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मंत्री हरक सिंह रावत बोले, श्रम बोर्ड के अध्यक्ष को सचिव को हटाने का नहीं है अधिकार

नाराज़ चल रहे श्रम मंत्री डॉ हरक सिंह रावत का बयान सामने आया है। श्रम बोर्ड से सचिव दमयंती रावत को हटाने पर हरक सिंह रावत ने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को सचिव को हटाने का अधिकार है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 02:05 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 02:05 PM (IST)
मंत्री हरक सिंह रावत बोले, श्रम बोर्ड के अध्यक्ष को सचिव को हटाने का नहीं है अधिकार
मंत्री हरक सिंह रावत बोले श्रम बोर्ड के अध्यक्ष को सचिव को हटाने का अधिकार नहीं है।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए गए श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के तल्ख तेवर कम होने का नाम नहीं ले रहे। इस बीच नए अध्यक्ष द्वारा बोर्ड की अपर कार्याधिकारी (कामचलाऊ सचिव) दमयंती रावत को हटाए जाने से उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में डॉ. रावत ने कहा कि बिना श्रम मंत्री के अनुमोदन के जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्तियों को कोई दायित्वधारी नहीं हटा सकता। उन्होंने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष ने संभवतया अज्ञानतावश ऐसा किया। उन्होंने कहा कि दमयंती रावत अभी भी बोर्ड की सचिव हैं।

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कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे। इस बीच शासन ने 20 अक्टूबर को अधिसूचना जारी करते हुए डॉ. रावत को बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाकर उनकी जगह शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त कर दिया। तर्क दिया गया कि बोर्ड का कार्यकाल तीन साल का होता है, जो पूरा हो चुका है। इसे देखते हुए सरकार के फैसले के अनुरूप बोर्ड का पुनर्गठन किया गया है। इसी के तहत अध्यक्ष पद पर सत्याल को नियुक्त किया गया है।डॉ.रावत को यह फैसला नागवार गुजरा है। 

उनका कहना है कि वह तो बतौर श्रम मंत्री बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देख रहे रहे थे। तीन साल के कार्यकाल का नियम बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों व अध्यक्ष पर लागू होता है। वे यह तक कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री को भी उन्हें हटाने का अधिकार नहीं है। नाराज चल रहे डॉ. रावत लगातार उन कार्यक्रमों से भी दूरी बनाए हैं, जिनमें मुख्यमंत्री मौजूद रहे। हालांकि, उनकी ओर से मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद ही प्रतिक्रिया देने की बात कही गई थी, लेकिन बीते रोज वन विभाग के मुखिया की तैनाती के सिलसिले में हुई बैठक में मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी कोई प्रतिक्रिया उन्होंने नहीं दी।

बीते रोज डॉ. रावत की नाराजगी तब और बढ़ गई, जब उनकी करीबी मानी जाने वाली बोर्ड की अपर कार्याधिकारी (कामचलाऊ सचिव) दमयंती रावत को इस पद से मुक्त कर मूल विभाग में योगदान करने के आदेश बोर्ड के अध्यक्ष ने जारी कर दिए। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में डॉ.रावत ने कहा कि नियमानुसार कोई दायित्वधारी ऐसा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि संभवतया अज्ञानता के कारण ऐसा किया गया, जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सचिव को हटा सकते हैं। इसके आदेश भी कार्मिक विभाग करेगा, न कि बोर्ड के अध्यक्ष।

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