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अफसर से बोले विधायक, घसीटकर ले जाऊंगा; प्रभारी मंत्री से भी उलझे

एक अधिकारी के फोन न उठाने पर नाराजगी जताते हुए विधायक चमोली अधिकारी पर जमकर बरस पड़े। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि 'मैं विधायक हूं। अक्ल ठिकाने लगा दूंगा।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 05:12 PM (IST)
अफसर से बोले विधायक, घसीटकर ले जाऊंगा; प्रभारी मंत्री से भी उलझे
अफसर से बोले विधायक, घसीटकर ले जाऊंगा; प्रभारी मंत्री से भी उलझे

देहरादून, [जेएनएन]: अक्सर अपने तुनक मिजाज के कारण चर्चा में रहने वाले धर्मपुर क्षेत्र के विधायक विनोद चमोली के तीखे तेवर जिला योजना समिति की बैठक में भी देखने को मिले। एक अधिकारी के फोन न उठाने पर नाराजगी जताते हुए विधायक चमोली अधिकारी पर जमकर बरस पड़े। जिले के प्रभारी मंत्री मदन कौशिक ने विधायक को शांत कराने का प्रयास किया तो वह आग बबूला हो गए। 

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दरअसल, विधायक विनोद चमोली सिंचाई विभाग के नोडल अधिकारी वीके सिंह पर नाराज थे। बोले, कितनी बार फोन करके बुलाया, लेकिन वह एक बार भी नहीं आए। अब तो फोन उठाना ही बंद कर दिया। विधायक ने वीके सिंह को सख्त लहजे में कहा कि 'मैं विधायक हूं। अक्ल ठिकाने लगा दूंगा। तुम ये सोचते हो कि मैं तुम्हारे दफ्तरों के चक्कर काटूंगा तो गलतफहमी दिमाग से निकाल दो। जनप्रतिनिधि हूं, घसीट कर ले जाऊंगा'। 

इस बीच, प्रभारी मंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए विधायक को रोक कर अधिकारी को अपना पक्ष रखने को कहा। इस पर विधायक का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। बोले कि 'ये तरीका ठीक नहीं है। इसका मतलब तो ये है कि मैं झूठ बोल रहा हूं। मैं अफसरों की गुलामी नहीं कर सकता। वो तो सरकार हमारी है, नहीं तो इस अधिकारी को बता देता कि विधायक होता क्या है'। 

प्रभारी मंत्री कौशिक ने कहा विधायक जी आप अपनी बात पर मत अड़े रहो,  चिल्लाना बंद भी करो। मुझे दोनों पक्षों को सुनना पड़ेगा'। यह सुन विधायक का पारा और चढ़ गया और बोले कि 'जब हम पर विश्वास नहीं तो इस बैठक में रहने का क्या मतलब, मैं यहां से जा रहा हूं'। प्रभारी मंत्री ने उन्हें रोकते हुए कहा कि 'आप बैठें, सलाह दी कि अगर ऐसी कोई बात थी तो मुझे एक बार फोन कर बताते तो सही। इस पर विधायक चमोली ने सवालिया अंदाज में बोले कि 'आपके सहारे चलाऊंगा क्या मैं अपनी विधानसभा'। 

इसके बाद उमेश शर्मा काऊ ने भी कहा कि अधिकारियों का रवैया जनप्रतिनिधियों के प्रति ठीक नहीं है। ये अपनी मनमर्जी चलाते हैं। मंत्री ने दोनों को शांत कराते हुए कहा कि 'ऐसा नहीं चलने देंगे। ऐसे अधिकारियों पर एक्शन लिया जाएगा'।

जिला योजना के बजट में 22 फीसद की कटौती

जिला योजना समिति की बैठक में हंगामे के बीच वर्ष 2018-19 के लिए 54.71 करोड़ रुपये के परिव्यय (बजट) का अनुमोदन हुआ। सदस्यों ने पिछले साल के मुकाबले बजट में करीब 22 फीसद की कटौती करने पर कड़ा एतराज जताया। कहा कि प्रावधान तो हर साल दस फीसद बजट बढ़ाने का है। लेकिन, साल दर साल इसमें कटौती की जा रही है। 

यही स्थिति रही तो जिला योजना का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। जिले के प्रभारी मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में राजपुर रोड स्थित मंथन सभागार में हुई बैठक में जिला पंचायत के अध्यक्ष चमन सिंह ने कहा कि पिछले दो सालों से जो परिव्यय अनुमोदित हुआ, शासन से उसके सापेक्ष भी कम पैसा मिला। दो साल में करीब 47 करोड़ रुपये कम मिले। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 69.84 करोड़ का परिव्यय अनुमोदित था, लेकिन शासन से सिर्फ 49.74 करोड़ ही मिले। 

