कुटुंब है हमारे विकास का मूल आधार, जानिए किसने कहा Dehradun News
कुलपति इंदुमति काटदरे ने कहा भारतीय जीवन दृष्टि को शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए। भारत में कुटुंब ही हमारे विकास का आधार रहा है।
देहरादून, जेएनएन। पुनरूत्थान विद्यापीठ कर्णावती, अहमदाबाद की कुलपति इंदुमति काटदरे ने कहा कि भारतीय जीवन दृष्टि को शिक्षा का माध्यम बनाने की जरूरत है। हमारा 70 फीसद विकास कुटुंब से हुआ है और कुटुंब की धुरी महिला होती है। कुटुंब को प्रतिस्थापन करना ही लक्ष्य होना चाहिए। भारत आध्यात्मिक देश है। धर्म और संस्कृति इसके आधार हैं। यह बात उन्होंने एमकेपी पीजी कॉलेज में देवभूमि विचार मंच उत्तराखंड की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही।
कॉलेज परिसर में शनिवार को सुबह नौ बजे से प्रथम तकनीकी सत्र का डॉ. सुषमा थलेड़ी ने संचालन किया। सत्र की अध्यक्षता देवभूति विचार मंच की सह प्रांत संयोजक डॉ. अंजली वर्मा ने की। सत्र में डॉ. रीना चंद्रा द्वारा अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछले कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। देश में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर विराजमान हैं।
महिलाएं कला, संगीत, खेल, राजनीति, साहित्य में योगदान दे रही हैं। इसके बाद उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता इंदुमति काटदरे ने कहा कि परिवार की रक्षा का केंद्र कुटुंब ही है। ग्रहणी से ही परिवार बनता है यह भारत का दर्शन है। राज्य में उच्च शिक्षा ले रही 41 फीसद महिलाएं राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा उत्तराखंड में महिलाओं की विशेष भूमिका सदैव से रही है। उन्होंने बताया कि देश में 24 फीसद, जबकि उत्तराखंड में 41 फीसद महिलाएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
उत्तराखंड महिलाओं के संदर्भ में आदर्श राज्य है। पंचायत में 50 फीसद आरक्षण महिलाओं को उपलब्ध है। संगोष्ठी में मुंबई की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता गीता ताई ने अपने संबोधन में कहा कि मीडिया भी भारतीय दर्शन पर आधारित होकर प्रचार-प्रसार कर देश में महिलाओं के उत्थान में सहभागिता निभा रहा है। इस सत्र के अध्यक्षीय संबोधन में एमकेपी पीजी कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रेखा खरे ने कहा कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं। महिलाएं देश के विकास में बराबर का योगदान दे रही हैं।
प्रत्येक क्षेत्र में निर्णय लेने मिले अधिकार द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड तकनीकी विवि की कुलसचिव डॉ. अनिता रावत ने देश और प्रदेश की विभिन्न वीरागनाओं का वर्णन करते हुए महिला सशक्तीकरण में उनके आदोलन पर प्रकाश डाला और कहा कि समावेशी समाज के निर्माण के लिए महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार देना चाहिए। सत्र की मुख्यवक्ता और न्यासी हिंदू विद्या केंद्र भोपाल की संस्थापक कुसुमलता केडिया ने 18वीं व 19वीं शताब्दी में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
कहा कि 20वीं शताब्दी तक महिलाओं की भागीदारी घटी है उन्होंने स्त्री विमर्श पर जोर देते हुए कहा कि स्त्री विमर्श की संकल्पना यूरोप से आई है भारतीय समाज प्रारंभ से ही स्त्री को बराबरी का दर्जा देता रहा है। डॉ. रेनू सक्सेना ने भारत में महिला आदोलन और क्रमिक विकास विषय पर अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।
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देवभूमि विचार मंच हरिद्वार की संयोजक अंजलि माहेश्वरी ने न्याय तंत्र में महिलाओं की भूमिका पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। डॉ. भारती शर्मा द्वारा मानवीय चेतना के विकास में ज्ञानवती सक्सेना का योगदान पर प्रकाश डाला। यह शिक्षाविद रहे मौजूद डॉ. एकता त्रिपाठी,डॉ. रवि दीक्षित, डॉ. ऋचा कांबोज, डॉ. एकता त्रिपाठी, प्रो. अनिता तोमर, प्रो. कंचन लता सिन्हा, डॉ. अंजलि वर्मा आदि मौजूद रहे।
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