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अफसरों की मनमानी से विधायक खफा, पहुंचे सीएम दरबार

सूबे में वर्तमान में नौकरशाही के रवैये को लेकर माननीय गुस्से में हैं। बीते बुधवार को एक दर्जन भाजपा विधायकों ने सीएम से सचिवालय में मुलाकात कर उनके समक्ष अपनी पीड़ा बयां की।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 01 May 2018 08:34 AM (IST)Updated: Wed, 02 May 2018 05:23 PM (IST)
अफसरों की मनमानी से विधायक खफा, पहुंचे सीएम दरबार
अफसरों की मनमानी से विधायक खफा, पहुंचे सीएम दरबार

देहरादून, [केदार दत्त]: प्रदेश में नौकरशाही की निरंकुशता का आलम यह है कि विभागीय नियुक्तियों और तैनाती में मंत्री को भी हाशिये पर डाल देने से अब अफसरों को गुरेज नहीं। हाल ही में एक दर्जन विधायक अफसरों की मनमानी और प्रोटोकॉल का पालन न करने की फरियाद लेकर मुख्यमंत्री दरबार में पहुंचे थे और अब वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत को कुछ इसी तरह के मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखना पड़ रहा है। दरअसल, वन विकास निगम में प्रबंध निदेशक के सेवानिवृत्त होने पर बगैर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के ही इस पद पर नई तैनाती कर दी गई।

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उत्तराखंड में राज्य गठन से लेकर अब तक नौकरशाही अक्सर सुर्खियों में रहती आई है। वर्तमान में भी नौकरशाही के रवैये को लेकर माननीय गुस्से में हैं। बीते बुधवार को एक दर्जन भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री से सचिवालय में मुलाकात कर उनके समक्ष अपनी पीड़ा बयां की। उनका कहना था कि अधिकारी न तो उनकी बातों को तवज्जो दे रहे और न विकास कार्यों के प्रस्तावों को। कुछ का यह भी आरोप था कि उनके लिए निर्धारित प्रोटोकाल तक को अधिकारी ताक पर रख रहे हैं। तब मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित करने की बात कही थी।

विधायकों की उपेक्षा का यह मसला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि नौकरशाही ने वन विकास निगम में प्रबंध निदेशक के पद पर नई तैनाती में विभागीय मंत्री से राय न लेने का मामला तूल पकड़ गया है। दरअसल, वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक एसटीएस लेप्चा के 30 अपै्रल को रिटायर होने के मद्देनजर शासन ने 27 अपै्रल को एक आदेश जारी किया। इसके तहत जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश शाह को निगम के प्रबंध निदेशक की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई। 

शासन का यह रवैया वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत को नागवार गुजरा है। उन्होंने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि विभागीय मंत्री होने के नाते निगम के प्रबंध निदेशक पद पर व्यवस्था के संबंध में उनसे कोई सहमति लेने की जरूरत नहीं समझी गई। डॉ.रावत के मुताबिक यह स्थिति ठीक नहीं है। इस सिलसिले में वह मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं।

डॉ. हरक सिंह रावत (वन एवं पर्यावरण मंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि निगम के प्रबंध निदेशक पद पर तैनाती टेंपरेरी व्यवस्था है, लेकिन इसमें विभागीय मंत्री की सहमति तो ली ही जानी चाहिए थी। मैं मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख रहा हूं कि यह नियुक्ति किस आधार पर हुई और विभागीय मंत्री होने के नाते मुझसे राय लेने की जरूरत क्यों नहीं समझी गई। पत्र की प्रति मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव को भी भेजी जा रही है।

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