अब इस वित्तीय वर्ष के बजट से पुरानी योजनाओं पर पैसा खर्च करें या नई योजनाओं पर। प्रभारी मंत्री ने कहा कि विभागों का रवैया गलत रहता है। वह पैसा खर्च नहीं करने की रिपोर्ट देते हैं, जिससे शासन स्तर पर बजट में कटौती की जाती है। मुख्यमंत्री के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है। कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा। 

सदस्यों ने कहा कि जब पूरा पैसा मिलता ही नहीं तो खर्च कैसे होगा। हम जनप्रतिनिधि हैं और जनता को जवाब देना पड़ता है। बैठक में टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक उमेश शर्मा काऊ, सहदेव पुंडीर, विनोद चमोली, ब्लॉक प्रमुख कालसी अर्जुन सिंह, मुख्य विकास अधिकारी जीएस रावत आदि मौजूद रहे। 

सदस्य जरूरत के हिसाब से देंगे प्रस्ताव 

समिति के सदस्यों ने कहा कि विभाग आवंटित बजट के सापेक्ष प्रस्ताव मांगते हैं। लेकिन, कुछ विभागों से संबंधित किसी काम की क्षेत्र में जरूरत नहीं होती। ऐसे में सदस्य प्रस्ताव नहीं दे पाते। मसलन, नगर निकाय क्षेत्रों में वन और लघु सिंचाई से संबंधित का कोई काम नहीं होता। बैठक में तय हुआ कि कुल बजट के अनुपात में प्रत्येक सदस्य को बजट दिया जाएगा। वह क्षेत्र की जरूरत के मुताबिक विकास कार्यो के प्रस्ताव देंगे। हमारे प्रस्ताव किए 'गुम' 

रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि विधायकों व सदस्यों ने जो प्रस्ताव विभागों को दिए थे, उनके स्थान पर दूसरी योजनाएं स्वीकृत कर दी गई। साथ ही उक्त योजनाओं के प्रस्ताव देना विधायकों व सदस्यों द्वारा दिखा दिया। इसमें सबसे ज्यादा योजना सिंचाई विभाग की थी। प्रभारी मंत्री ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई और स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा। 

पांच विभागों के प्रस्ताव ही मांगें 

सदस्यों ने सदन में मुद्दा उठाया कि जिला योजना में करीब 31 विभागों को बजट आवंटित होता है। लेकिन, कुछेक विभागों ने हर विकास कार्यो के लिए प्रस्ताव मांगें। अगर विभागीय अधिकारियों को सबकुछ अपनी मर्जी से करना है तो यहां चर्चा का क्या औचित्य। प्रभारी मंत्री ने मुख्य विकास अधिकारी को इस मामले को गंभीरता लेने के निर्देश दिए। सदस्यों के नाम का लगेगा बोर्ड 

सदस्यों ने मांग उठाई कि उनके प्रस्ताव पर जो विकास कार्य होते हैं, उनका बोर्ड लगाया जाए। विधायक का नाम अगर उस पर होगा तो भी कोई आपत्ति नहीं है। प्रभारी मंत्री ने कहा कि ऐसा जरूर हो और काम शुरू करने से पहले संबंधित विभाग सदस्यों को मौके पर बुलाएं। जैसे विधायक शिलान्यास करते हैं, ऐसे ही समिति के सदस्यों से भी कराया जाए। 

अगली बैठक में होगा हंगामा 

समिति की अगली बैठक में हंगामा होना तय है। वित्तीय वर्ष की पहली बैठक में सिर्फ परिव्यय का अनुमोदन हुआ और सदन में चर्चा कर कुछ विभागों के बजट में कटौती की गई तो कुछ का बजट बढ़ाया गया। अगली बैठक में विभिन्न योजनाओं के प्रस्तावों पर धनराशि आवंटित करने का निर्णय होगा। ऐसे में हंगामा होना तय है। 

नगर निकायों के सदस्यों का कार्यकाल खत्म 

नगर निकायों के बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इनसे चुने जाने वाले समिति के सदस्यों का भी कार्यकाल खत्म हो गया। ऐसे में बैठक में सिर्फ जिला पंचायत से चुने गए सदस्य ही मौजूद रहे। हालांकि, नगर निगम से समिति की सदस्य रहीं एक निवर्तमान पार्षद भी बैठक में पहुंची थीं।

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