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प्रो. वैंकटेश्वरलू बोले, ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन विकास के लिए चुनौती

वाणिज्य संघ के अध्यक्ष प्रो. वैंकटेश्वरलू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन विकास के लिए चुनौती है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 06:23 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 07:10 PM (IST)
प्रो. वैंकटेश्वरलू बोले, ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन विकास के लिए चुनौती
प्रो. वैंकटेश्वरलू बोले, ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन विकास के लिए चुनौती

देहरादून, जेएनएन। भारतीय वाणिज्य संघ के अध्यक्ष प्रो. वैंकटेश्वरलू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से ही देश का विकास संभव है और कृषि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का अभिन्न अंग है। ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन विकास के लिए चुनौती है। यह बात उन्होंने बतौर मुख्य अतिथि शनिवार को दून विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। 

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विवि के प्रबंधशास्त्र विभाग की ओर से 'नवोन्मेशी प्रबंध प्रविधि और ग्रामीण विकास' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. वैंकटेश्वरलू ने कहा कि कृषि विकास के लिए वितरण प्रणाली, खेत प्रबंध एवं खेती की प्रक्रिया पर शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास एवं नवोन्मेशी शोध को अलग से समझना होगा कि ग्रामीण विकास के लिए इसका कैसे प्रयोग किया जाए। कृषि की पैदावार एवं विपणन दोनों विषयों पर शोध की आवश्यकता है। 

प्रो. वैंकटेश्वरलू ने ग्रामीण स्वास्थ्य पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने दून विवि के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा प्रारंभ किए गए एक्जीक्यूटिव एमबीए पाठ्यक्रम के प्रवेश पोस्टर का विमोचन किया। विवि के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी के चेयरपर्सन प्रोफेसर डॉ. एचएस दास ने ग्रामीण विकास के विभिन्न आयाम पर प्रकाश डालते हुए ग्रामीण स्वास्थ्य और शिक्षा की गुणवत्ता को विकास में महत्वपूर्ण बताया। प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एचसी पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत किया। 

वैज्ञानिक कृषि पद्धति जरूरी 

दून विवि के कुलपति डॉ. सीएस नौटियाल ने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए कृषि का विकास आवश्यक है और कृषि क्षेत्र का विकास वैज्ञानिक कृषि पद्धति, उन्नत खाद एवं बीज का प्रयोग और उसके वितरण और विपणन व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। डॉ. नौटियाल ने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए समयबद्ध योजनाओं के मूल्यांकन एवं कियान्वयन में पारदर्शिता की आवश्यकता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व कुलपति ने डॉ. रीना सिंह और मधु बिष्ट द्वारा संपादित पुस्तक 'रीविजिटिंग इकोनॉमी: मिसिंग लिक्स एंड अल्टरनेटिव विजन' पुस्तक का विमोचन किया। 

गांव की बुनियादी सुविधा चुनौती 

मुख्य वक्ता रोहतक के प्रोफेसर एचजे घोष रॉय ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत विकास जैसे सड़क, बिजली एवं पीने का पानी आदि पिछले कई वर्षो से चुनौती के रूप में हमारे सामने हैं। इन सुविधाओं का विकास योजनाओं के क्रियान्वयन से ही संभव हो सकता है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सांस्कृतिक रूप से भिन्नता है और इस भेद को कम करने के लिए सांस्कृतिक परिवेश के अंतर को कम करना होगा। 

संगोष्ठी के निष्कर्ष को किया अनुमोदित 

विवि के प्रबंध अध्ययन विभाग व आइटीएम देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वाणिज्य संघ कार्यकारिणी की बैठक भी प्रो. एच वैंकटेश्वरलू ने ली। बैठक में दिसंबर 2018 हैदराबाद में आयोजित बैठक के प्रस्तावों को अनुमोदित किया गया। शोध पत्रिका के प्रकाशन एवं वितरण के विषय में आइआइटी विवि भुवनेश्वर द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा की गई। अखिल भारतीय वाणिज्य संघ के 72वें वार्षिक सम्मेलन के आयोजन पर भी प्राप्त प्रस्तावों पर विचार किया गया। शोध पत्रों के प्रकाशन में एथिकल पॉलिसी के अनुरूप कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया गया। 

संगठन के सचिव नरेंद्र कुमार ने कहा कि देश के विकास के लिए ग्रामीण अंचलों के विकास पर केंद्रित शोध एवं शिक्षण नीति के निर्माण में नई पीढ़ी को शामिल करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. मानस पांडे, सचिव प्रो. नरेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष एवं मैनेजिंग एडिटर प्रो. नवल किशोर, डॉ. कुलदीप शर्मा, डॉ. शिवप्रसाद डोंगरे, डॉ. दलबीर सिंह कौशिक, डॉ. राहुल सिंह एवं अनिल कुमार उपस्थित रहे। 

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