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अपनों की पीड़ा देख प्रवासियों ने गांव में खोला टेलीमेडिसिन सेंटर

कुछ प्रवासी युवाओं ने खुद के संसाधनों से पौड़ी जिले के सुदूरवर्ती पोखड़ा विकासखंड के ग्राम बिजोरापानी में टेलीमेडिसिन सेंटर स्थापित कर दिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 09:34 AM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 09:54 PM (IST)
अपनों की पीड़ा देख प्रवासियों ने गांव में खोला टेलीमेडिसिन सेंटर
अपनों की पीड़ा देख प्रवासियों ने गांव में खोला टेलीमेडिसिन सेंटर

देहरादून, जेएनएन। पौड़ी जिले के सुदूरवर्ती पोखड़ा विकासखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव कुछ प्रवासी युवाओं को ऐसा अखरा कि उन्होंने खुद के संसाधनों से ग्राम बिजोरापानी में टेलीमेडिसिन सेंटर स्थापित कर दिया। उत्साही युवाओं की इस मानवीय पहल से अब ग्रामीणों को घर के नजदीक ही बीमारियों के निदान की सुविधा के साथ निश्शुल्क दवाएं भी मिलने लगी हैं।

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बिजोरापानी में प्रवासियों की पहल पर खुला टेलीमेडिसिन सेंटर अब अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाने लगा है। यहां आसपास के गांवों के साथ ही बीरोंखाल क्षेत्र के गांवों से भी लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। सेंटर में तैनात फार्मासिस्ट मरीजों की प्रारंभिक जांच के बाद वीडियो कॉल के माध्यम से जिला अस्पताल सहित अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श करते हैं। इसके बाद मरीज को आवश्यक दवाएं निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।

बंदूणी बंधुओं ने की यह अभिनव पहल

घंडियाल कस्बे में नंदा देवी की सामूहिक पूजा में शामिल होने आए प्रवासी युवाओं को जब क्षेत्र में सामान्य उपचार की सुविधा न होने की बात पता चली तो उन्होंने स्वयं खर्चे पर ही वहां टेलीमेडिसिन सेंटर खोलने का निर्णय लिया। दरअसल, सेंटर के सूत्रधार राजीव बंदूणी ने जिलाधिकारी सुशील कुमार के समक्ष क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का मामला उठाया तो उन्होंने टेलीमेडिसिन सेंटर खोलने की सलाह दी। बंगलुरू में सफल व्यवसायी राजीव बंदूणी और दिल्ली में रह रहे शशि बंदूणी इस महायज्ञ के सूत्रधार बने। उन्होंने सभी प्रवासी बंधुओं से इस महायज्ञ में आर्थिक आहुति डालने की भावुक अपील की। नतीजा दो दिनों में ही सवा लाख की सहयोग राशि इकट्ठा हो गई और कुछ ही दिन में बिजोरापानी में सेंटर भी खुल गया। 

प्रवासियों के सहयोग से बना फंड

व्यवसायी राजीव बंदूणी बताते हैं कि प्रवासी बंधु सेंटर को लगातार सहयोग कर रहे हैं। सहयोग राशि से एक फंड बनाया गया है, जिससे विशेषज्ञ चिकित्सकों की ओर से सुझाई गई दवाएं मरीजों को निश्शुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि ग्रामीणों को अब इलाज के लिए कोटद्वार अथवा पौड़ी के चक्कर नहीं काटने पड़ते। उन्हें घर के निकट ही विशेषज्ञ चिकित्सकों का परामर्श मिल जा रहा है।

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