारा निर्माण सामग्री की रॉयल्टी काट कर पैसा दिया जा रहा, लेकिन चुगान की अनुमति देने में नियम कानून गिनाए जा रहे हैं। अधिकारी एक दूसरे के जिम्मेदारी मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ देते हैं। मुसीबत ग्राम प्रधानों को झेलनी पड़ रही है।

- गीतांजलि जखमोला, ग्राम प्रधान, हरिपुरकलां

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चुगान की अनुमति शासन स्तर से होती है। अनुमति न मिलने से ग्राम पंचायतों में कार्य कराने में दिक्कत आना स्वाभाविक है। इस बारे में उचित माध्यम से जिलाधिकारी से वार्ता कर समाधान निकाला जाएगा।

- बीएस नेगी, खंड विकास अधिकारी, डोईवाला


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