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ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के लिए बने मास्टर प्लान, आयोग ने ये भी दिये सुझाव

ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के तीव्र गति से विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार करना आवश्यक है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास और पलायन आयोग ने सर्वे रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है।

By Edited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 09:59 PM (IST)
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के लिए बने मास्टर प्लान, आयोग ने ये भी दिये सुझाव
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के लिए बने मास्टर प्लान, आयोग ने ये भी दिये सुझाव

देहरादून, राज्य ब्यूरो। चमोली जिले में स्थित ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के तीव्र गति से विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार करना आवश्यक है। कर्णप्रयाग से गैरसैंण और गैरसैंण से चौखुटिया (अल्मोड़ा) तक के क्षेत्र को ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र घोषित कर वहां मास्टर प्लान के तहत सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा से जुड़ी सुविधाएं सुदृढ़ करने के साथ ही विकास कार्यों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उत्तराखंड ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की ओर से चमोली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास के मद्देनजर तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है। 

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में इस रिपोर्ट का विमोचन किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में गैरसैंण, चमोली जिले के उन विकासखंडों में शामिल है, जहां से सर्वाधिक पलायन हुआ है। ऐसे में आवश्यक है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी क्षेत्र का निर्धारण कर वहां मास्टर प्लान के तहत विकास की रफ्तार तेज की जाए। यह भी कहा गया है कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और ऑल वेदर रोड परियोजना के आकार लेने पर इस क्षेत्र के विकास को नए आयाम मिलेंगे। 

रिपोर्ट में चमोली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की स्थिति, इसके कारण और इसे थामने के मद्देनजर कई सुझाव भी दिए गए हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिपोर्ट का विमोचन करते हुए कहा कि इससे पलायन रोकने और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। सरकार का प्रयास है कि इसके जरिये ज्यादा से ज्यादा युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हों। 

आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने रिपोर्ट पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने पर्यटन से जुड़े कौशल विकास कार्यक्रमों, वन्यजीव पर्यटन, ट्रेकिंग और हाइकिंग, राफ्टिंग जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने, विकासखंड स्तर पर कृषक उत्पादक समूहों के गठन और कृषि व उद्यमिता के क्षेत्र में ऋण प्रवाह बढ़ाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में हार्क संस्था के संस्थापक महेंद्र सिंह कुंवर, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट, तकनीकी सलाहकार डॉ. नरेंद्र सिंह आदि मौजूद थे। 

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आयोग ने ये भी दिए सुझाव 

-ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती को ब्लाक स्तर पर बने आर्थिक विकास का ढांचा। 

-प्राथमिक और तृतीयक क्षेत्र पर बराबर ध्यान केंद्रित किया जाए। 

-मनरेगा के तहत समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित कर महिलाओं के प्रतिनिधित्व और कौशल विकास को दी जाए प्राथमिकता। 

-सभी योजनाओं में समाजिक-आर्थिक उत्थान और ग्रामीण विकास के लिए महिला केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया जाए। -उत्पादों के विपणन के लिए गतिशील ऑनलाइन प्लेटफार्म विकसित किया जाए। 

-ईको टूरिज्म का मास्टर प्लान तैयार करने के साथ ही पर्यटन विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाए। 

-दीनदयाल उपाध्याय योजना, ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सामुदायिक जागरूकता और बैंक लिंकेज को बढ़ावा दिया जाए।

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