Mission 2022: गैरसैंण पर पूर्व सीएम हरीश रावत का नया सियासी पैंतरा, जानिए क्या कहा
Mission 2022 पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बागडोर संभाली है। हरदा बोले कांग्रेस 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद गैरसैंण को पूर्णकालिक राजधानी बनाएगी।
देहरादून, विकास धूलिया। Mission 2022 गैरसैंण, चमोली जिले का एक कस्बा, भौगोलिक रूप से उत्तराखंड के लगभग बीचोंबीच स्थित है। जब उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग शुरू हुई, तब से ही इसे राजधानी बनाने की पुरजोर पैरवी हो रही है। जनभावनाएं अपनी जगह, मगर भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने इस मुददे पर जनभावनाओं के दोहन में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके, तमाम कोशिशों के बाद भी पब्लिक कभी सियासी पार्टियों के झांसे में नहीं आई। कुछ महीने पहले भाजपा की सूबाई सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया। कांग्रेस को लगा, मामला तो हाथ से गया। अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बागडोर संभाली है। हरदा बोले, 'कांग्रेस 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद गैरसैंण को पूर्णकालिक राजधानी बनाएगी।' हरदा, यह तो बताइए, 2022 में कांग्रेस में आपकी भूमिका क्या होगी, पहले प्रीतम सिंह और इंदिरा हृदयेश के साथ बैठ तय तो कर लीजिए।
हाय कोरोना, सरकार अब तो करो ना
उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान कोरोना कंट्रोल रहा, मगर जैसे ही अनलॉक हुआ, पॉजिटिव मामलों ने रफ्तार पकड़ ली। शनिवार को तो रिकार्डतोड़ 501 मामले आए। लाजिमी तौर पर सबकी नजर सरकार पर टिकी है। ऐसा ही कुछ अपने भाजपा विधायकों का भी हाल है। साढ़े तीन साल गुजर गए, इंतजार की इंतेहा हो गई, कब नए मंत्री बनाए जाएंगे। हाल ही में संकेत मिले तो दिल बल्लियों उछलने लगा कि अब लग ही जाएगा नंबर। संगठन के सूबाई मुखिया बंशीधर भगत ने भी यह कहकर अरमान परवान चढ़ा दिए कि बस कोरोना निबटते ही ताजपोशी पक्की। अब आलम यह है कि सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक रोज शाम सात बजते ही वाट्सएप पर नजरें गढ़ाए बैठ जाते हैं कि कब स्वास्थ्य विभाग का दैनिक कोरोना बुलेटिन जारी हो। बदकिस्मती, फिलहाल ग्राफ ऊपर ही जा रहा है। उनकी आह में भी बस यही निकल रहा है, 'सरकार अब तो करो ना'।
किशोर जी, अब तो जवां हो जाइए
किशोर उपाध्याय, नारायण दत्त तिवारी सरकार में मंत्री रहे, फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद का भी दायित्व मिला। जब सत्ता में कांग्रेस हुआ करती थी, इनका भी जलवा था। वक्त-वक्त की बात है। वैसे भी सियासत में कल की कोई गारंटी नहीं, मगर किशोर हैं कि जवां होने को तैयार ही नहीं। अभी भी कांग्रेस के स्वर्णकाल को याद कर आह भरा करते हैं। भाजपा ने कोरोना काल में वर्चुअल रैली के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं को एक्टिव क्या किया, कांग्रेस को भी सूझा कि ऐसा कुछ कर चुनावी तैयारी की जाए। तय कर दी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस। नैनीताल जिले से शुरुआत हुई, मगर कहते हैं न 'आगाज ऐसा तो अंजाम कैसा।' ऐसा ही कुछ हुआ। किशोर नाराज हो गए। मीडिया तक जा पहुंचे, इस शिकायत के साथ कि उन्हें क्यों नहीं आयोजन में शामिल किया गया। अब तक तो किसी कांग्रेसी ने इस ओर कोई तवज्जो दी नहीं, आगे देखते हैं।
मंत्रीजी, चुनाव नजदीक तो 'काम की बात'
मंत्री प्रसाद नैथानी कांग्रेस सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री रहे हैं। पिछला विधानसभा चुनाव हार गए और इन दिनों पार्टी में हाशिये पर हैं। दरअसल, छह साल पहले तक सूबे में कांग्रेस काफी मजबूत थी। पार्टी में सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा जैसे कद्दावर नेता थे, लेकिन दोनों ने ही कांग्रेस को अलविदा कह दिया। मंत्री, सतपाल महाराज के करीबी माने जाते थे।
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महाराज भाजपा में गए तो इन्होंने कांग्रेस के किसी गुट विशेष का दामन थामने की बजाए एकला चलो की नीति का अनुसरण किया। कांग्रेस में अंदरखाने इतनी खींचतान है, तो इन्होंने पचड़े में पडऩे से बेहतर समझा सोशल मीडिया में सक्रियता बढ़ाना। प्रधानमंत्री की 'मन की बात' की तर्ज पर 'काम की बात' कर तमाम मुद्दों पर अपनी राय देते दिख रहे हैं। चर्चा तो यह है कि जनाब विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं, इसी वजह से सोशल मीडिया में सक्रियता अचानक बढ़ गई है।
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