मिनिस्टीरियल कर्मियों ने की शासनादेश निरस्त कराने की मांग, मुख्यमंत्री को पत्र भेज दी आंदोलन की चेतावनी
उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने सरकारी सेवकों के लिए एसीपी का लाभ और स्टाफिंग पैटर्न को लेकर किए गए शासनादेश को निरस्त करने की मांग की है। इस संबंध में एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। जिसमें उन्होंने आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने सरकारी सेवकों के लिए एसीपी का लाभ और स्टाफिंग पैटर्न को लेकर किए गए शासनादेश को निरस्त करने की मांग की है। इस संबंध में एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। जिसमें उन्होंने आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि कार्मिकों की मांगों को लेकर लगातार शासन से गुहार लगाई जा रही है। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी समस्याओं से कई बार अवगत कराया गया है। कहा कि मिनिस्टीरियल कार्मिकों के लिए स्टाफिंग पैटर्न के साथ एसीपी या एमएसीपी के लाभ की वसूली कार्मिकों के वेतन-पेंशन से करने के विवादित आदेश जारी किए गए हैं। व्यवस्था के अन्तर्गत यदि किसी संवर्ग में समयमान वेतनमान, समयबद्ध आधार पर प्रोन्नति की कोई विशिष्ट व्यवस्था शासनादेशों या सेवानियमावली के माध्यम से लागू हो तो उस व्यवस्था को भविष्य में बनाए रखने सक्षम स्तर से निर्णय लिया जाता है। किसी भी संवर्ग, पद के लिए समयमान वेतनमान, समयबद्ध आधार पर प्रोन्नति की कोई विशिष्ट व्यवस्था और एसीपी की व्यवस्था दोनों एक साथ लागू नहीं किए जाने का प्राविधान है।
बताया कि पूर्व व्यवस्था को अतिक्रमित कर एमएसीपी की व्यवस्था, जनवरी 2017 से लागू की गई है। उक्त शासनादेश में भी स्टाफिंग पैर्टन शब्द का उल्लेख नहीं है। आरोप लगाया कि जान बूझकर स्टाफिंग पैर्टन शब्द अपनी तरफ से जोड़कर मिनिस्टीरियल कार्मिकों का उत्पीड़न करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गुहार लगाई है कि उक्त शासनादेश को निरस्त किया जाए। ताकि फेडरेशन को अन्यायपूर्ण आदेश के विपरीत आंदोलन को बाध्य न होना पड़े।